वैज्ञानिकों ने कहा कि स्पर्म बैंक (Sperm Bank) में धरती की 67 लाख प्रजातियों की प्रजनन कोशिकाएं, शुक्राणु, अंडाणु, आदि के नमूने रखे जाएं जिसमें इंसान भी शामिल होंगे. चंद्रमा (Moon) पर ये बैंक बनाने बनाने की वकालत करते हुए वैज्ञानिकों ने कहा इस प्रकिया को मॉर्डन ग्लोबल इंश्योरेंस पॉलिसी की तरह देखा जाना चाहिए.
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नई दिल्ली: हमारी धरती (Earth) के बाहर इंसानी बस्ती बसाने की कोशिशें तेजी से आगे बढ़ रही हैं. ये काम जिस तेजी से हो रहा है उस तरह ह्यूमन स्पर्म (Human sperm) बहुत जल्द ही चांद (Moon) पर पहुंच सकते हैं. वैज्ञानिक पहले से ही धरती पर कयामत आने का पूर्वानुमान लगाते हुए भविष्य की तैयारियों में जुटे हैं. इसी सिलसिले में हमारे प्राकतिक उपग्रह, चंद्रमा पर एक स्पर्म बैंक (Sperm Bank) बनाने की तैयारी में हैं. ताकि लाखों मिलियन स्पर्म सैंपल चांद पर सहेज कर रखा जा सके.
इस बैंक के बारे मे प्रस्ताव देते हुए वैज्ञानिकों ने कहा कि इसमें पृथ्वी की 67 लाख प्रजातियों की प्रजनन कोशिकाएं, शुक्राणु, अंडाणु, आदि के नमूने रखे जाएं जिसमें इंसान भी शामिल होंगे. बैंक को चंद्रमा पर बनाने बनाने की वकालत करते हुए वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे आधुनिक वैश्विक बीमा पॉलिसी की तरह देखा जाना चाहिए. योजना की विस्तार से जानकारी दें तो यह स्पर्म बैंक जिसे स्पेशल संदूक (स्टोरेज बॉक्स) भी कहा जा रहा है वो चांद की सतह के नीचे स्थित होगा. लाखों की संख्या में स्पर्म के नमूने चांद के उन गहरे गड्ढों में रखे जाएंगे जिनकी खोज हाल ही में हुई है.
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धरती पर प्राकतिक आपदाओं का खतरा मंडराता रहता है, खासतौर पर तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. इसी डर की वजह से भविष्य में मानवता को सुरक्षित रखने के लिए इस बैंक की स्थापन हो रही है. यानी इंसानों के भविष्य के संरक्षण का काम शुरू होने जा रहा है.
दरअसल एरिजोना यूनिवर्सिटी की टीम ने इस बावत प्रस्ताव दिया है. इस प्रोजेक्ट के चीफ इंजीन जीकन थांगा हैं. उनकी टीम की रिपोर्ट में कहा है कि इस लूनर जीन बैंक में लोगों शुक्राणु और अंडाणुओं के नमूनों का सुरक्षित रखा जाए. थांगा इस स्टडी के पांच अन्य वैज्ञानिकों के साथ सहलेखक भी है. इन वैज्ञानिकों का मानना है कि स्पर्म रिजर्व जहां स्टोर होगा वहां अरबों साल पहले लावा बहा करता था. इसलिए चांद की सतह के ये गड्ढे कोशिका संग्रहण के लिहाज से आदर्श स्थिति में हैं. ये गड्ढे जमीन के नीचे 80 से 100 मीटर गहरे हैं और चंद्रमा की सतह से एक तैयार सुरक्षा प्रदान करते हैं. यहां तापमान में बदलाव के अलावा उल्कापिंडों और अंतरिक्ष विकिरणों से भी सुरक्षा मिलती है.
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