फिक्सिंग-सट्टेबाजी पर चाहे जितना हल्ला हो, लेकिन कमजोर कानून के कारण होगा कुछ नहीं
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फिक्सिंग-सट्टेबाजी पर चाहे जितना हल्ला हो, लेकिन कमजोर कानून के कारण होगा कुछ नहीं

आईपीएल में ही सट्टे व फिक्सिंग के कारण क्रमश: चेन्नई और राजस्थान केा निलंबित कर दिया गया था पर सट्टों के मामलों में भारतीय कानून इतने लचर है कि मुलजिम न केवल अग्रिम जमानत ले कर छूट जाते हैं बल्कि उन्हें कोई बड़ी सजा होती ही नहीं है.

फिक्सिंग-सट्टेबाजी पर चाहे जितना हल्ला हो, लेकिन कमजोर कानून के कारण होगा कुछ नहीं

कई लोग इंडियन प्रीमियर लीग को इंडियन पैसा लीग भी कहते हैं. आईपीएल के कारण अगर क्रिकेट में समृद्धि और ग्लैमर का तड़का आया है तो साथ आया है हर हालत में धन कमाने का सुरुर. गौतम गंभीर सच कह रहे हैं कि चेन्नई अगर अच्छा प्रदर्शन करती है तो उसका एक कारण यह है कि टीम के मालिक क्रिकेट के मामलों में दखल नहीं देते. क्रिकेट के मामले में महेंद्र सिंह धोनी की ही चलती है. कैप्टन कूल अपने खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन निकलवाना जानते हैं. गौतम गंभीर का कहना है कि अन्य टीमों के मालिकों को क्रिकेट खेल से मुहब्बत नहीं है. वे तो बस अपनी पूंजी पर प्राप्त कमाई की चिंता करते हैं. इसलिए हम पाते हैं कि अगर शराब का ठेकेदार जब टीम का मालिक बन जाता है, तो वह हार बर्दाश्त नहीं कर सकता. वह तो राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ी को भी ऊंची नीची भाषा में बात कर सकता है. इससे क्रिकेट खेल की अस्मिता पर गहरी चोट लगी है.

अब यह सनसनीखेज खबर आई है कि सलमान खान के भाई अरबाज खान क्रिकेट के सट्टे में दाऊद गैंग के आदमी से (बुकी से) व्यवहार कर रहे थे. उन्होंने सट्टे में तीन करोड़ रुपयों की रकम हारी. यह ह्रदय विदारक है, क्योंकि अगर हम भारतीय भारत के दुश्मन नंबर वन दाउद इब्राहिम के अवैध धंधे में वृद्धि कर रहे हैं तो भारत के खिलाफ ही तो काम कर रहे हैं. इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. आईपीएल में सट्टे के चलते ही मयप्पन का मान मर्दन हुआ था. इसी कारण उनके श्वसुर को श्रीनिवासन का सिंहासन डोल गया था. बीसीसीआई के मुखिया के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. आईपीएल में ही सट्टे व फिक्सिंग के कारण क्रमश: चेन्नई और राजस्थान केा निलंबित कर दिया गया था पर सट्टों के मामलों में भारतीय कानून इतने लचर है कि मुलजिम न केवल अग्रिम जमानत ले कर छूट जाते हैं बल्कि उन्हें कोई बड़ी सजा होती ही नहीं है.

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भारत में मैच फिक्सिंग में जितने खिलाड़ी पकड़े गए, वे बड़ी शान से आज टेलिविजन चैनलों पर टीम वर्क चरित्र व संस्कार की बातें कर रहे हैं. इस मामले में श्रीलंका व ऑस्ट्रेलिया चैनल अल जजीरा ने ऑस्ट्रेलिया व श्रीलंका के खिलाड़ियों की मैच फिक्सिंग की बातें स्टिंग कर के दुनिया के सामने रख दी. ऑस्ट्रेलिया ने इससे संभल कर अपने सुरक्षा अधिकारी को बदल दिया है. श्रीलंका बोर्ड को तो भंग ही कर दिया गया. कमान स्वयं सरकार ने अपने हाथ में ले ली है. पाकिस्तानी खिलाड़ी तो मैच फिक्सिंग व क्रिकेट में सट्टेबाजी का कारोबार यहीं से शुरू होता है. यही पर फलता फूलता है. आज सारी दुनिया में में यह फैल गया है. इंग्लैंड के कानून बड़े सख्त हैं. इसी कारण मैच फिक्स करने के इल्जाम में दो पाकिस्तानी राष्ट्रीय खिलाड़ियों को सलाखों के पीछे जाना पड़ा था. इसलिए इंग्लैंड की भूमि पर मैच फिक्सिंग करने वाले विरले ही होते हैं. जहां जोखिम ज्यादा हो, वहां कोई खेल क्यों खेलेगा?

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बांग्लादेश के कई खिलाड़ी मैच फिक्सिंग के अपराध में पकड़े गए हैं. जब से टी20 की लीग शुरू हुई है और अपार धनराशि की वर्षा हुई है, लालच ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए. आईपीएल केा ललित मोदी तो दक्षिण अफ्रीका ले गए और कई खिलाड़ी कहते हैं कि इस दौरान मैच फिक्सिंग का जम कर खेल खेला गया. करोड़ों के वारे न्यारे हुए. आम आदमी कटता है और फायदा असली गैंग को होता है, जो लगातार भारत विरोधी काम कर रही है. ऐसे में आम भारतीय का तो यह कर्तव्य होता है कि ऐसी किसी भी सट्टेबाजी से परहेज करें. पर हम पाते हैं कि संभ्रांत घरों के महिला पुरुष व युवा भी सट्टेबाजी में पैसा लगाते हैं. न जाने कितने ही युवाओं ने पैसा खोने के बाद आत्महत्या की राह पकड़ी. पर इसे रोकने वाला कानून कहा है. कठोर सजा का उदाहरण भी तो नहीं है. ऐसे में इस गोरखधंधे को रोकेगा कौन.

विभिन्न देशों के क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भी इस बीमारी से निजात पाने की युक्ति करने की बजाए अपराधी खिलाड़ियों को बचाने में ही लगे हैं. क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था आईसीसी भी इस पर कोई कठोर कदम अब तक नहीं उठा पाई है. क्रिकेट खिलाड़ियों का कहना है कि अपराधियों पर अंकुश लगाना नियम व कानून बनाने वाली सरकार का काम है, क्रिकेट संगठन का नहीं. यह भी आश्चर्य की बात है कि सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी, या वर्तमान भारतीय कप्तान विराट कोहली जैसे लोगों ने इस घटना की निंदा करते हुए एक शब्द नहीं कहा. सभी मुंह पर ताला लगा कर बैठ गए मानो क्रिकेट की गिरती प्रतिष्ठा से उन्हें कुछ लेना देना नहीं है. हां जब बात रुपयों पैसों की आती है तब ये ही खिलाड़ी काफी मुखर हो जाते हैं.

अरबाज खान के बुकी संबंधी खुलासे के बाद क्रिकेट के खामोश प्याले में तूफान तो उठ खड़ा हुआ है. पर अंत क्या होगा. सब को मालुम है. सब कुछ भुला दिया जाएगा और मैच फिक्सिंग करने वाले शरीफजादे फिर से क्रिकेट से धन निचोड़ने में लग जाएंगे, चूंकि विश्व क्रिकेट का 70 फीसदी धन भारतीय क्रिकेट से पैदा होता है, इसलिए क्रिकेट की अस्मिता को सबसे ज्यादा मार ही यहीं पर पड़ेगी. सोने के अंडे देने वाली मुर्गी आईपीएल ने क्रिकेट को कहां से कहां पहुंचा दिया.

(लेखक प्रसिद्ध कमेंटेटर और पद्मश्री से सम्मानित हैं.)

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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