B'day Speical: कैंसर से जंग जीतने वाले अरुणलाल ने खास कॉमेंटेटर की बनाई पहचान
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B'day Speical: कैंसर से जंग जीतने वाले अरुणलाल ने खास कॉमेंटेटर की बनाई पहचान

अरुण लाल का इंटरनेशनल करियर बहुत ही साधारण है, लेकिन घरेलू क्रिकेट और कॉमेंटेटर के तौर पर उनका अहम योगदान है. 

अरुण रणजी ट्रॉफी में दिल्ली और बंगाल की ओर से खेल चुके हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: वैसे तो भारतीय क्रिकेट में बहुत से सितारे है, लेकिन कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो इंटरनेशनल क्रिकट में अपनी छाप नहीं छोड़ सके. ऐसे ही एक खिलाड़ी टीम इंडिया (Team India) के पूर्व सलामी बल्लेबाज अरुणलाल हैं. अरुण बुधवार को 64 साल के हो रहे हैं. छोटे से इंटरनेशनल करियर वाले अरुण की पहचान एक खिलाड़ी के तौर पर कम लेकिन कॉमेंटेटर के तौर पर ज्यादा होती है. उन्होंने अपने कॉमेंट्री के खास अंदाज से फैंस में एक अलग पहचान बना ली थी. परिवार में क्रिकेट की पृष्ठभूमि रहने के कारण अरुण लाल का क्रिकेट के प्रति रुझान बचपन से ही था. उन्हें एक लगनशील क्रिकेटर माना जाता रहा. घरेलू क्रिकेट में उनका योगदान सराहनीय रहा है. 

ज्यादा लंबा करियर नहीं है अरुणलाल का
1982 में अपने वनडे और टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाले अरुणलाल केवल 16 टेस्ट मैच और 13 वनडे ही खेल सके थे. टेस्ट में उनके नाम 6 हाफ सेंचुरी के साथ 729 रन और वनडे में उन्होंने एक हाफ सेंचुरी के साथ 122 रन बनाए हैं.  टेस्ट मैचों में उन्होंने केवल 16 गेंदें फेंकी थी. इंटरनेशनल क्रिकेट में उनका प्रदर्शन भले ही स्तरीय न हो लेकिन घरेलू क्रिकेट में उनके नाम 6760 रन रहे हैं और उनका औसत 53.23 है. टेस्ट में उनका अधिकतम स्कोर 93 रन है. 

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शानदार घरेलू रिकॉर्ड
अरुण लाल ने 156 फर्स्ट क्लास और 65 लिस्ट ए क्रिकेट मैच खेले हैं. फर्स्ट क्लास में उन्होंने 240 पारियों में कुल 10421 रन बनाए हैं. जिसमें 30 सेंचुरी और 43 हाफ सेंचुरी शामिल हैं. वहीं उन्होंने 145 कैच भी लिए. 65 लिस्ट ए मैचों की 64 पारियों में अलसुण ने 1734 रन रन बनाए हं जिसमें 12 हाफ सेंचुरी शामिल हैं. वहीं उन्होंने फर्स्टक्लास में 21 और लिस्ट ए क्रिकेट में 14 विकेट लिए हैं. 

60 उम्र में कैंसर
60 साल की उम्र में अरुण लाल को कैंसर होने का पता चला था. उनको जबड़े का कैंसर हुआ था. इसके लिए अरुण लाल को सर्जरी करानी पड़ी थी, जो 14 घंटे तक चली थी. इस सर्जरी में लगभग पूरा जबड़ा बदलना पड़ता है. सर्जरी सफल रही और उन्होंने एक बार फिर कमेंटेटर के रूप में वापसी कर ली. एक कमेंटेटर के रूप में अरुणलाल ने अपनी एक खास पहचान बना ली थी.

परिवार से मिला क्रिकेट के लिए जुनून
अरुण लाल मुरादाबाद के रहने वाले हैं. उनके पिता जगदीश लाल वहां नॉर्थ-ईस्टर्न रेलवे में नौकरी करते थे. बाद में वे सपरिवार ही दिल्ली शिफ्ट हो गए थे. पिता जगदीश लाल रेलवे टीम से रणजी खेलते थे. उनके भाई मुनी लाल और भतीजे आकाश लाल भी रणजी प्लेयर रहे हैं. अरुण लाल ने पहले 1974 में दिल्ली की टीम से रणजी खेलना शुरू किया था. फिर अरुण दिल्ली की टीम को छोड़ बंगाल रणजी टीम से जुड़ गए और कोलकाता शिफ्ट हो गए. वे बाद में बंगाल रणजी टीम के मेंटर भी बने.

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