इतने करोड़ साल पुरानी है ये मछली, जिसे बचाने एकजुट हुए वैज्ञानिक
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इतने करोड़ साल पुरानी है ये मछली, जिसे बचाने एकजुट हुए वैज्ञानिक

एस्‍प्रेट पहली बार 1956 में बायोलॉजी (जीव विज्ञान) के एक स्‍टूडेंट को मिली थी और तब भी यह विलुप्ति होने के कगार पर थी.

जीवविज्ञानी आंद्रेई टोगोर द्वारा खोजी गई एस्‍प्रेट मछली

नई दिल्‍ली: मछली जीवविज्ञानी आंद्रेई टोगोर की खुशी का इन दिनों ठिकाना नहीं है क्योंकि उन्होंने हाल ही में यूरोप की सबसे दुर्लभ मछलियों में से एक एस्‍प्रेट (Asprete) की खोज की है. यह मछली विलुप्त होने के कगार पर है.

  1. वालसन नदी के किनारे एतिहासिक खोज 
  2. 31 साल के जीवविज्ञानी ने खोजी एस्‍प्रेट
  3. विलुप्‍त होने के कगार पर है ये प्रजाति 

31 साल के टोगोर को अक्टूबर के अंत में वालसन नदी (Valsan river) में 65 मिलियन यानि कि 6.5 करोड़ साल पुरानी एस्‍प्रेट के 12 स्‍पेसीमेन मिले हैं. बीबीसी के हवाले से उन्होंने कहा, 'हमारी आंखों के सामने एक एस्‍प्रेट का होना शानदार था. यह किसी भी फील्‍ड बायोलॉजिस्‍ट के लिए बड़े पुरस्‍कारों में से एक है.' 

1956 में मिली थी पहली बार 
एस्‍प्रेट पहली बार 1956 में बायोलॉजी (जीव विज्ञान) के एक स्‍टूडेंट को मिली थी और तब भी यह विलुप्ति होने के कगार पर थी. आधिकारिक आंकड़े कहते हैं कि इस दुर्लभ मछली की तादाद लगभग 10-15 स्‍पेसीमेन ही है, जो 2000 के दशक के शुरुआती दिनों में लगभग 200 हुआ करती थी. अब वैज्ञानिकों और संरक्षणवादियों का एक छोटा समूह मछली की प्रजातियों की रक्षा करने के लिए अभियान चला रहा है. इसे रोमनिचिस वालेंसिकोला भी कहा जाता है.

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जीवित जीवाश्‍म होती है मछली 
मछली को जीवित जीवाश्म के रूप में वर्णित किया जाता है, इससे मतलब है कि यह बिना किसी बड़े बदलाव के लाखों वर्षों तक रह सकती हैं. लेकिन पिछले छह दशकों में मानव गतिविधियों ने इसके निवास (Habitat) पर खासा असर डाला है और इसकी आबादी में आई गिरावट का कारण बना है.

इसके निवास को कानूनी तौर पर यूरोपीय संघ के नैचुर 2000 रीजन और वालसन वैली नेचर रिजर्व के हिस्से के रूप में संरक्षण दिया जा रहा है.

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