क्या श्रीदेवी ने एक महिला सुपरस्टार होने की कीमत मौत से चुकाई?
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क्या श्रीदेवी ने एक महिला सुपरस्टार होने की कीमत मौत से चुकाई?

एक्ट्रेस श्रीदेवी का आकास्मिक निधन साल 2018 की शॉकिंग न्यूज में से एक है, जिसने एक बार फिर हमारा ध्यान खोखले होते समाज और उसके मूल्यों पर केंद्रित कर दिया है.

क्या श्रीदेवी ने एक महिला सुपरस्टार होने की कीमत मौत से चुकाई?

नई दिल्ली (आकांक्षा स्वरूप) एक्ट्रेस श्रीदेवी का आकस्मिक निधन साल 2018 की शॉकिंग न्यूज में से एक था, जिसने एक बार फिर हमारा ध्यान खोखले होते समाज और उसके मूल्यों पर केंद्रित कर दिया है. एक्ट्रेस के निधन की खबर मिलने पर मैं खुद को ये सवाल करने से नहीं रोक सकी कि क्या श्रीदेवी की असामयिक मौत के पीछे सोसाइटी का वो दबाव भी एक वजह से जिसमें व्यक्ति से उम्र को दरकिनार करते हुए हमेशा सुंदर दिखने की अपेक्षा की जाती है. खुद को सुंदर दिखाने के लिए लगातार सर्जरी, इम्प्लांट्स और बोटोक्स का सहारा लेने की प्रवत्ति दुनियाभर में तेजी से फैल रही है. सोशल मीडिया पर इनके फोटो लाइक कर हम उन्हें ऐसा करने के लिए उकसा रहे हैं. एक जागरुक समाजिक नागरिक होने के नाते हमें जल्द से जल्द इस समस्या पर ध्यान देने की जरूरत है.

ये बात किसी से छुपी नहीं है कि श्रीदेवी और उनकी बेटी जाह्नवी अमेरिका के कैलिफोर्निया निवासी हॉलीवुड सेलिब्रिटी कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. राज कनोडिया के रेग्यूलर कस्टमर थे. इस बात का सबूत डॉक्टर राज के इंस्टाग्राम अकाउंट पर श्रीदेवी और जाह्नवी के साथ उनकी फोटो से भी मिलते हैं. डॉ. राज के इंस्टाग्राम अकाउंट पर शाहरुख खान और गौरी जैसे सैलेब्स के भी फोटो देखे जा सकते हैं.

श्रीदेवी: यूं बि‍जली गि‍रा कर चले जाना

क्या श्रीदेवी का मामला हमें जगाने के लिए काफी नहीं है? क्या ये घटना एक वजह के रूप में काफी नहीं है कि हमें उस सोच का खत्म करने की जरूरत है जिसमें हम किसी व्यक्ति के लिए शरीर या सुंदरता को लेकर पहले ही मापदंड तय कर देते हैं. और जिन्हें पूरा करने के लिए लोग कॉस्मेटिक सर्जरी से लेकर कई चीजों का सहारा ले रहे हैं. क्योंकि उन्हें पता है कि सोसाइटी द्वारा तय इन स्टैंडर्ड में झुर्रियों, सफेद बाल आदि के लिए कोई जगह नहीं है.

श्रीदेवी के सोशल मीडिया पर शेयर फोटोज को देख लाखों लोग उनकी सुंदरता के कायल हो जाते थे. लेकिन मनीष मल्होत्रा और सब्यसाची जैसे डिजाइनर के लिए मॉडल की तरह काम करने का अपना ही प्रेशर है. पुरुषवादी सोच और उनके ब्यूटी स्टैंडर्ड को पूरा करने के लिए जो कुछ भी किया जाता है उसके नकारात्मक प्रभाव का एक सबूत हम सभी को रविवार को देखने को मिला.

श्रीदेवी को श्रद्धांजलि: मौत से बढ़कर कोई चालबाज नहीं

मैं ये भी सोचती हूं कि श्रीदेवी के जरिए अपने लुक को लेकर नेगेटिव होती सोच को बदलने में किसी तरह से उनके पति बोनी कपूर भी मदद कर सकते है. वे उन्हें बार-बार यदि उन्हें ये भरोसा दिलाते कि वे वैसे ही बेहद खूबसूरत हैं और उन्हें किसी सर्जरी या अन्य चीजों की जरूरत नहीं तो क्या आज नतीजे कुछ और होते?

 

 

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एक मां, सुपरस्टार, पेंटर जैसे श्रीदेवी की शख्सियत के कई रंग थे, लेकिन शायद हम महिला की सुंदरता पर केंद्रित हमारी सोच के कारण इन सभी पर ज्यादा ध्यान ही नहीं सके. इस समाज में महिला होने की ट्रेजडी यही है कि 50 कि उम्र में भी आपको सुंदरता के मापदंड के अनुसार खुद की जिंदगी जीनी होती है. शायद अब समय आ गया है कि हमें 'एजिंग ग्रेसफुली' का मतलब फिर से खोजने और उसे अपनाने की जरूरत है.

(लेखिका आकांक्षा स्वरूप WION में Entertainment Correspondent हैं)

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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