एल एंड टी मुंबई ओपन में क्वार्टर फाइनल तक पहुचने वाली अंकिता रैना से जानकारों को काफी उम्मीदें हैं
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मुंबई : क्या अहमियत होती हैं उन महिला खिलाड़ियों की जो डब्ल्यूटीए रैंकिंग में 250 से नीचे हैं लेकिन बेहतरी के लिए आशांवित हैं. टूर्नामेंट दर टूर्नामेंट, पहले नही तो दूसरे, दूसरे नहीं तो तीसरे दौर में बाहर हो जाना, और उसके बाद फिर अगले टूर्नामेंट की तैयारी. लेकिन ऐसे में क्या कोई खिलाड़ी सिर्फ इसीलिए ध्यान आकर्षित कर पाता है कि उसके खेल में बेहतरी की बहुत गुंजाइश है.
कई खूबियां हैं जो एक बड़े खिलाड़ी में होती हैं. बस कुछ खास किस्म के सुधार हो जाएं तो फिर हमें सानिया मिर्जा की तरह एक और टेनिस स्टार मिल जाए? क्या यह मुमकिन है? क्या ऐसी संभावनाओं वाली खिलाड़ी देश में हैं?
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जी हां! मिलिए, हाल ही में एल एंड टी मुंबई ओपन में क्वार्टर फाइनल तक पहुचने वाली अहमदाबाद से आईं 24 वर्षीय अंकिता रैना से. अंकिता की डब्ल्यूटीए रैंकिंग 293 है और वे क्वार्टर फाइनल में अपने बेहतर रैंकिंग वाली फ्रेंच खिलाड़ी से हार भी गईं लेकिन उससे पहले अंकिता ने क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के लिए अपने से बेहतर रैंकिंग वाली दो खिलाड़ियों को हराया.
क्वार्टर फाइनल में अंकिता सीधे सेटों में हारी लेकिन दूसरा सेट टाईब्रेकर तक ले गईं. बिला शक एमेंडीन एसे, जिनकी हाल की रैंक 265 है जो कभी 154 थी, ने खेल के हर विभाग में अंकिता को मात दी. लेकिन खेल के जानकार किसी भी मैच को हार जीत के तौर पर नहीं देखते.
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अंकिता के लिए यह केवल एक टूर्नामेंट खत्म हुआ है लेकिन भविष्य की संभावनाएं नहीं. अंकिता का खेल देखने वाले भी अंकिता का भविष्य बेहतर देख रहे हैं. खास तौर कोर्ट को कवर करने की उनकी क्षमता काफी आकर्षक रही. और कई मौकों पर अपनी प्रतिद्वंदी खिलाड़ी को असहज कर दिया.
अंकिता अपने टूर्नामेंट में खेलने खुद ही जाती हैं और सब खुद ही मैनेज करतीं हैं. हालांकि हार उनको निराश कर देती है लेकिन मुंबई टूर्नामेंट में क्वार्टरफाइनल तक इस तरह से एकमात्र भारतीय के तौर पर पहुंचना यकीनन उनमें एक तरह की परिपक्वता विकसित कर देगी. अंकिता इस स्तर पर आत्मविश्वास वाकई काबिले तारीफ है.