डियर जिंदगी : 'जैसा है, वैसा है!'
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डियर जिंदगी : 'जैसा है, वैसा है!'

हम अचानक कुछ नहीं बनते. बनते हम आहिस्‍ता-आहिस्‍ता ही हैं. हां, हमें पता किसी एक दिन अचानक चलता है कि अरे! हम तो यह हो गए.

डियर जिंदगी : 'जैसा है, वैसा है!'

हम किसके साथ खुश रहते हैं! उसके साथ जो हमसे बेहतर हैं. उनके साथ जो हमसे कम जानते हैं. वह जो हमारी बात आसानी से मान लेते हैं. इन सबसे अलग वह लोग जो हमारी बात आसानी से मान लें, बिना किसी दलील, जिरह के. अपने साथ रहने के लिए, अपने साथ काम करने के लिए हम कैसी जगह, चीजें, साथी और कंपनी चाहते हैं. यह समझना जिंदगी का एक बड़ा हिस्‍सा है. क्‍योंकि हम समझ के आधार पर ही तो निर्णय करते हैं, जैसे हम निर्णय करते हैं, वैसे ही हम हर दिन होते-होते बनते जाते हैं. यह हर दिन बनाना असल में कुछ बनने की दिशा में सबसे बड़ा कदम है. हम अचानक से कुछ नहीं बनते. बनते हम आहिस्‍ता-आहिस्‍ता ही हैं. हां, हमें पता किसी एक दिन अचानक चलता है कि अरे! हम तो यह हो गए.

दूसरों को देखने और उनको अपने अनुसार ढालने का नजरिया, दुनिया की वह आदत है, जिसने इस धरती को संभवत: सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है. इस बात को सरलता से ऐसे समझिए कि हर बड़ा देश, नेता अपने से छोटे, कम शक्तिशाली देश को बस अपने नजरिए से नियंत्रित करना, चलाना चाहता है. यहीं से तो एक ऐसे संघर्ष की शुरुआत होती है, जो अंतत: दुनिया को एक अस्‍वाभाभिक और अशांत क्षेत्र में बदल देता है.

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देश और दुनिया को छोड़िए. दस बाई बीस के कमरे में रहने वाले दो लोग एक-दूसरे की चाहत का सम्‍मान करने की जगह एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश में जिंदगी को नरक बना लेते हैं. जो जैसा है, उसे वैसा ही स्‍वीकार करने की आदत लाखों लोगों का जीवन शांत, सुखमय बना सकती है.

एक छोटी-सी कहानी. जंगल में बैल और गैंडे की पक्‍की दोस्‍ती थी. उनकी संयुक्‍त शक्ति शेर पर भारी पड़ती. कोई मुकाबले में नहीं बैठता था. वजह बचपन में घनघोर जंगल में मुसीबत के समय दोनों एक-दूसरे का सहारा बने थे. तब दोनों अकेले थे. दुनिया से अपरिचित थे. दोनों एक-दूसरे को उनकी आदतों, गुणों, कमियों के साथ स्‍वीकार करते थे. 

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लेकिन जैसे-जैसे उनकी बुद्धि का 'विकास' होता गया. उनके मतभेद बढ़ते गए. उनके जीवन में एक लोमड़ी आ गई,  जिसने उन्‍हें बताया कि असल में यह मित्रता बेमेल है. बैल और गैंडे का तो असल में कोई साथ ही नहीं बनता. थोड़े ही समय में दोनों को यह विश्‍वास करा दिया गया कि ऐसे साथ का क्‍या मतलब, जिसमें एक-दूसरे के गुण न हों और बराबरी न हो. जैसे ही दोनों ने एक-दूसरे को 'जो जैसा है, वैसा है' के नजरिए से देखना बंद कर दिया. मित्रता दुश्‍मनी में बदल गई. लोमड़ी ने दोनों का शिकार शेर के साथ मिलकर कर लिया.

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यह तो हुई जंगल की बात, लेकिन हम मनुष्‍य जिनकी समझदारी के कसीदों से दुनिया की लाइब्रेरी लबालब हैं. वह क्‍या कर रहे हैं? हम रिश्‍तों को 'जो जैसा है, वैसा है' के नजरिए से देखने की जगह उसमें खुद को शामिल कर रहे हैं. दूसरों को समझने की जगह उनको समझाने में पूरी शक्ति लगाए जा रहे हैं.

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रिश्‍तों, संबंधों में सबसे अधिक क्‍लेश इससे ही हो रहा है. हम एक-दूसरे को 'जगह' देने की जगह एक-दूसरे पर हावी होने को बेकरार हैं. यह बेकरारी सबसे अधिक हमारी जिंदगी पर भारी पड़ रही है. इसने हमें एक ऐसी दुनिया में धकेलना शुरू कर दिया है, जहां जाने का रास्‍ता तो है, लेकिन निकलने की राह नहीं है.

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