वाडेकर से जुड़ी 5 कहानियां: डर था कि हो जाएंगे टीम से ड्रॉप, पर विजय मर्चेंट ने बना दिया कप्तान
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वाडेकर से जुड़ी 5 कहानियां: डर था कि हो जाएंगे टीम से ड्रॉप, पर विजय मर्चेंट ने बना दिया कप्तान

वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में पहली सीरीज जिताने वाले कप्तान अजीत वाडेकर से जुड़ी पांच दिलचस्प कहानियां... 

वाडेकर ने भारत को अपनी कप्तानी में 1971-72 में लगातार तीन सीरीज जिताई थीं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में पहली सीरीज जिताने वाले कप्तान अजीत वाडेकर नहीं रहे. 77 साल के वाडेकर का बुधवार रात निधन हो गया. भारतीय क्रिकेट को नई उंचाइयां देने वाले वाडेकर के कप्तान बनने से लेकर उनकी कप्तानी तक के किस्से बड़े रोचक हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने टीम मैनेजर के रूप में भी कई रिकॉर्ड अपने नाम किए. चयनकर्ताा भी रहे. उनके क्रिकेटर से चयनकर्ता बनने के इस सफर में कई रोचक किस्से और जुड़ गए. ऐसी ही पांच कहानियां...

  1. क्रिकेटर बनने से पहले इंजीनियर बनना चाहते थे अजीत वाडेकर

    1971 में विंडीज टूर से पहले टीम में चुने जाने का भरोसा नहीं था

    भारतीय टीम के सफल टीम मैनेजर और चयनकर्ता भी रहे वाडेकर

तीन रुपए का ऑफर मिला तो बन गए क्रिकेटर 
वाडेकर इंजीनियर बनना चाहते थे। वे एक बार अपने सीनियर और पड़ोसी बालू गुप्ते के साथ कॉलेज जा रहे थे। बालू कॉलेज की क्रिकेट टीम में थे। उन्होंने अजीत से पूछा, 'हमारी प्लेइंग इलेवन बहुत मजबूत है. क्या आप 12वें खिलाड़ी बनेंगे? इसके लिए आपको तीन रुपए मैच फीस मिलेगी।' अजीत ने ऑफर स्वीकार कर लिया. बाद में सुनील गावस्कर के मामा माधव मंत्री ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें क्रिकेट को करियर बनाने की सलाह दी.

जब पटौदी ने कहा, तुम कप्तान बनने वाले हो 
1971 में भारतीय टीम को वेस्टइंडीज दौरे पर जाना था. टीम चयन से पहले नेट प्रैक्टिस के बाद वाडेकर ने तब के कप्तान मंसूर अली खान पटौदी से कहा, 'टाइगर, मेरी फॉर्म अच्छी नहीं है. रन नहीं बन रहे हैं. देखो, टीम में चुना जाता हूं या नहीं.' पटौदी ने जवाब दिया 'क्या मजाक कर रहे हो. तुम कप्तान बनने जा रहे हो.'  पटौदी की बात सही हुई और वाडेकर विंडीज दौरे के लिए कप्तान बना दिए गए. 

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मोहम्मद अजहरुद्दीन ने यह तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की है. उन्होंने वाडेकर को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें पितातुल्य बताया. 

विजय मर्चेंट के निर्णायक वोट से कप्तान बने  
1971 में वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारतीय कप्तान चुना जाना था. किसी नाम पर सहमति नहीं बन रही थी. चयनसमिति में शामिल विजय मर्चेंट चाहते थे कि टीम की कमान वाडेकर को सौंपी जाए. इस पर चयनसमिति आधी-आधी बंट गई. तब मर्चेंट ने वाडेकर के पक्ष में निर्णायक वोट दिया. बताते हैं कि मर्चेंट उस मीटिंग में इतने गुस्से में आ गए थे कि बाकी सदस्यों को लगने लगा कि कहींं उन्हें हार्ट अटैक न आ जाए. मर्चेंट को इससे पहले हार्ट अटैक आ चुका था.

इंग्लैंड में जब पहली जीत मिली, तब झपकी ले रहे थे वाडेकर  
भारतीय टीम 1971 में वेस्टइंडीज को हराने के बाद इंग्लैंड दौरे पर गई. सीरीज के पहले दो टेस्ट ड्रॉ रहे. ओवल में तीसरे टेस्ट में भारत को जीत के लिए 171 रन का लक्ष्य मिला. भारत ने जवाब में 134 रन पर 5 विकेट गंवा दिए. कप्तान वाडेकर तब भी जीत के प्रति आश्वस्त थे. पूरा ड्रेसिंग रूम तनाव में था. पर वाडेकर ज्यादा चिंतित नहीं थे. इतना ही नहीं, जब आबिद अली ने विनिंग रन बनाया, तब तो वाडेकर मसाज टेबल पर लेटकर झपकी ले रहे थे.

बर्थडे पर छह बैले डांसर्स लेकर पहुंचे थे सचिन तेंदुलकर
अजित वाडेकर ने अपना 53वां जन्मदिन 1994 में न्यूजीलैंड दौरे पर बतौर टीम मैनेजर मनाया. वाडेकर के मुताबिक, 'आधी रात को सचिन मेरे कमरे में आया और कहा कि कपिल देव को कुछ दिक्कत है. मैं तुरंत कपिल के कमरे में गया. मैं कपिल के कमरे में पहुंचा तो पूरी टीम केक और शैंपेन की बोतल के साथ मौजूद थी. मैं हैरान रह गया. फिर अचानक पास के कमरे से छह बैले डांसर आए और नाचने लगे. मैं समझ गया कि यह सचिन के दिमाग की उपज थी.

 

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