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नई दिल्ली: रात में 1 से 3 के बीच का वो समय होता है, जब आप सबसे ज्यादा गहरी नींद में होते हैं. इस समय अगर आपकी आंख खुलती है और आप अतीत की घटनाओं के बारे में सोचने लगते हैं. अक्सर ये यादें नेगेटिव होती हैं जो हमें अहसास दिलाती हैं कि हमारी समस्याएं अनसुलझी हैं. जब ऐसा होता है तो लगता है कि इस दुनिया में हम अकेले हैं. लेकिन यह अनुभव हमारे विचार से कहीं अधिक सामान्य है. लेकिन ऐसा होता क्यों है? साइंटिस्ट ने इसका जवाब ढूंढ निकाला है.
वैज्ञानिकों ने सुबह 3 या 4 बजे के आसपास होने वाले न्यूरोबायोलॉजिकल बदलावों की ओर इशारा किया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस समय अचानक आंख खुलने पर हमारे शरीर का कोर टेंपरेचर बढ़ना शुरू हो जाता है. चूंकि हम पहले से ही थोड़ा आराम कर चुके होते हैं, इसलिए बॉडी की और ज्यादा सोने की इच्छा कम हो जाती है. लेकिन स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन (Melatonin) का सिक्रेशन अपने चरम पर होता है. जिसके कारण सुबह होते-होते स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल (Cortisol) का लेवल भी बढ़ जाता है. इसी कारण लोग अपने बुरे अनुभवों को याद करने लगते हैं, और उसे ठीक कैसे करें ये सोचने लगते हैं.
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हमारी सहयोगी साइट वियोन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रात के 3 बजे किसी को कॉल करके आप पुरानी गलतियों के लिए माफी नहीं मांग सकते, गलतफहमियां नहीं मिटा सकते. इसके लिए आपको दिन निकलने का इंतजार करना पड़ता है. लेकिन जब दिन निकलता है तो बहुत देर हो चुकी होती है. लोग चाहकर भी वो कॉल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते जिसे वो रात के समय करने की सोच रहे होते हैं. इसी कारण लोग अपने विचारों के साथ अंधेरे में रह जाते हैं और समस्याएं अनसुलझी प्रतीत होती हैं.
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