वैज्ञानिकों ने प्रयोग के लिए मंगल ग्रह की मिट्टी से मिलती-जुलती ऐसी मिट्टी विकसित की है जो इस लाल ग्रह पर साग-सब्जियां उगाने के तरीके ढूंढने में मदद कर सकती है.
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वॉशिंगटन: वैज्ञानिकों ने प्रयोग के लिए मंगल ग्रह की मिट्टी से मिलती-जुलती ऐसी मिट्टी विकसित की है जो इस लाल ग्रह पर साग-सब्जियां उगाने के तरीके ढूंढने में मदद कर सकती है. अमेरिका की सेंट्रल फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी (यूसीएफ) के अनुसंधानकर्ताओं ने वैज्ञानिक पद्धति और मानकीकृत तरीके से मंगल एवं क्षुद्रग्रह की मिट्टी तैयार की. इस मिट्टी को प्रतिरूप के तौर पर माना जाता है. यूसीएफ के डैन ब्रिट ने कहा, “मंगल ग्रह पर दुनिया बसाने की दिशा में यह प्रतिरूप अनुसंधान के लिए बहुत उपयोगी है. अगर हम वहां जाने के बारे में सोच रहे हैं तो हमें भोजन, पानी एवं अन्य जरूरी चीजों की जरूरत होगी. जब हम शोध पदार्थ विकसित कर रहे हैं तो हमारे पास यह जांचने का तरीका भी होना चाहिए कि इन विचारों को अमलीजामा कैसे पहनाया जाए.”
मंगल ग्रह पर खाद्य सामग्रियां उगाने के रास्ते तलाश रहे वैज्ञानिकों को इन तकनीकों को उस मिट्टी पर जांचना जरूरी है जो मंगल की मिट्टी से काफी मिलती-जुलती है. अनुसंधानकर्ताओं का यह सूत्र क्यूरोसिटी रोवर द्वारा मंगल से इकट्ठी की गई मिट्टी की रासायनिक प्रकृति पर आधारित है.
अब चांद पर रहने की ख्वाहिश हो सकेगी पूरी, मंगल ग्रह पर भी पहुंचना हो जाएगा आसान
चांद पर बसने की ख्वाहिश दुनिया के अधिकांश लोगों की है. इसके लिए वैज्ञानिक कई साल से प्रयास कर रहे हैं. वहां इंसानों की बस्ती बसाने के संबंध में संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अब इन संभावनाओं को और प्रबल कर दिया है. उन्होंने ताजा शोध में चांद के ध्रुवीय क्षेत्र में पहली बार सतह पर बड़ी मात्रा में बर्फ खोजने का दावा किया है.
उनके अनुसार इससे चांद पर इंसानों को आसानी से पानी मिलेगा और वहां रह सकने की हम लोगों की हसरत पूरी हो सकेगी. साथ ही मंगल जैसे दूर ग्रहों पर भी पहुंचने के लिए चांद को अहम पड़ाव के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा. यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के वैज्ञानिकों का यह ताजा शोध प्रोसीडि़ंग्स ऑफ द नेशनल अकादमी ऑफ साइंस में प्रकाशित हुआ है.
ध्रुवीय इलाकों में खोजा गया जमा हुआ पानी
यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के वैज्ञानिकों ने चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों में पहली बार जमा हुआ पानी खोजने का दावा किया है. उनके अनुसार उन्होंने इन ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थायी परछाई वाले हिस्सों में इस जमे हुए पानी को खोजा है. उनके अनुसार यह जमा हुआ पानी मून के परछाई वाले क्षेत्रों (मून शैडो एरिया) में करीब 3.5 फीसदी हिस्से में मौजूद है. वैज्ञानिकों के अनुसार इस खोज से बुध और मेरेस जैसे बौने ग्रहों पर भी पानी खोजने में मदद मिल सकेगी.
पहले मिला था मिट्टी में, अब पहली बार मिला सतह पर
वैज्ञानिकों के अनुसार इससे पहले चांद की मिट्टी में पानी होने के सुबूत मिले थे. लेकिन इस ताजा शोध में चांद की सतह पर ही जमे हुए पानी की खोज की गई है. ऐसा पहली बार हुआ है. उन्होंने अपने शोध पत्र में कहा है 'हमने चांद की सतह पर पक्के तौर पर जमे हुए पानी या बर्फ की खोज की है.' वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले शोध में चांद पर पानी होने की बात तो की गई थी, लेकिन इस पर मुहर नहीं पा रही थी. क्योंकि उन शोधों में पानी और हाइड्रोजन के बीच के अंतर की जानकारी नहीं मिल पा रही थी.