B'day Special : 17 की उम्र में ही बना ली थी टीम इंडिया में जगह, लेकिन 4 साल ही चला करियर
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B'day Special : 17 की उम्र में ही बना ली थी टीम इंडिया में जगह, लेकिन 4 साल ही चला करियर

इस खिलाड़ी ने 80 के दशक में बस 17 की उम्र में टीम में अपनी जगह बनाकर सबको हैरान कर दिया

कुलदीप यादव को टेस्ट टीम में शामिल करते शिवराम कृष्णन.

नई दिल्ली : टीम इंडिया में ऐसे बहुत से सितारों का आगमन हुआ, जिन्होंने बहुत कम उम्र में क्रिकेट में अपने प्रदर्शन सनसनी मचा दी. कई खिलाड़ी आगे चलकर बड़े खिलाड़ी बन गए, लेकिन कुछ ऐसे भी रहे, जिनका करियर आगे नहीं बढ़ पाया. लक्ष्मण शिवरामकृष्णन ऐसा ही नाम है. जिन्होंने 80 के दशक में बस 17 की उम्र में टीम में अपनी जगह बनाकर सबको हैरान कर दिया. उन्होंने अपने प्रदर्शन से भी सबको आश्चर्यचकित कर दिया. लेकिन बाद में वह अपना शानदार प्रदर्शन जारी नहीं रख पाए.

  1. शिवराम कृष्णन ने 9 टेस्ट में 26 विकेट हासिल किए
  2. एक सीरीज में ही ले लिए थे 23 विकेट
  3. लंबा नहीं चल पाया शिवा का करियर

31 दिसंबर 1965 को चेन्नई (तब मद्रास) में जन्मे लक्ष्मण शिवराम कृष्णन ने भारत की ओर से 9 टेस्ट खेले और 26 विकेट हासिल किए. उन्होंने टीम की ओर से 16 वनउे मैच खेले. इसमें उन्हें 15 विकेट मिले. प्रथम श्रेणी मैचों की बात करें तो उनहोंने 76 मैचों में 154 विकेट हासिल किए.

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शिवा के नाम से पहचाने जाने वाला ये खिलाड़ी सबकी नजरों में तब चढ़े जब उन्होंने 1981-82 में रणजी में डेब्यु करते ही दिल्ली के खिलाफ एक मैच में 28 रन देकर 7 विकेट चटकाए. इसके थोड़े दिनों बाद ही उनका चयन टीम इंडिया में हो गया. तब सबसे कम उम्र में टीम का हिस्सा बनने का रिकॉर्ड उनके नाम था. एंटीगुआ में उन्होंने वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला. लेकिन 25 ओवर की गेंदबाजी के बाद भी उन्हें कोई सफलता नहीं मिली.

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1984-85 में जब इंग्लैंड की टीम भारत आई तो मुंबई में खेले गए टेस्ट में शिवा ने कमाल की गेंदबाजी करते हुए 12 विकेट झटके. इस पूरी सीरीज में उन्होंने 23 विकेट अपने नाम किए और वह मैन ऑफ द सीरीज रहे. 1985 में ऑस्ट्रेलिया में वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली टीम का हिस्सा भी शिवा रहे.

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लेकिन इसके बाद उनका प्रदर्शन गिरता ही गया. वह अपनी लय हासिल करने में नाकाम रहे और 1983 में पहला टेस्ट खेलने वाले इस खिलाड़ी ने 1986 में अपना आखिरी टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया में खेला. वहीं 1985 में पाकिस्तान के खिलाफ पहला वनडे खेलने के बाद 1987 में उन्होंने अपना आखिरी वनडे मैच खेला.

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