मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने गुरु पूर्णिमा के मौके पर सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करते हुए दी है इन तीनों के बारे में जानकारी.
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नई दिल्ली: किसी भी व्यक्ति की सफलता और असफलता में इस बात का बहुत बड़ा योगदान होता है कि उसे अपनी जिंदगी में किस तरह के गुरु मिले या उसने किन लोगों को अपना गुरु मानकर उनका अनुसरण किया. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) की जिंदगी भी इससे अछूती नहीं रही है. क्रिकेट के भगवान सरीखी पदवी तक पहुंचने से पहले सचिन को अपने क्रिकेट करियर में जितनी चुनौतियों से ओतप्रोत होना पड़ा है, उनसे जूझने और बचकर आगे बढ़ने में जिन गुरुओं ने सचिन का मार्गदर्शन किया, उन्हें सचिन कभी नहीं भूलते हैं. सचिन ने अपनी जिंदगी को सही राह दिखाने वाले 3 गुरुओं के बारे में गुरु पूर्णिमा के मौके पर एक वीडियो सोशल मीडिया पर सभी के साथ शेयर करते हुए जानकारी दी है.
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लिखा, इन तीन लोगों को मैं कहना चाहता हूं धन्यवाद
सचिन तेंदुलकर ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, 'वो 3 लोग, जिन्हें मैं गुरु पूर्णिमा पर धन्यवाद कहना चाहता हूं.' इसके बाद कैप्शन में उन्होंने सभी लोगों को गुरु पूर्णिमा की बधाई देते हुए लिखा, 'गुरु पूर्णिमा के मौके पर मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद कहना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे सिखाया और अपना बेस्ट देने के लिए प्रेरित किया. हालांकि इन 3 लोगों जेंटलमैन का मैं हमेशा आभारी रहूंगा.'
बड़े भाई अजीत को बताया अपना पहला गुरु
सचिन ने वीडियो में सबसे पहले गुरु के तौर पर अपने बड़े भाई अजीत तेंदुलकर का जिक्र किया है. उन्होंने कहा, जब भी मैं क्रिकेट बैट पकड़ता हूं तो मैं 3 लोगों के बारे में सोचता हूं, जिन्होंने मेरी जिंदगी में अहम भूमिका निभाई है और मुझे वो बनाया है, जो मैं आज हूं. ये मेरे भाई (Ajit Tendulkar) थे, जिन्होंने मुझे अचरेकर सर के पास ले जाने का निर्णय लिया. एक बात के लिए मैं आश्वस्त हूं कि जब भी मैं बल्लेबाजी के लिए गया तो भले ही मेरे भाई वहां फिजिकली मौजूद थे या नहीं, लेकिन मुझे हमेशा पता रहता था कि वे मेरे साथ मौजूद हैं.
दूसरा गुरु बताया अचरेकर सर को
सचिन ने इसके बाद अचरेकर सर (Ramakant Acharekar) का जिक्र किया और कहा, अचरेकर सर के बारे में मैं क्या कहूं. मेरी बल्लेबाजी पर उन्होंने घंटे बिताए. इतने सारे नोट लिए, चाहे मैच रहा हो या प्रैक्टिस सेशन. उन्होंने मेरी सारी गलतियां और कमजोर एरिया नोट करते हुए लिखे ताकि मैं बेहतर कर सकूं. उनके साथ अपनी गलतियों पर चर्चा करते हुए समय बिताया.
आखिर में बात की अपने पिता की
सचिन ने अपनी जिंदगी के तीसरे गुरु के तौर पर अपने पिता रमेश तेंदुलकर की बात की और कहा, आखिरी लेकिन अनंत, मेरे पिता, जिन्होंने मुझे सिखाया कि जिंदगी में कुछ भी शॉर्टकट नहीं होता. आपको अपनी मेहनत से सबकुछ हासिल करना होता है.