रणजी सत्र से पहले पंडित ने वीसीए से पूछा था, इनामी राशि का आप क्या करोगे
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रणजी सत्र से पहले पंडित ने वीसीए से पूछा था, इनामी राशि का आप क्या करोगे

पांच दशक के प्रयास के बाद पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने के बाद विदर्भ क्रिकेट संघ (वीसीए) के उपाध्यक्ष प्रशांत वैद्य ने वह समय याद किया जब पिछले सत्र में अनुबंध होने के बाद पंडित ने पूछा था कि वे इनामी राशि का क्या करेंगे.

प्रथम श्रेणी कोच के रूप में पंडित का रिकार्ड शानदार है (फाइल फोटो)

इंदौर: कमजोर माने जाने वाले खिलाड़ियों के साथ भारत के सबसे प्रतिष्ठित घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट को जीतना छोटी उपलब्धि नहीं है लेकिन विदर्भ के कोच चंद्रकांत पंडित इतने आश्वस्त थे कि वह रणजी सत्र की शुरुआत में ही इस उपलब्धि के लिए मिलने वाले पुरस्कार को लेकर पूछताछ करने लगे थे. पांच दशक के प्रयास के बाद पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने के बाद विदर्भ क्रिकेट संघ (वीसीए) के उपाध्यक्ष प्रशांत वैद्य ने वह समय याद किया जब पिछले सत्र में अनुबंध होने के बाद पंडित ने पूछा था कि वे इनामी राशि का क्या करेंगे.

  1. विदर्भ के कोच ने किया सवाल 
  2. मैच से पहले ही पूछा  इनामी राशि का क्या करेंगे.
  3. रणजी सत्र के पहले ही आश्वस्त दिखे पंडित

वीसीए के हैरान अधिकारी ने इस पर पंडित से पूछा था कि वह किस इनामी राशि की बात कर रहे हैं? इस पर कई बार के रणजी विजेता कोच ने कहा, ‘वह जो रणजी ट्रॉफी विजेता को मिलता है.’’ यहां खिताबी मुकाबले में दिल्ली पर विदर्भ की नौ विकेट की जीत के बाद वैद्य ने कहा, ‘वह इतने आत्मविश्वास से भरे थे कि ट्रॉफी जीतने के बारे में सोचने लगे थे, इसलिए मैंने सोचा कि यह सत्र विदर्भ के लिए अच्छा होने वाला है, उसके (पंडित के) पहले दिन नागपुर आने के साथ ही मैंने विश्वास करना शुरू कर दिया था.’

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प्रथम श्रेणी कोच के रूप में पंडित का रिकार्ड शानदार है, इस पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने कोच के रूप में तीन बार रणजी खिताब जीता और इस दौरान चार बार उनकी टीम फाइनल में पहुंची, पिछले सत्र में गुजरात के खिलाफ फाइनल में हार के बाद मुंबई ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. मुंबई का यह नुकसान विदर्भ के लिए फायदेमंद साबित हुए क्योंकि रणजी विजेता खिलाड़ी और कोच के रूप में पंडित का अनुभव टीम के काफी काम आया. पंडित ने कहा, ‘‘मैं हमेशा उपलब्धियों के बारे में सोचता हूं, सभी खिताब जीतना चाहते हैं लेकिन मुझे लगता है कि यह जीत टीम को ही नहीं बदलेगी बल्कि इसका युवाओं पर भी असर होगा, 14 या 16 साल के खिलाड़ी भी आगे बढ़कर कह सकेंगे कि वे भी जीत सकते हैं, विदर्भ में इस तरह की संस्कृति से मुझे खुशी होगी.’’

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पंडित का काम करने का अपना तरीका है और उन्हें इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप पसंद नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘हम अपना नियमित कार्य करते है और यह सर्वश्रेष्ठ चीज है जो हमने की, सारा श्रेय खिलाड़ियों को जाता है क्योंकि उन्होंने कड़ी मेहनत की, उन्होंने जिस तरह मेरा सम्मान किया उससे मैं काफी खुश हूं और खिलाड़ियों ने कभी उस प्रणाली की अनदेखी नहीं की जिसका हमने पालन किया,’’ पंडित ने अपने अभियान में मदद के लिए सहयोगी स्टाफ भी की तारीफ की, उन्होंने कहा, ‘‘जब आप अच्छा नहीं करते तो लोग कहते हैं कि टीम में एकजुटता नहीं है, ऐसा नहीं है, सहयोगी स्टाफ भी उतनी ही मदद करता है, गेंदबाजी कोच सुब्रतो बनर्जी का काफी सहयोग मिला,’’

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उन्होंने कहा, ‘‘तेज गेंदबाजों का प्रदर्शन देखो, विशेषकर (रजनीश) गुरबानी का, इससे मदद मिली, वसीम जाफर, सतीश आदर्श हैं,’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज (अक्षय) वाडकर जैसे युवाओं ने अच्छा प्रदर्शन किया क्योंकि फैज (फजल) जैसे खिलाड़ियों ने ड्रेसिंग रूम में सकारात्मक ऊर्जा डाली, हम उन्हें निखार भी रहे हैं.’

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