नई दिल्ली: आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ज्योफ एलार्डिस ने रविवार को कहा कि ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल करने के लिए आईसीसी की कोशिश का मकसद पैसा कमाना नहीं है बल्कि इस खेल की वैश्विक पहुंच बनाने के लिए इसे ऐसे देशों में ले जाने का है जहां यह लोकप्रिय नहीं है. बर्मिंघम में 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में महिला टी 20 क्रिकेट की शुरुआत के बाद आईसीसी ने इस खेल को ओलंपिक में  शामिल करने के लिए प्रयास कर रहा है.


ओलंपिक में क्रिकेट को लाने की तैयारी


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कुआलालंपुर में 1998 के राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की क्रिकेट प्रतियोगिता पहले ही हो चुकी है. एलार्डिस ने ‘एसईएन रेडियो’ के कार्यक्रम ‘दिस इज योर जर्नी - थैंक्स टू टोबिन ब्रदर्स’ में कहा, ‘‘हमारे कई सदस्यों का मानना है ओलंपिक खेल के रूप में क्रिकेट को पहचान मिलने से  सरकार और राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के साथ जुड़ाव मजबूत होगा. यह सुविधाओं और  प्रदर्शन को बेहतर करने के मामले में वास्तव में फायदेमंद होगा.’


पैसा बनाना नहीं है मकसद


उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए यह निश्चित रूप से  पैसा बनाने की कवायद नहीं है. हमारी कोशिश इस खेल को ऐसे जगह पहुंचाने की है, जहां यह लोकप्रिय नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘इसका दूसरा मकसद हमारे सभी 106 सदस्यों को सरकार के साथ करीब से जुड़ने का मौका देना है.’ आईसीसी के इस शीर्ष अधिकारी ने कहा कि ओलंपिक का हिस्सा बनना कई सदस्य देशों के लिए संबंधित सरकारों के साथ मजबूत संबंध बनाने की दृष्टिकोण से जरूरी है.


उन्होंने कहा, ‘कुछ देशों में ओलंपिक में शामिल खेल गैर ओलंपिक खेल की तुलना में अपनी सरकार के अधिक करीब रहते हैं.’ आईसीसी ने पिछले साल ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल करने के लिए बोली लगाने के अपने इरादे की पुष्टि की थी. उसने कहा था कि वह 2028 लॉस एंजिल्स, 2032 ब्रिस्बेन खेलों और उससे आगे के लिए ओलंपिक परिवार का हिस्सा बनने की दिशा में काम कर रहा है.