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डबलिन: जब सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया (Bacteria) या वायरस (Virus) हमें संक्रमित करते हैं तो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity System) हरकत में आ जाती है. यह संक्रमणों को समझने, खत्म करने और उनसे होने वाले किसी भी नुकसान को दूर करने के लिए अत्यधिक प्रशिक्षित होती है.
वैसे आम तौर पर यह माना जाता है कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली हर वक्त एक ही तरह से काम करती है, फिर चाहे संक्रमण दिन के समय हो या रात में, लेकिन आधी सदी से अधिक समय से चल रहे शोध से पता चलता है कि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली दरअसल दिन और रात में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया देती है. इसका कारण हमारे शरीर की प्राकृतिक घड़ी या बॉडी क्लॉक है. हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाओं सहित शरीर की प्रत्येक कोशिका बता सकती है कि यह दिन का कौन सा समय है.
हमारी बॉडी क्लॉक हमें जीवित रहने में मदद करने के लिए लाखों सालों में विकसित हुई है. शरीर की प्रत्येक कोशिका में प्रोटीन का एक संग्रह होता है जो उनके स्तर के आधार पर समय का संकेत देता है. यह जानना कि दिन है या रात का मतलब है कि हमारा शरीर अपने कार्यों और व्यवहारों (जैसे कि जब हम खाना चाहते हैं) को सही समय पर समायोजित कर सकता है.
कोशिकाओं के कार्य करने के तरीके में 24 घंटे की लय (जिसे सर्कैडियन रिदम भी कहा जाता है) उत्पन्न करके हमारे शरीर की घड़ी ऐसा करती है. उदाहरण के लिए, हमारी बॉडी क्लॉक यह सुनिश्चित करती है कि रात होते ही हम केवल मेलाटोनिन का उत्पादन करें, क्योंकि यह केमिकल हमें थका देता है. यह संकेत देता है कि यह सोने का समय है.
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हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कई अलग-अलग प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाओं (Immune Cells) से बनी होती है जो संक्रमण या क्षति के सबूत की तलाश में लगातार शरीर में गश्त करती रहती हैं, लेकिन यह हमारे शरीर की घड़ी है जो यह निर्धारित करती है कि वे कोशिकाएं दिन के विशेष समय पर कहां स्थित हैं.
मोटे तौर पर कहें तो हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाएं दिन के दौरान ऊतकों में चली जाती हैं और फिर रात में पूरे शरीर में फैल जाती हैं. प्रतिरक्षा कोशिकाओं की यह सर्कैडियन लय शायद इसलिए विकसित हुई होगी ताकि जिस समय में हमारे संक्रमित होने की अधिक संभावना हो, प्रतिरक्षा कोशिकाएं हमले के लिए सीधे ऊतकों में स्थित हों.
हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाएं रात में शरीर में चारों ओर घूमती हैं और हमारे लिम्फ नोड्स पर रुक जाती हैं. यहां वे किसी भी संक्रमण सहित दिन के समय जो कुछ भी हुआ था, उसकी स्मृति का निर्माण करती हैं. इससे यह सुनिश्चित होता है कि अगली बार संक्रमण का सामना होने पर वह बेहतर प्रतिक्रिया दे सकें.
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हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर बॉडी क्लॉक के नियंत्रण को देखते हुए, इस बात को जानकर शायद ही कोई हैरान हो कि कुछ शोधों से पता चला है कि किसी वायरस जैसे कि इन्फ्लूएंजा या हेपेटाइटिस से हमारे संक्रमित होने का समय ही यह तय कर सकता है कि हम उससे कितने बीमार होंगे. संबद्ध वायरस के आधार पर सटीक समय भिन्न हो सकता है.
अन्य शोधों से यह भी पता चला है कि दवाएं लेने के समय से उनका प्रभाव निर्धारित होता है लेकिन यहां भी यह संबद्ध दवा पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, चूंकि हम सोते समय कोलेस्ट्रॉल बनाते हैं, इसलिए सोने से ठीक पहले कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवा लेने से सबसे अधिक लाभ मिलता है. यह भी दिखाया गया है कि दिन का समय कुछ प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाओं के असर को प्रभावित करता है.
इस बात को प्रमाणित करने के लिए भी पर्याप्त प्रमाण हैं कि वे टीके (Vaccine) जो एक विशेष रोग के वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा ‘स्मृति’ बनाते हैं, हमारे शरीर की घड़ी और दिन के उस समय से प्रभावित होते हैं जब एक टीका लगाया जाता है.
उदाहरण के लिए, साल 2016 में 65 साल और उससे ज्यादा उम्र के 250 से अधिक वयस्कों के परीक्षण से पता चला कि जिन्हें सुबह (नौ बजे से 11 बजे के बीच) में इन्फ्लूएंजा का टीका लगाया गया था, उनके शरीर में दोपहर बाद टीकाकरण (दोपहर तीन से शाम पांच बजे के बीच) कराने वालों की तुलना में अधिक एंटीबॉडी प्रतिक्रिया हुई.
अभी हाल ही में, 25 साल की आयु के आसपास के जिन लोगों को बीसीजी (तपेदिक) के टीके से सुबह आठ से नौ बजे के बीच प्रतिरक्षित किया गया था, उनमें दोपहर 12 से 1 बजे के बीच टीकाकरण कराने वालों की तुलना में अधिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया हुई. तो कुछ टीकों के लिए, इस बात के प्रमाण हैं कि सुबह का टीकाकरण अधिक मजबूत प्रतिक्रिया प्रदान कर सकता है.
सुबह टीकों के प्रति बेहतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दिखने का एक कारण यह हो सकता है कि हमारे शरीर की घड़ी हमारी नींद को नियंत्रित करती है. वास्तव में, अध्ययनों से पता चला है कि हेपेटाइटिस ए के टीकाकरण के बाद पर्याप्त नींद लेने से टीके से संबद्ध विशिष्ट प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में सुधार करती है.
यह अभी भी पूरी तरह से समझ में नहीं आया है कि नींद से टीके की प्रतिक्रिया में सुधार क्यों होता है, लेकिन यह इस वजह से हो सकता है कि हमारे शरीर की घड़ी नींद के दौरान प्रतिरक्षा कोशिका के कार्य और स्थान को सीधे तौर पर नियंत्रित करती है. इसलिए, उदाहरण के लिए जब हम सो रहे होते हैं तो यह प्रतिरक्षा कोशिकाओं को हमारे लिम्फ नोड्स में भेजता है, यह जानने के लिए कि दिन के दौरान कौन से संक्रमण का सामना करना पड़ा था, और उसकी ‘स्मृति’ बनाने के लिए.
बेशक यह सवाल उठाता है कि यह सब मौजूदा महामारी और दुनियाभर में टीकाकरण कार्यक्रमों से कैसे संबंधित हो सकता है. हमारी प्रतिरक्षा बॉडी क्लॉक कैसे काम करती है, यह इस मामले में महत्वपूर्ण हो सकता है कि क्या हम कोविड-19 विकसित करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि जो रिसेप्टर कोविड वायरस, सार्स-कोव-2 को हमारी कोशिकाओं में प्रवेश करने की अनुमति देता है, वह हमारे शरीर की घड़ी के नियंत्रण में होता है.
इसका मतलब यह हो सकता है कि हमें दिन के निश्चित समय पर कोविड-19 होने की अधिक संभावना है, लेकिन यह निर्धारित करने के लिए और शोध की आवश्यकता होगी.
हालांकि इस सवाल का जवाब मिलना अभी बाकी है कि जिस समय हम कोविड-19 का टीका लगवाते हैं वह खास समय बीमारी के खिलाफ हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है.
कई कोविड-19 टीकों की उच्च प्रभावशीलता (फाइजर और मॉर्डना दोनों ही 90% से अधिक प्रभावशाली बताई जाती हैं) और जिस तात्कालिकता के साथ हमें टीकाकरण की आवश्यकता है, उसे देखते हुए लोगों को दिन के किसी भी समय टीकाकरण कराना चाहिए.
लेकिन वर्तमान और भविष्य के ऐसे टीके जिनकी इतनी अधिक प्रभावकारिता दर नहीं है, जैसे कि फ्लू का टीका या यदि उनका इस्तेमाल खराब प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया वाले लोगों (जैसे कि बुजुर्गों) में किया जाता है, तो अधिक सटीक ‘समयबद्ध’ दृष्टिकोण अपनाने से अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता सुनिश्चित की जा सकती है.
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