'उधार के उपकरणों से खेला एशियाड, तीरंदाज चाहते हैं सम्मान'
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'उधार के उपकरणों से खेला एशियाड, तीरंदाज चाहते हैं सम्मान'

बरेली में जन्में इस तीरंदाज ने कहा कि सरकार ने एशियाई खेलों के लिए उन्हें 2.5 लाख रुपए दिए थे, लेकिन यह पैसे उनके खाते में जकार्ता रवाना होने से केवल दो दिन पहले आए थे. 

रिकर्व तीरंदाज विश्वास एशियाई खेल 2006 के ब्रॉन्ज मेडल विजेता हैं (फाइल फोटो)

जकार्ता : उधार या उपयोग किए गए उपकरणों के साथ एशियाई खेलों में खेलने को मजबूर रिकर्व तीरंदाज विश्वास ने कहा कि जब तक अधिकारी उनसे दूसरे दर्जे के खिलाड़ियों जैसा बर्ताव करना नहीं छोड़ेंगे तब तक बड़े स्तर पर अच्छे परिणाम देना मुश्किल होगा. भारतीय सेना में कार्यरत विश्वास ने कहा कि यह देखकर दुख होता है कि उन्हें पदक का दावेदार नहीं माना जाता है और सरकार उचित प्रशिक्षण के लिए उन्हें सहयोग प्रदान नहीं करती है. एशियाई खेल 2006 के ब्रॉन्ज मेडल विजेता विश्वास ने यहां पुरुष व्यक्तिगत रिकर्व में बाहर होने के बाद कहा, ''उन्हें हमसे कोई उम्मीद नहीं होती है और शायद यही वजह है कि उन्होंने हमें टॉप्स में शामिल नहीं किया. मैं या तो उधार के उपकरणों से खेलता हूं या फिर अन्य तीरंदाजों से उपकरण खरीदता हूं. क्या इससे आपका प्रदर्शन प्रभावित नहीं होगा?'' 

इस तीरंदाज ने कहा कि उन्होंने पुराने उपकरण खरीदकर अपनी किट पूरी की. उन्होंने कहा, ''सहयोग सभी को मिलना चाहिए. साई, ओजीक्यू, गोस्पोर्ट सभी शीर्ष खिलाड़ियों को सहयोग देते हैं. हमें ऐसा लगता है जैसे हम दूसरे दर्जे के खिलाड़ी हैं.'' 

बरेली में जन्में इस तीरंदाज ने कहा कि सरकार ने एशियाई खेलों के लिए उन्हें 2.5 लाख रुपए दिए थे, लेकिन यह पैसे उनके खाते में जकार्ता रवाना होने से केवल दो दिन पहले आए थे. 

उन्होंने कहा, ''अब यह राशि मेरे खाते में पड़ी हुई है. अगर उन्होंने मुझे पहले यह धनराशि दी होती तो मैं इसका उपयोग कर सकता था. और यह पर्याप्त नहीं है. एक अच्छे धनुष और 12 तीरों के सेट को खरीदने के लिये तीन से चार लाख रूपये चाहिए. इस 2.5 लाख रुपए की धनराशि से मैं केवल पुराने उपकरण ही खरीद सकता हूं.''

विश्वास ने कहा, ''वर्ष 2014-15 में हमारे लिए 2.5 लाख रुपए का बजट था और चार साल बाद भी उतना ही बजट है. वे कब यह बात समझेंगे कि हमारा चयन एशियाड के लिए किया गया है और उन्हें जल्दी धनराशि जारी करनी होगी. अगर हम कुछ कहते हैं तो वे कहते हैं कि पहले आप पदक लाओ फिर हम मदद करेंगे.''

विश्वास से पूछा गया कि क्या उपयोग किए गए उपकरणों से खेलने से प्रदर्शन में बड़ा अंतर पैदा होता है तो पुणे में रहने वाले इस तीरंदाज ने कहा, ''हो सकता है कि इससे ज्यादा अंतर नहीं पड़े लेकिन अगर प्रतियोगिता के दौरान उपयोग किये उपकरणों से मुझे नाकामी मिलती है तो फिर क्या होगा.'' 

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना का सहयोग महत्वपूर्ण है और इसलिए वह खेल में बने हुए हैं. विश्वास ने कहा, ''वे बहुत सहयोग करते है लेकिन व्यवस्था ऐसी है कि औपचारिकताएं पूरी करने में लंबा समय लगता है.'' 

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