पैसों के साथ हमारे रिश्ते को बदल रहा है COVID-19, जानिए कैसे?
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पैसों के साथ हमारे रिश्ते को बदल रहा है COVID-19, जानिए कैसे?

साइंटिफिक साक्ष्य इशारा कर रहे हैं कि नकदी या नोट कोविड-19 को नहीं फैलाते. फिर भी नकदी के इस्तेमाल को लेकर तमाम लोगों के बीच एक अजीब सी सुस्ती है.

पैसों के साथ हमारे रिश्ते को बदल रहा है COVID-19, जानिए कैसे?

कोरोना वायरस (coronavirus) महामारी के चलते रिटेलर्स, ग्राहकों से मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने और जहां तक मुमकिन हो नकदी से परहेज करने को कह रहे हैं. हालांकि, साइंटिफिक साक्ष्य इशारा कर रहे हैं कि नकदी या नोट कोविड-19 (COVID-19) को नहीं फैलाते. फिर भी नकदी के इस्तेमाल को लेकर तमाम लोगों के बीच एक अजीब सी सुस्ती है.

कोरोना जब चरम पर है, चीन और साउथ कोरिया की बैंकों ने कोरोना वायरस के प्रसार को धीमा करने के लिए नोटों के डिसइन्फेंक्टिंग (कीटाणुओं का नाश करना) और क्वारंटिंग (अलग-अलग करना) की प्रक्रिया शुरू कर दी है. बाकी केंद्रीय बैंकों ने इस तरह के उपाय अपनाने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि कैश हैंडल करने से ज्यादा खतरा बाकी चीजों को छूने से है, जिन्हें अक्सर छुआ जाता है. जैसे PIN पैड्स.

उदाहरण के लिए बैंक ऑफ कनाडा ने रिटेलर्स को कहा है कि कैश के लिए मना करना बंद कर दें, क्योंकि इससे वो लोग परेशान हो रहे हैं, जो अदायगी के लिए केवल कैश पर ही निर्भर हैं. इतने सब आश्वासनों के बावजूद वायरस के फैलने के डर से डिजिटल पेमेंट की आदत बढ़ सकती है और समाज में कैश का इस्तेमाल कम हो सकता है. हालांकि एप्पल पे, वेनमो और गूगल पे जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम हाल के वर्षों में व्यापक तौर पर दुनियाभर में चलन में आ गए हैं, ये पेमेंट ऐप आजकल चल रही नकदी व्यवस्था को बदलने के लिए नहीं थे. इन ऐप्स के चलते असल में जो नोट चलन में हैं, उनमें कोई बड़ी कमी नहीं आई है.

संकट में कैशलैश होना
एक वैश्विक संकट आधारभूत बदलावों के लिए उत्प्रेरक का काम करता है. उदाहरण के लिए स्वीडन में हेलीकॉप्टर से हुई वास्टबर्गा लूट ने वहां एक कैशलैश सोसायटी को जन्म दिया. दुकानों, बैंको और यहां तक कि बसों में लगातार हुई चोरियों की श्रंखला के चलते स्वीडन ने अपने कामगारों की सुरक्षा के लिए कैश का चलन कम कर दिया. स्वीडन में कैश का चलन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है, 2010 मे ये जहां 39 फीसदी था, 2018 मे घटकर 13 फीसदी ही रह गया. फिलहाल स्वीडन में करीब 20 फीसदी रिटेलर्स अब कैश या नकदी को स्वीकार नहीं करते.

स्वीडन की सेंट्रल बैंक रिक्सबैंक ने 2017 में ये ऐलान किया था कि वो देश की एक नेशनल डिजिटल करेंसी ई-क्रोना की व्यावहारिकता को समझने के लिए एक पायलट प्रोग्राम की पहल करना चाहते हैं. हाल ही में रिस्कबैंक ने एसेंचर के साथ ई-क्रोना के तकनीकी पहलुओं के बारे में फैसला लेने के लिए एक ज्वॉइंट टेक्निकल प्रोजेक्ट शुरू किया है. अभी तक बस यही जानकारी बाहर आई है कि आने वाली डिजिटल करेंसी ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी. हालांकि जो पायलट प्रोग्राम हुआ था, उसकी पहले की रिपोर्ट के मुताबिक ये करेंसी केंद्रीय रूप से प्रबंधित होगी, ये सुनिश्चित करने के लिए कि केंद्रीय बैंक के पैसों की आवाजाही पर पूरा नियंत्रण हो.

चीन की डिजिटल करेंसी का परीक्षण
चीन ने भी हाल ही में अपने चार बड़े शहरों में अपनी डिजिटल करेंसी यानी डिजिटल युआन से जुड़ा पायलट प्रोग्राम शुरू किया था, लेकिन नेशनल डिजिटल करेंसी के इस प्रोग्राम से जुड़ी पूरी जानकारी बाहर नही आ पाई.  डिजिटल युआन को चीन की केंद्रीय बैंक ‘द पीपल्स बैंक ऑफ चाइना’ बैक कर रहा है, और ये नेशनल करेंसी से जुड़ी हुई है. ये संप्रभु डिजिटल करेंसी पारंपरिक क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटकॉइन आदि की तरह नहीं होगी, जो विकेंद्रीकरण को समर्थन देती हैं, और किसी भी सेंट्रल अथॉरिटी के द्वारा प्रबंधित नहीं की जाती. चीनी डिजिटल करेंसी के बारे में कहा जा रहा है कि उसमें असंयमित क्रिप्टोग्राफी (पब्लिक/प्राइवेट कीज) और स्मार्ट कॉन्ट्रेक्ट का इस्तेमाल हो रहा है, जो नियंत्रण करने लायक उपायों की इजाजत और जालसाजी पर रोक लगाने देता है.

डिजिटल युआन का केंद्रीयकरण होने से चीनी सरकार को पैसे के लेन-देन पर बेजोड़ निरीक्षण करने और नजर रखने की ताकत मिलेगी. इसके अलावा पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने डिजिटल युआन से जुड़े 50 पेंटेंट फाइल किए हैं, और इरादा डिजिटल करेंसी को कॉमर्शियल बैंकों के जरिये बांटने का है. चीन बैंक एक ऐसा ट्रैकिंग सिस्टम भी विकसित करने की योजना बना रहा है, जिसके जरिये डिजिटल करेंसी के मूवमेंट पर नजर रखी जा सकेगी. डिजिटल युआन की लॉन्चिंग का वक्त ऐसा है, जब दुनियाभर मे ब्याज की दरें कम हो रही हैं और दुनिया कोरोना महामारी से निपटने में व्यस्त है. इससे चीन को एक असामान्य मौका मिल रहा है. डिजिटल युआन का उद्देश्य इसके चलन को बढ़ाना है और आखिरी उद्देश्य अमेरिका के डॉलर की तरह एक ग्लोबल करेंसी बनना है.

देश की वित्तीय सुरक्षा पर नियंत्रण बनाए रखकर चीन का एक और उद्देश्य फेसबुक की लिब्रा जैसे निजी प्रतिद्वंदियों को भी मात देना है. चीन का मानना है कि जो डिजिटल करेंसी किसी देश की सरकार या केंद्रीय बैंको द्वारा जारी नहीं की जातीं, वो देशों की संप्रभुता के लिए खतरा है.   

कनाडा में भी आ रही डिजिटल करेंसी?
ऐसा लगता है बैंक ऑफ कनाडा को नकदी की प्रवत्ति के बारे में दोबारा सोचने और सेंट्रल बैंक के रोल को फिर से गढ़ने को लेकर गहरी रुचि है. केंद्रीय बैंक की ताजा जॉब पोस्ट में यह साफ इशारा किया गया था. केंद्रीय बैंक का अपनी डिजिटल करेंसी को डिजाइन करना और शुरू करना एक तरह से ‘प्रमुख सामाजिक महत्व के एक कार्यक्रम को शुरू करने जैसा’ होगा. प्रस्तावित डिजिटल करेंसी उपयोगकर्ता की प्राइवेसी की सुरक्षा करेगी लेकिन ये उस तरह की बेनामी सुविधा नहीं देगी, जैसी नकदी के लेनदेन में मिलती है. इसको सुलभ करने का इरादा है, जो इशारा करता है कि सभी कनाडाई नागरिक डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल कर पाएंगे. यहां तक कि वो भी जिनके पास मोबाइल फोन या बैंक खाता भी नहीं है.

जब से क्रिप्टोकरेंसी चर्चा मे आई है, ब्लॉकचैन में लोगों की रुचि बढ़ रही है. बहुत से देशों ने डिजिटल करेंसी के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया है. चूंकि कई केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी विकसित करने की रेस में शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं, 
इसलिए सरकारों को पहले परीक्षण करना चाहिए कि क्या वाकई इस तरह का कदम इकोनॉमी की कोई मदद कर पाएगा. नागरिकों को भी इस झमेले मे फंसने से पहले दिमाग से सोचना चाहिए क्योंकि नेशनल डिजिटल करेंसी के साथ प्राइवेसी से जुड़े गंभीर मुद्दे होंगे.

चीन और स्वीडन में प्रयोगों के मामलों को देखकर लग रहा है कि संकट के दौरान बदलावों का ऐलान करने में कहीं कोई कसर है, लेकिन संकट के दौरान डिजिटल करेंसी को लॉन्च करने से सरकारों को भयावह नई ताकत मिल सकती है. राज्य का रोल जबर्दस्त रूप से बदल सकता है. 

(अनवर मोहम्मद मैकमास्टर यूनीवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस से पीएचडी के शोधार्थी हैं और इस लेख में व्यक्त विचार उनके निजी विचार हैं)

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