सरस बनारस
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सरस बनारस

मैं अपना नाम नहीं बताउंगा। सिर्फ अपने बारे में बताउंगा और आप मुझे पहचान लेंगे। आजकल वैसे तो मेरा नाम हर जुबां पर है जिससे दिल बाग- बाग रहता है। मेरे कई नाम हैं कई पहचान है, कई खासियत है। विश्वप्रसिद्ध हूं अपनी खूबियों लिए। मेरी उम्र का तो पता नहीं पर भोलेनाथ की तरह अजन्मा सा हूं। यहां सभी ऋषि मुनि से लेकर विदेशी तक मेरा गुणगान करते हैं। मैं अनगिनत लेखकों की कलम से गंगा की अविरल धारा की तरह बहा तो शिव की जटा से निकली गंगा की तरह मेरा नाम विश्व के हर कोने तक फैला हुआ है। मैं तपस्थली हूं पर मेरा स्वरुप आज इस आधुनिक युग में भी परिवर्तित नहीं हुआ है। मेरा अस्तित्व बरकरार है।

सरस बनारस

मैं अपना नाम नहीं बताउंगा। सिर्फ अपने बारे में बताउंगा और आप मुझे पहचान लेंगे। आजकल वैसे तो मेरा नाम हर जुबां पर है जिससे दिल बाग- बाग रहता है। मेरे कई नाम हैं कई पहचान है, कई खासियत है। विश्वप्रसिद्ध हूं अपनी खूबियों लिए। मेरी उम्र का तो पता नहीं पर भोलेनाथ की तरह अजन्मा सा हूं। यहां सभी ऋषि मुनि से लेकर विदेशी तक मेरा गुणगान करते हैं। मैं अनगिनत लेखकों की कलम से गंगा की अविरल धारा की तरह बहा तो शिव की जटा से निकली गंगा की तरह मेरा नाम विश्व के हर कोने तक फैला हुआ है। मैं तपस्थली हूं पर मेरा स्वरुप आज इस आधुनिक युग में भी परिवर्तित नहीं हुआ है। मेरा अस्तित्व बरकरार है।

आज जहां विश्व की तमाम धरोहर अपनी सभ्यता-संस्कृति और अस्तित्व खो चुकीं हैं वहीं मेरा रुतबा आज भी बरकरार नहीं वरन दिन पर दिन इसमें चार चांद ही लग रहा है। सूर्य की रश्मियां जब यहां बहतीं हैं और अमृत जलधारा पर पड़ती है तो मानो विश्व का पहला सृजन अभी यहीं से प्रारम्भ होने वाला है। यूं तो लहरों पर नाव मुझे बच्चों के कागज़ की क़श्ती के समान महसूस होती है।ज्वार भाटा मेरे गुस्से और पश्चाताप की झलक है। तो तपोबली वर्षों से मेरा मान बढ़ाते आ रहे हैं। मेरी ऊर्जा का संचार सम्पूर्ण विश्व में करते हैं। प्रात:कालीन घंटा निनाद और नमाज़ की अजान से यहां उगने वाले सूर्य का दिन शुरु होता है  और गंगा की विहंगम आरती से दिन ढलान पर नहीं बल्कि और ऊर्जावान हो जाता है। यहां गंगा आरती देखने विश्व के कोने कोने से सैलानी आती हैं।

साइकिल की झिन झिन से लेकर लोगों के चूने के समान सफेद मीठी भाषा यहां लुका छिपी का खेल खेलती है। विदेशों से आने वाले सैलानी बड़ी तादात में आते हैं। तो मुंह में बिना पान ठेले, जबान लाल किये बात नहीं निकलती। लड़के बड़े होते ही गुरु तो लड़कियां सुहाग के सपने में, यहां की साड़ियों में खो जाती हैं। दूर दूर से लोग यहां अपनी बेटियों और बहुओं के लिए कामदार साड़ियां खरीदने आते हैं। विश्व मार्केट में अच्छी पैठ है अपनी। लोग जब सड़कों पर चलते हैं तो खाने की याद उन्हें सताने लगती है, गलियों में कचौड़ी की खुशबू आये बिना ही मन कचौड़ी खाने को करता है तो ठठेरी गली में मन शांत होता है। देश में जहां गो हत्या पर इतनी सुर्खियां बन चुकीं हैं वहीं यहां के बासिंदे गो माता का सत्कार करना नहीं भूलते। चलते- चलते सिर अपने आप झुक जाता है क्योंकि घंटी बजे न बजे नजर स्वंय झुक जाती है, हाथ खुद ब खुद उठ जाता है क्योंकि श्रद्धा स्वंय पग पग पर खड़ी मिल जाती है।

विचित्र स्वरुप है मेरा!! सूर्य का प्रकाश मानो नयी शक्ति और ऊर्जा के साथ एक नया संदेश दे रहा हो। वहीं गंगा किनारे जब मधुर वाद्द संगीत कानों में पड़ जाये तो दिन का सफर सुहाना हो जाता है। आदिकाल से लेकर अब तक  मैं यूंही खड़ा हूं अपना सर उठाये। यहां के मंदिर जो दूर से ही नजरों में बस जाते हैं और अंदर आकर नजर एक बार ऊपर तो एक बार नीचे जरुर जाती है। लोगों ने किताबों में पढ़ा जो है कि चांदी के सिक्के जमीन में पत्थरों पर बसाये गये हैं और कलश खरा सोना है। विश्वप्रसिद्ध कालेज बसते हैं यहां।

जहां से निकला हर छात्र स्वंय को गौरवान्वित महसूस करता है। इस विश्वप्रसिद्ध कालेज को बनाने के लिए एक संत की तरह तप किया महामना मदन मोहन मालवीय ने। तब जाकर बी एच यू की स्थापना 1916 में हुई। संस्कृत भाषा का अध्ययन करने के लिए एकमात्र विश्वस्तरीय केंद्र रहा हूं मैं।संस्कार और विचारों का संगम है मेरा नाम। भक्तों की भक्ति तो पापों से मुक्ति सब यहीं मिलती है। हर श्रद्धा का अंतिम छोर हूं मैं। जीवन शुरु भले मुझसे न हो पर, जीवन धूल इस गंगा तट के किनारे से धीरे से गंगा में मिल जाना ही प्रत्येक आस्था के विश्वास में समाया हुआ हूं मैं। यहां के आकाश में धूल भले छा जाये पर, मजाल है धरती पर उसका असर कहीं दिख जाय। परंपरा मेरे अंदर पनपी, रची और बसी हुई है। जहां आज भी लज्जा घूंघट में चलती है तो अटखेलियां पंख पसारे चलती हैं। कोई रोक नहीं कोई टोक नहीं। पूरा देश मुझमें सिमटा हुआ है इसलिए मुझे मिनी इंडिया भी कहा जाता है।

अब आपको अपने विषय में थोड़ा वृहद् पूर्वक बताता हूं। यूं तो मैं यारों का यार दिलदारों का दिलदार हूं लेकिन, खुद को जब आज देखता हूं तो राजघाट से लेकर अस्सी घाट के बीच त्रिलोचन, गाय, सिंधिया, अहिल्या, मणिकर्णिका ब्रह्म, दशाश्वमेध, हरिश्चंद, केदार, हनुमान, तुलसी घाट जस के तस बने हुए हैं। हर घाट की अपनी एक कथा और व्यथा है। सौभाग्य हर उस समर्पित पत्थर और समर्पित भावना का जिसने गंगा के आंचल में गोटे जड़ दिये और मजबूत किनारा घाटों के नाम पर बेटों की फौज तैयार हो गयी। जो आज भी शान से सैनिक की तरह खड़े रहते हैं मां गंगा की सेवा में। 1500 मंदिरों के बीच आस्था का प्रतीक स्वरुप बन चुका हूं मैं। लोग यहां पर्यटन से भी ज्यादा तीर्थाटन के उद्देश्य से अधिकतम मात्रा में आते हैं। पंचकोष तक मेरे हाथ फैले हैं पर अब मेरे हाथ पंचकोषी के दायरे से ज्यादा लम्बे हो चुके हैं। कहते हैं जिसने जीवन की अंतिम सांस मेरी पनाह में ली उसे परमगति की प्राप्ति होती है।

संवत 1680 में अस्सी गंग के तीर,
श्रावण शुक्ला सप्तमी , तुलसी तज्यो शरीर...

वरुणा और अस्सी के संगम के कारण ही मेरा नाम पड़ गया। मेरा महत्तव तब बढ़ गया जब प्रलय के दौरान मेरी रक्षा करने स्वंय भोलेनाथ आ गये और अपने त्रिशुल पर मुझे धारण कर लिया। तब से लेकर अब तक उसी रुप में मेरा अस्तित्व आज भी कायम है। भोले को यह नगरी उतनी ही प्रिय है जितनी पार्वती जी को शिवजी। मैं गवाह हूं उस पल का, जब सत्यवादी राजा हरिश्चंद ने अपने वचन की खातिर अपनी पत्नी और बेटे तक को नीलाम कर दिया था। संत कबीर की इच्छा, इच्छा ही रह गयी मेरे स्थान पर अंतिम सांस लेने की। आजकल अखबारों से लेकर टीवी माध्यम वालों के लिए अनिवार्य विषय बन चुका हूं। यूं तो मैने कई विद्वान, कलाकार और हस्तियों को जन्म दिया पर मुझे अपनाकर गर्व की अनुभूति करने वालों में एक विशेष नाम जुड़ चुका है- हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी का। विस्तारीकरण से पनपी कुछ व्याधियों को दूर कर मेरा स्वरुप और आधुनिक बनाने का फैसला लेकर मेरा मान बढ़ाया है।

अति प्राचीनकाल से अति आधुनिक काल का काल देखा है मैंने। संघर्ष से लेकर शून्य के विराम की परिभाषा का एहसास किया है मैंने। परंपरा और सभ्यता को धारण कर बदलते समय के साथ चल लेता हूं। पल-पल का एहसास करता हूं मैं। खुद को कभी बदला हुआ तो कभी चिरकाल के आगोश में खोया हुआ समर्पित पाता हूं। यहां सभी मजहब मेरे रस में घुल से जाते हैं क्योंकि मैं रसों में रस बनारस हूं।

(लेखिका ज़ी एमपी/सीजी में असिस्टेंट प्रोड्यूसर हैं)

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