B'day Special: जब एक बस मैकेनिक का बेटा बना डेथ ओवर्स का चैंपियन गेंदबाज
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B'day Special: जब एक बस मैकेनिक का बेटा बना डेथ ओवर्स का चैंपियन गेंदबाज

श्रीलंका के जबरदस्त गेंदबाज लसिथ मलिंगा आज 37 साल के हो गए हैं, उनका जन्म 28 अगस्त 1983 को गॉल में हुआ था. वो न सिर्फ अपनी घाटक गेंदबाजी के लिए जाने जाते हैं, बल्कि अजीबोगरीब हेयरस्टाइल के लिए भी मशहूर हुए हैं.

एक मैच के दौरान श्रीलंका के तेज गेंदबाज लसिथ मलिंगा. (फोटो-Twitter/@cricketworldcup)

नई दिल्ली: लसिथ मलिंगा, यह नाम दिमाग में आते ही सबसे पहले उस खतरनाक यार्कर गेंद का रिप्ले चलता है, जिस पर दुनिया के बड़े से बड़े धुरंधर बल्लेबाज अपना विकेट नहीं बचा सके. इंटरनेशनल क्रिकेट से लेकर इंडियन प्रीमियर लीग तक, हर तरफ इस श्रीलंकाई क्रिकेटर का जलवा इस कदर छाया है कि आप हैरानी में पड़ सकते है. 

  1. दो बार लगातार चार गेंद में लिए हैं चार विकेट
  2. वनडे में 3 हैट्रिक लेने वाले इकलौते हैं गेंदबाज
  3. श्रीलंकाई टीम के बल्लेबाज भगा दिए थे विकेट से

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आईपीएल में तो मलिंगा और मुंबई इंडियंस टीम को एक-दूसरे का पर्याय तक माना जाता है और मुंबई की टीम के सबसे ज्यादा चार बार खिताब जीतने में इस तथ्य को नहीं भूला जा सकता कि उसकी टीम में आईपीएल में सबसे ज्यादा 170 विकेट लेने वाले मलिंगा भी मौजूद थे. डेथ ओवर्स के चैंपियन कहलाने वाले मलिंगा आज अपना 37वां जन्मदिन मना रहे हैं.

4 गेंद में 4 विकेट लेने का ट्रेडमार्क
क्रिकेट की दुनिया में लगातार 3 विकेट चटकाने यानी हैट्रिक लगाने को ही बहुत बड़ी बात माना जाता है. लेकिन मलिंगा इकलौते ऐसे गेंदबाज हैं, जिन्हें चार लगातार गेंद में चार विकेट चटकाने का ट्रेडमार्क कहा जाता है. इंटरनेशनल क्रिकेट में लगातार चार गेंद में चार विकेट लेने का कारनामा महज तीन बार किया गया है. उसमें भी 2 बार यह कारनामा मलिंगा के खाते में दर्ज है. पहली बार मलिंगा ने 2007 के आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप में गुयाना के मैदान पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शॉन पोलक को बोल्ड, एजे हल को उपुल थरंगा के हाथों कैच, जैक्स कैलिस को कुमार संगकारा के हाथों कैच और मखाया नतिनी को बोल्ड करते हुए किया था. 

यह क्रिकेट वर्ल्ड कप ही नहीं वनडे क्रिकेट का इकलौता मौका है, जब किसी गेंदबाज ने चार गेंद में चार विकेट लिए हैं. दूसरी बार मलिंगा ने 2019 में पल्लेकल के मैदान पर न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 मैच में चार गेंद में चार विकेट लिए थे. उनके अलावा केवल अफगानिस्तान के राशिद खान ही यह कारनामा कर पाए हैं. राशिद ने 2019 में ही देहरादून के मैदान पर आयरलैंड के खिलाफ इस रिकॉर्ड पर अपना नाम लिखवाया था.

वर्ल्ड कप में 2 हैट्रिक और वनडे में 3 हैट्रिक वाले इकलौते गेंदबाज
मलिंगा दुनिया के इकलौते गेंदबाज हैं, जिन्होंने वर्ल्ड कप में 2 बार हैट्रिक बनाई है. पहली बार ये कारनामा 2007 के वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ करने के बाद दूसरी बार 2011 के वर्ल्ड कप में कोलंबो के आरपीएस स्टेडियम में कीनिया की टीम के खिलाफ उन्होंने तीन गेंद में तीन विकेट चटकाने का कारनामा किया था. इसके अलावा मलिंगा वनडे में तीन हैट्रिक बनाने वाले भी इकलौते गेंदबाज हैं. उन्होंने अपनी तीसरी हैट्रिक 2011 में कोलंबो के आरपीएस मैदान पर ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी हैट्रिक लगाई थी.
 

बस मैकेनिक के बेटे को पहली बार 17 साल की उम्र में मिली लेदर बॉल
गॉल के रतगमा गांव में जन्मे मलिंगा तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे. उनके पिता एक बस मैकेनिक थे और मां ग्रामीण बैंक में नौकरी करती थीं. 13 साल की उम्र में पहली बार समुद्र के किनारे टेनिस की गेंद से मलिंगा को क्रिकेट खेलने का मौका मिला. मलिंगा ने 4 साल तक टेनिस की गेंद से ही क्रिकेट खेली. उन्होंने गॉल क्रिकेट क्लब में कोचिंग के लिए 17 साल की उम्र में एडमिशन लिया.

वहां के कोच चंपक रामानायके थे, जो श्रीलंका के पूर्व तेज गेंदबाज रहे हैं और कई टेस्ट मैच खेले हैं. यहां पहली बार मलिंगा को लेदर बॉल फेंकने का मौका मिला. रामानायके खुद भी क्लब के मैचों में खेलते थे. एक दिन उनकी गर्दन में चोट लगी तो मलिंगा को खेलने का मौका दिया गया. मलिंगा ने मैच में अपनी खतरनाक गेंदों से 8 विकेट चटका दिए. बस यहीं से वो रामानायके को भा गए और उन्होंने मलिंगा को निजी कोचिंग देनी चालू कर दी.

जूतों के जोड़े को निशाना बनाने का कराया अभ्यास
रामानायके ने मलिंगा की गेंदबाजी में उनकी विलक्षण यार्कर फेंकने की प्रतिभा पहचान ली और इसे ही उनका हथियार बनाने का बीड़ा उठा लिया. उन्होंने बैटिंग क्रीज के ठीक आगे ब्लैक होल जोन में जूते के जोड़े को चिपकवा दिया और मलिंगा से रोजाना सीधे बिना ठप्पे के जूतों को गेंद से निशाना बनाते हुए गेंद फेंकने को कहा. रोजाना 3 से 4 घंटे तक यही प्रैक्टिस की जाती. इससे मलिंगा का यार्कर पर नियंत्रण सबसे जबरदस्त हो गया.
 

जब श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के बल्लेबाज ही भाग गए पिच से
मलिंगा की गेंदबाजी के चर्चे छोटे से श्रीलंका में हर तरफ होने लगे थे. हर मैच में ढेरों विकेट ले रहे मलिंगा को 2001 में श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने राष्ट्रीय टीम की नेट प्रैक्टिस के लिए बुलाया. लेकिन मलिंगा की गेंदों की तेजी और शरीर की तरफ खतरनाक गति से आते इनस्विंग यार्कर पर श्रीलंकाई बल्लेबाज ऐसे घबराए कि उन्होंने पिच ही छोड़ दी और मलिंगा को हटाने की मांग की. इसके बाद मलिंगा को क्रिकेट बोर्ड ने तत्काल ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिए टीम में चुन लिया. 

वहां डार्विन की पिच पर मलिंगा ने पहला टेस्ट खेला और पहली पारी में एडम गिलक्रिस्ट के साथ डैरेन लीमेन को आउट किया. दूसरी पारी में उन्होंने डेमियन मार्टिन, शेन वार्न, डैरेन लीमेन और माइकल कास्प्रोविच के विकेट लिए. श्रीलंका मैच हार गई, लेकिन गिलक्रिस्ट ने उनके ड्रेसिंग रूम में आकर मैच का स्टंप गिफ्ट करते हुए इंटरनेशनल क्रिकेट में एक जबरदस्त गेंदबाज के आगमन का स्वागत किया.

जिसे बताया सबसे बड़ी कमी, वहीं बना सबसे बड़ा हथियार
आप किसी भी क्रिकेट एकेडमी में जाएंगे तो वहां राउंड द आर्म यानी हाथ को कान से दूर ले जाकर गेंद फेंकने को बहुत बड़ी कमी बताया जाएगा. आपको अपना एक्शन बदलने के लिए मजबूर किया जाएगा. लेकिन ऐसा कहने वालों के लिए लसिथ मलिंगा एक सबसे अजब उदाहरण हैं, जो राउंड द आर्म गेंदबाजी में भी और ज्यादा दूर से हाथ घुमाकर लाते थे. इस अजीबोगरीब एक्शन के बावजूद मलिंगा न केवल दुनिया के सबसे खतरनाक यार्कर और बाउंसर फेंकने वाले गेंदबाज माने गए बल्कि उन्होंने 30 टेस्ट में 101 विकेट, 226 वनडे में 338 विकेट और 84 टी20 इंटरनेशनल मैचों में 107 विकेट लेने वाले गेंदबाज बने. 

इतना ही नहीं टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में मलिंगा 100 से ज्यादा विकेट लेने वाले दुनिया के इकलौते गेंदबाज हैं. हालांकि घुटने की चोट के कारण उन्हें टेस्ट क्रिकेट से कम समय में ही संन्यास लेना पड़ा, वरना उनके खाते में इंटरनेशनल विकेटों का जखीरा और ज्यादा बड़ा हो सकता था. प्रथम श्रेणी स्तर पर भी मलिंगा ने चार दिवसीय, वनडे और टी20 मैचों में कुल 1093 विकेट चटकाए हैं, जो उनकी प्रतिभा को खुद ही बताते हैं.

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