....ओ सूरज दादा और कितना जलाओगे!
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....ओ सूरज दादा और कितना जलाओगे!

गर्मी का मौसम है तो ज़ाहिर सी बात है गर्मी होगी ही और होनी भी चाहिए क्योंकि कहा भी जाता है कि मौसम को मोटे तौर पर जाड़ा गर्मी बरसात के खानों में बांटा गया है और हर मौसम का अपना मज़ा और नुकसान दोनों ही हैं। गर्मी के मौसम में गर्मी की मार से यूं तो सभी बेहाल हैं क्या आम और क्या खास सभी पर गर्मी की तपिश भारी पड़ रही है।

ये दीगर बात है कि उच्च तबके को इसकी तपिश का एहसास कम होता है या यूं कहे कि कम वास्ता पड़ता है तो ग़लत ना होगा।उच्च तबके के पास एसी घर हैं एसी ऑफिस हैं और एसी कारें हैं और तमाम साधन हैं तो वो तो गर्मी से मात खाने से रहा, अब बात करते हैं इससे नीचे के तबके के लिए जिनके लिए मौसम शायद ही कभी रूमानी होता है और कभी वो भी मौसम के मिज़ाज से कदमताल करते चहकते हों।fallback

भीषण गर्मी हो या जाड़ा तेज़ बारिश हो या आंधी तमाम ऐसे लोग हैं जिनको काम के लिए अपनी रोजी रोटी की तलाश में घर से बाहर निकलना ज़रुरी ही नहीं बल्कि मज़बूरी भी है आखिर अपना और अपने परिवार का पेट जो पालना है। ऐसे तमाम लोगों के लिए भीषण गर्मी और लू का प्रकोप बेहद जानलेवा साबित हो रहा है।

कहीं पारा 46 और 47 तो कहीं 48 और 50 को भी छू रहा है। पारे का तीखापन बढ़ता ही जा रहा है और गर्मी से जूझने के तमाम उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं। गर्मी और लू पहले भी पड़ती थी लेकिन तब उसके दुष्परिणाम इतने ज़्यादा नहीं होती थी तब शायद प्रकृति के साथ इतना खिलवाड़ करने की लोगों की प्रवृति नहीं थी और प्रकृति भी हमें कई आपदाओं से महफूज़ रखती थी।

भारत के तमाम राज्य ना सिर्फ इस वक्त पानी की भारी कमी से जूझ रहे हैं बल्कि भयंकर पानी संकट के चलते लड़ाई झगड़े और मारपीट के किस्सों का सिलसिला जारी है। बात यहीं तक सीमित होती तो भी गनीमत थी लेकिन पानी संकट के चलते जब जान देने का सिलसिला ही शुरु हो जाए तो इससे दुखद और क्या होगा।

और तो और बहुमूल्य संपत्ति की रक्षा करने जैसा ही पानी पर भी पहरा बैठ जाए तो क्या कहेंगे आप मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में जमुनिया नदी के किनारे हथियारबंद लोग पानी की रक्षा कर रहे हैं क्योंकि डर है कि उत्तरप्रदेश वाले उनका पानी ना चुरा लें।fallback

बुंदेलखंड, विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र सूखे की भारी समस्या से जूझ रहे हैं। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में सूखे ने किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी बड़ी परेशानी में डाल दिया है। सूखे की मार झेर रहे महाराष्ट्र में हालात काफी चिंताजनक बने हुए हैं। वहां के कई जिलों से लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।

वहीं लातूर के लोगों की प्यास बुझाने के लिए ट्रेन से पानी पहुंचाया गईं। महाराष्ट्र के बीड में जहां पिछले तीन सालों से सूखा पड़ रहा है। वहां रहने वाले किसानों की हालात इस कदर खराब हो गई है कि वो खुदकुशी कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में भी सूखे से हालात बुरे हो गए हैं वहां के टीकमगढ़ में जमुनिया नदी के किनारे हथियारबंद लोग पानी की रक्षा कर रहे हैं। देश के कई राज्यों में सूखे के हालात हैं ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की, कोर्ट ने कहा कि वहां के हालात गंभीर हैं और केंद्र सरकार इस बात से इंकार नहीं कर सकती कि वहां हालात खराब हैं।

पानी के लिए इतनी हाय तौबा कृषि प्रधान देश भारत में किसी ने ऐसी कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि ऐसे भी दिन आयेंगे कि पानी की पहरेदारी होगी और पानी के लिए लोग खुदकुशी करेंगे और जान लेने पर भी अमादा हो जायेंगे।

इसके पीछे की वजहों के लिए भी हम खुद ही ज़िम्मेदार हैं, ज्यों ज्यों हम विकास की अंधी दौड़ में शामिल होते गए और वनों को साफ करने की मुहिम में अंधाधुंध जुटे हुए हैं। नए पेड़ तो बहुत थोड़ी तादात में लग रहे हैं और शहरों से पेड़ साफ होते जा रहें हैं।

थोड़ा फ्लैशबैक में जाते हैं हम सभी ने अपने बचपन में पेड़ों के नीचे कितने खेल खेले और गर्मियों के मौसम में भी पेड़ों की छांव में गर्मी की छुट्टियां मजे से बिताईं हैं। तब पेड़ों की घनी छांव से लोगों को बड़ा आसरा होता था और उसकी छांव से ही वो गर्मी को मात देते रहते थे।fallback

लेकिन समय बदला और हम आधुनिक होते गए और छांव देने वाले पेड़ हमें चुभने लगे तो क्यों ना उन्हें साफ कर दिया जाए इसी सबमें लोग जुटे हैं। अब प्रकृति के साथ खिलवाड़ करेंगे तो प्रकृति तो अपनी रौद्र रुप दिखाएगी ही, प्रकृति मूक रहकर भी हमें कई संकेत देती है और इसको अभी भी ना समझे तो आने वाले समय में और भी बढ़ी तबाही और भारी दिक्कतों के लिए तैयार रहना होगा और इसे महज़ चेतावनी नहीं समझिए ये संकेत है आने वाली तमाम दुश्वारियों का जिसकी कल्पना भी आसां नहीं.....

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