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वाशिंगटन: नासा के मार्स रिकॉनिसेंस आरबिटर से मिले डेटा का विश्लेषण कर वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मंगल ग्रह पर जो ‘गली’ या नाले दिखते हैं वे संभवत: तरल जल के चलते नहीं बने हैं।
नए निष्कर्ष वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के नालों के निर्माण के बारे में अपने सिद्धांतों का दायरा छोटा करने और इस रक्ताभ ग्रह पर हालिया भौगोलिक प्रक्रियाओं के नए ब्योरे सामने लाने में मदद करेंगे।
अमेरिका की जान्स होपकिन्स युनिवर्सिटी के अप्लाइड फिजिक्स लैबोरेटरी के अनुसंधानकर्ताओं ने मंगल गृह के 100 से ज्यादा नाले स्थलों का हाई रिजोल्युशन संरचनात्मक डेटा का अध्ययन किया। ये डेटा आरबिटर के ‘कंपैक्ट रिकॉनिसेंस स्पेक्ट्रोमीटर फॉर मार्स’ (क्रिज्म) ने इकट्ठा किए थे। इन्हें ‘हाई रिजोल्युशन इमेजिंग साइंस एक्सपेरिमेंट’ (हाईराइज) कैमरा और कन्टेक्स्ट कैमरा (सीटीएक्स) से सहसंबद्ध कराया गया।
इस निष्कर्ष ने प्रचुर तरल जल या उसके उतोत्पाद (बाई-प्रोडक्ट) के लिए कोई खणिजीय साक्ष्य नहीं दिखाया। इस तरह, इससे यह इशारा मिलता है कि ये नाले जल प्रवाह के अतिरिक्त कार्बन डायक्साइड के जमाव जैसे अन्य तंत्रों के कारण बने हो सकते हैं। धरती पर इस तरह की संरचनाए तरल जल के प्रवाह से बनी हैं।