ऋषि कपूर ने अपनी बायोग्राफी का नाम खुल्लम-खुल्ला रखा था इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कितने बेबाक थे.
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वैसे तो ऋषि कपूर और इरफान खान के अपने-अपने अलग दौर रहे हैं लेकिन दोनों में फिर भी बहुत सी समानताएं हैं.
दोनों बेबाक एक्टर रहे
दोनों हमेशा मुस्कुराते हुए दोस्तों से मिले
दोनों की मौत कैंसर की वजह से हुई
दोनों कोरोना के निराशाजनक दौर में अपने चाहने वालों को और उदास कर गए.
खुल्लम खुल्ला!!
ऋषि कपूर ने अपनी बायोग्राफी का नाम खुल्लम-खुल्ला रखा था इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कितने बेबाक थे. ब्लैक एंड वाइट जमाने के चाइल्ड आर्टिस्ट, बॉबी से शुरुआत करने वाले लड़कियों के सपनों के राजकुमार और रंगीन पर्दे के रोमांटिक हीरो. आज की जेनरेशन से पूछिए तो वो ऋषि कपूर को रउफ लाला के तौर पर भी जानते हैं और 102 नॉट आउट के बूढ़े के तौर पर भी.
ऋषि कपूर के पास कपूर परिवार की लेगेसी थी लेकिन "बॉबी" में ऋषि कपूर को "लॉन्च" नहीं किया जा रहा था. कम बजट की वजह से हीरो का पैसा बचाने की कोशिश का नतीजा था कि बॉबी में उन्हें बतौर हीरो रोल मिला. उसके बाद ऋषि कपूर ने जो भी कमाया वह उनकी खुद की मेहनत का नतीजा था. चाहे लाल धारी वाले स्वेटर वाली इमेज हो चाहे रोमांटिक हीरो की पहचान या चाहे बुजुर्ग रऊफ लाला का दमदार किरदार.
पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया पर बेबाकी से अपनी बात रखने वाले ऋषि कपूर की पहचान एक बोल्ड व्यक्तित्व के तौर पर भी बनी.
करण जौहर से रणबीर कपूर के एक रोल को लेकर झगड़ा हुआ तो खुलकर सामने आए. कैंसर से बीमार हुए तो खुद यह बात सबके साथ साझा की. पीएम मोदी की तारीफ करनी होती तो वह भी खुलकर की.
करण जौहर ने ट्विटर पर लिखा, "ऋषि कपूर उनका बचपन थे" डफली वाले... फिल्म सरगम के इस गाने पर झूमकर नाचते हुए करण जौहर को हम सब ने देखा है.
इरफान खान कभी हीरो के बंधे-बंधाए किरदार में नहीं बंधे. 'पान सिंह तोमर' में आपको इरफान नहीं डाकू नजर आएगा और 'अंग्रेजी मीडियम' में भी आपको इरफान नहीं चंपक बंसल नजर आएगा. किरदार को खुद में खो देना इरफान की इसी खूबी ने उन्हें अपनी अलग पहचान दी.
He was my childhood.....
— Karan Johar (@karanjohar) April 30, 2020
2014 में "ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल" में इरफान ने राजस्थान की भाषाओं की वकालत करने के लिए एक सेशन में हिस्सा लिया. उस सेशन में उन्हें खूब तालियां मिलीं और मुझे इरफान का इंटरव्यू मिला.
14 साल के करियर में इरफान पहले बॉलीवुड सितारे थे जिनसे मैंने यह रिक्वेस्ट की कि मुझे उनके साथ एक फोटो खिंचवानी है. यह सुनकर इरफान खूब हंसे और बहुत खुश होकर उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और हां.... मन से फोटो भी खिंचवाई.
'पान सिंह तोमर' उस वक्त मेरे दिमाग पर हावी थी और आज 'अंग्रेजी मीडियम' हावी है.
दूरदर्शन के सीरियल चाणक्य में 'सेनापति भद्रशाल' की भूमिका से लेकर 'अंग्रेजी मीडियम' तक के कामयाब सफर में इरफान का संघर्ष में बहुत लंबा रहा. इतने संघर्षों का ही नतीजा रहा होगा कि न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर की बीमारी से जूझ रहे इरफान ने मौत की सच्चाई को पहले ही स्वीकार कर लिया था.
इरफान की मां का 1 सप्ताह पहले ही देहांत हुआ था मरने से पहले इरफान ने अपनी पत्नी सूतापा सीकदर से यही कहा "देखो मां मुझे लेने आ रही है".
लेकिन उनके चाहने वाले जानते हैं कि इरफान और ऋषि कपूर जैसी शख्सियत लोगों के दिलो-दिमाग से कभी नहीं जाती. कभी चिंटू की शक्ल में तो कभी पान सिंह तोमर की शक्ल में वह हमेशा जिंदा रहती है. कम ही लोग जानते होंगे कि उनका पूरा नाम "साहबजादा इरफान अली खान" था. उन्हें इरफान ही कहिएगा क्योंकि धार्मिक बेड़ियों में बंधना उन्हें कतई गवारा नहीं था.
ऋषि कपूर प्यार से चिंटू कहलाना चाहते थे लेकिन सिर्फ प्यार से...बाकियों के लिए उनका रवैया कैसा था ये आप उनका ट्विटर पेज देखकर समझ जाइए.
An appeal to all brothers and sisters from all social status and faiths. Please don’t resort to violence,stone throwing or lynching. Doctors,Nurses,Medics, Policemen etc..are endangering their lives to save you. We have to win this Coronavirus war together. Please. Jai Hind!
— Rishi Kapoor (@chintskap) April 2, 2020
(लेखिका: पूजा मक्कड़ Zee News की दिल्ली ब्यूरो चीफ हैं)
(डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)