श्रीसंत ने कहा कि कथित स्पॉट फिक्सिंग से संबंधित एक आपराधिक मामले में 2015 में ही एक निचली अदालत ने आरोपमुक्त कर दिया था.
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नई दिल्ली: प्रतिबंधित क्रिकेटर एस श्रीसंत ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में दावा किया कि उन पर आजीवन पाबंदी लगाने का भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) का फैसला 'पूरी तरह से अनुचित' है. श्रीसंत ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने 2013 आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण में संलिप्तता कबूल करने के लिए उन्हें हिरासत में 'निरंतर यातनाएं' दीं. कथित स्पॉट फिक्सिंग से संबंधित एक आपराधिक मामले में गिरफ्तार श्रीसंत को जुलाई 2015 में यहां एक निचली अदालत ने आरोपमुक्त किया था.
श्रीसंत का दावा है कि उन्हें कथित अपराध में अपनी संलिप्तता इसलिए कबूल करनी पड़ी क्योंकि पुलिस ने हिरासत में उन्हें यातनाएं दीं और इस मामले में उनके परिवार को फंसाने की धमकी दी थी. पूर्व क्रिकेटर (35) ने उच्चतम न्यायालय में केरल उच्च न्यायालय की खंडपीठ के उस फैसले को चुनौती दी जिसमें बीसीसीआई द्वारा उन पर लगाई गई आजीवन पाबंदी को बहाल किया था.
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न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ से श्रीसंत के वकील ने कहा कि मैच फिक्सिंग के 'कोई स्पष्ट साक्ष्य' नहीं हैं और बीते पांच छह वर्षों में श्रीसंत ने इस वजह से बहुत परेशानी झेली है. श्रीसंत की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने पीठ से कहा, 'तथ्यों और जिस तरह से ये चीजें हुई हैं उन्हें देखते हुए, इस अदालत को इस बात पर विचार करना चाहिए कि यह (बीसीसीआई द्वारा श्रीसंत पर आजीवन पाबंदी) अनुचित है. उन्होंने बीते पांच छह साल में बहुत परेशानी झेली है. लोग चाहते हैं कि वह क्रिकेट खेलें. वह बीसीसीआई के प्रति अत्यंत ईमानदार हैं.'
खुर्शीद ने कहा कि यह साबित नहीं हुआ कि मई 2013 में मोहाली में राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब टीमों के बीच इंडियन प्रीमियर लीग के मैच में कोई स्पॉट फिक्सिंग हुई थी और इसके कोई सबूत नहीं हैं कि क्रिकेटर को इसके लिए कोई धन प्राप्त हुआ. कथित अपराध में संलिप्तता के बारे में पुलिस के सामने कबूलनामे के मुद्दे पर वकील ने कहा, 'कबूलनामा दिल्ली पुलिस द्वारा निरंतर यातनाओं के कारण हुआ. श्रीसंत के अनुसार, पुलिस ने धमकी दी कि अगर वह अपराध कबूल नहीं करता है तो उसके परिवार को फंसाया जाएगा.' शीर्ष अदालत गुरुवार को इस मामले में आगे सुनवाई करेगी जब बीसीसीआई की प्रशासकों की समिति की ओर से पेश वकील अपनी दलीलें देंगे.
(इनपुट-भाषा)