B'day Special: टूर्नामेंट के दौरान ही पता चल गया था कैंसर, फिर भी जिताया वर्ल्ड कप
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B'day Special: टूर्नामेंट के दौरान ही पता चल गया था कैंसर, फिर भी जिताया वर्ल्ड कप

युवराज सिंह 2011 वर्ल्डकप में मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे, लेकिन इस दौरान उन्हें पता चल गया था कि उन्हें कैंसर है

युवराज सिंह का बल्ला इन दिनों भले ही अपने रंग में न हो, उनके छक्के आज भी दर्शनीय होते हैं जो कोई नहीं लगा पाता. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भारत के मशहूर धाकड़ बल्लेबाज युवराज सिंह आज अपना 37वां जन्मदिन मना रहे हैं. इन दिनों युवराज का बल्ला खासा खामोश हैं, लेकिन आज भी जब वे मैदान पर उतरते हैं तब उनके छक्के उतने ज्यादा नहीं लगते लेकिन जो लगते है वे आज भी युवी स्पेशल हैं. ऐसा लगता है छक्का लगाने के इस अंदाज का युवी ने कॉपी राइट करा रखा है. युवराज ने अपने करियर के उतार चढ़ाव के बाद जो जुझारूपन दिखाया है वह अपने आपमें एक मिसाल हैं लेकिन उन्हें जिन दो बातों के लिए जाना जाता है, वे टी20 वर्ल्ड कप में एक ओवर में छह छक्के और वर्ल्ड कप 2011 में शानदार बल्लेबाजी जिसकी वजह से वे मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे. 

  1. वर्डकप 2011 के थे मैन ऑफ द टूर्नामेंट
  2. टूर्नामेंट के दौरान ही पता चला था कैंसर का
  3. हाल में बल्ला नहीं चल रहा है युवराज का

वनडे और टी-20 के फॉर्मेट में टीम इंडिया में मध्यक्रम के सबसे मजबूत बल्लेबाज युवराज सिंह की पहचान वर्ल्ड क्रिकेट में एक जुझारू खिलाड़ी के रूप में है. ये पहचान उन्हें उनके आक्रामक और जुझारू खेल के साथ साथ उनके इसी तरह के स्वभाव के कारण मिला है. हम सभी जानते हैं कि विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में युवराज ने कई बार अपनी टीम को मैच जिताए हैं. चाहे वह नेटवेस्ट सीरीज इंग्लैंड में फाइनल मैच हो या फिर 2011 के वर्ल्डकप में सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई पारी हो. वे हर बार विजेता बनकर ही लौटे.

ऐसे पता चला था कैंसर का युवराज को
12 दिसंबर को चंडीगढ़ में जन्मे युवराज सिंह को 2011 में विश्वकप के दौरान ही कैंसर का पता चला. युवराज न सिर्फ उस कैंसर से मजबूती से लड़े बल्कि उन्होंने टीम इंडिया में वापसी भी की. युवराज सिंह ने कौन बनेगा करोड़पति के सेट पर इस बारे में एक खुलासा किया था कि उन्हें कैसे अपनी कैंसर की बीमारी के बारे में पता चला. इस बारे में बताते हुए उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े.

डॉक्टर ने कहा- अभी इलाज न कराया तो जा सकती है जान
युवराज ने बताया कि, 2011 के वर्ल्ड कप के दौरान उनकी तबियत काफी ज्यादा बिगड़ गई थी. एक सुबह जब वह सोकर उठे तो बुरी तरह खांसने लगे थे. युवराज ने बताया कि, उनकी खांसी में लाल रंग का म्यूकस निकला. वही 14 सेंटीमीटर का ट्यूमर था. उन्होंने कहा कि, जब मैं डॉक्टर से मिला तो उन्होंने मुझे कहा कि मैंने अभी इलाज नहीं करवाया तो मेरी जान भी जा सकती है. मेरी सेहत लगातार खराब होती जा रही थी, खेल भी खराब होता जा रहा था. इसके बाद करीब 2 महीने तक उनका इलाज चला.

2007 के टी20 वर्ल्डकप में युवराज ने इंग्लैंड के खिलाफ एक ओवर में छह छक्के लगाकर पूरी क्रिकेट की दुनिया को रोमांचित कर दिया था. इसी मैच में उन्होंने 12 गेंदों पर अर्धशतक जमाया था. वर्ल्ड क्रिकेट में आज तक उनका ये रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ पाया है.

पहले मैच में ही छा गए थे युवराज
नैरौबी में 2000 में खेले गए आईसीसी कप में युवराज ने अपना डैब्यु किया था. ये डैब्यु उन्होंने किया था उस समय की नंबर वन टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ. तेंदुलकर उस मैच में बड़ी पारी खेल नहीं पाए थे, लेकिन अपने पहले ही मैच में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रन बनाकर बता दिया था कि वह लंबी रेस के घोड़े हैं. उसके बाद उन्होंने कई मौकों पर अपनी टीम को बड़ी बड़ी जीतें दिलाईं.

इस साल नहीं चले युवराज
इस साल युवराज का बल्ला खास नही चला. आईपीएल में इस साल युवराज ने 17 मैचों की 15 पारियों में 21 के औसत और 94.46 के स्ट्राइक रेट से 273 रन बनाए और 21 चौके और 9 छक्के लगाए. इस बार भी उनके वर्ल्डकप में खेले जाने की संभावना लगभग खत्म हो गई हैं. पिछली बार साल 2015 के वर्ल्डकप से पहले जब उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया था तब उनके पिता योगराज ने तत्कालीन कप्तान एमएसधोनी को इसका जिम्मेदार ठहराया था.

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