INDvsSA : लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीत चुकी टीम इंडिया धराशायी, हार के 5 बड़े कारण
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INDvsSA : लगातार 9 टेस्ट सीरीज जीत चुकी टीम इंडिया धराशायी, हार के 5 बड़े कारण

इससे पहले टीम इंडिया ने इससे पहले कुल मिलाकर 9 टेस्ट सीरीज जीती थीं, लेकिन अफ्रीका में वह अपना 25 साल का इतिहास नहीं बदल पाए.

अफ्रीका के तेज गेंदबाजों के सामने टीम इंडिया के बल्लेबाज टिक नहीं सके. फोटो : क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका

नई दिल्ली : सेंचुरियन के मैदान पर जब टीम इंडिया और दक्षिण अफ्रीका दूसरा टेस्ट मैच खेलने उतरे थे, तो कहा जा रहा था कि सेंचुरियन की पिच का मिजाज पहले के मुकाबले बदला हुआ था. पिच काफी धीमा था, ऐसे में लग रहा था कि टीम इंडिया के पास यहां सीरीज में वापसी का मौका होगा. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं टीम इंडिया ने यहां भी शर्मनाक पराजय का मुंह देखा. जिस पिच पर पहली पारी में बल्लेबाजी आसान थी, वहां भी टीम इंडिया मुश्किल से 300 तक पहुंची. अगर इस पारी में भी विराट कोहली के 153 रन नहीं बने होते तो टीम हालत और बुरी होती. इस मैच में भी टीम इंडिया 135 रनों से हार गई.

  1. पहले टेस्ट में टीम इंडिया को 72 रनों से हार का सामना करना पड़ा
  2. दूसरे टेस्ट में भी बल्लेबाजों की नाकामी ने दिलाई सीरीज की हार
  3. टीम के गेंदबाजों ने किया उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन

दूसरी पारी में वही देखने को मिला, जैसे ही विकेट का रुख थोड़ा सा बदला, पूरी की पूरी टीम इंडिया के पैर उखड़ गए. न विराट चले, न पुजारा. न ही रोहित और न ही राहुल. ये वही वल्लेबाज हैं, जिन्होंने 2017 में रनों का अंबार इन्हीं बल्लेबाजों ने लगाया था. टीम के कोच रवि शास्त्री कह चुके हैं कि उनके ये बल्लेबाज किसी भी पिच पर रन बना सकते हैं. लेकिन टीम इंडिया एक बार फिर से अफ्रीका में सीरीज गंवा बैठी और 25 साल से चला अा रहा हार का सूखा अब तक जारी है.

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1. बल्लेबजों का शर्मनाक प्रदर्शन
2017 में टेस्ट क्रिकेट में अगर देखा जाए तो विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा ने जमकर रन बनाए. दोनों पिछले साल रन बनाने में पहले 3 बल्लेबाजों में शामिल रहे. रोहित शर्मा वनडे में जमकर रन बनाते रहे. तीसरा दोहरा शतक भी जमा दिया. लेकिन अफ्रीका में औसत 10 के आसपास सिमट गया. पहले छह बल्लेबाजों में कोई भी ऐसा बल्लेबाज अब तक सामने नहीं आया है, जिसने टीम के शर्मनाक प्रदर्शन के बावजूद अपने प्रदर्शन में निरंतरता दिखाई हो. विराट कोहली पिछली 4 पारियों में सिर्फ 1 बार कामयाब रहे. बाकी के बल्लेबाजों में सिर्फ हार्दिक पांड्या एक बार 93 तक पहुंच सके.

2. सलामी जोड़ी बनी बड़ी परेशानी
इस सीरीज में भारत की सबसे बड़ी समस्या सलामी जोड़ी बनी हुई है. पहले टेस्ट में जब दोनों पारियों में शिखर धवन और मुरली विजय नहीं चले तो दूसरे टेस्ट में शिखर धवन की जगह केएल राहुल को जगह दी गई. लेकिन राहुल भी बुरी तरह फ्लॉप रहे. उन्होंने पहली पारी में 10 और दूसरी पारी में 4 रन बनाए. देखा जाए तो मुरली विजय भी सिर्फ एक बार 46 रनों की बड़ी पारी खेल पाए हैं, इसके अलावा उनके बल्ले से रन नहीं निकल रहे हैं.

3. मध्यक्रम ने भी बढ़ाया सिरदर्द
दो टेस्ट की चार पारियों में पहले टेस्ट में पांड्या की 93 रनों की पारी और दूसरे टेस्ट में विराट कोहली की 151 रनों की पारी को छोड़ दें तो टीम इंडिया का कोई भी बल्लेबाज अब तक एक हाफ सेंचुरी भी नहीं लगा पाया है. पहले टेस्ट में टीम इंडिया की ओर से सिर्फ एक हाफ सेंचुरी बनी. वहीं दूसरे टेस्ट में सिर्फ विराट के बल्ले से एक सेंचुरी बनी. इसके अलावा कोई भी बल्लेबाज रन नहीं बना पाया. खासकर चेतेश्वर पुजारा 4 पारियों में बुरी तरह असफल रहे. उन्होंने अब तक 26,4, 0, 19 रनों की पारियां खेली हैं. वहीं रोहित शर्मा 11,10, 10, 47 रनों की पारियां खेलीं.

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4. अकेले कोहली के आसपास सिमटी पूरी टीम
पिछले कई सालों से टीम इंडिया ने एक खिलाड़ी पर अपनी निर्भरता खत्म कर दी है, लेकिन लगता है कि मुश्किल पिचों पर अभी भी वह सिर्फ अपने मजबूत खिलाड़ियों जैसे विराट कोहली के आसपास सिमटी हुई है. जैसे ही विराट कोहली आउट होते हैं टीम के बाकी के बल्लेबाजों के पैर भी उखड़ने लगते हैं. अफ्रीकी गेंदबाजों का सामना जिस तरह से विराट कोहली ने किया, कोई भी बल्लेबाज नहीं कर पाया.

5. कमजोर कड़ी बनी विकेटकीपिंग
पहले टेस्ट में टीम इंडिया की ओर से सबसे ज्यादा कैच लेकर ऋद्धिमान साहा ने एक रिकॉर्ड बनाया था, हालांकि वह बल्लेबाजी कामयाब नहीं रही थे. उनके चोटिल होने के बाद पार्थिव पटेल को मौका मिला. लेकिन वह बल्लेबाजी में तो चले नहीं, विकेटकीपिंग भी उनकी बहुत कमजोर रही. दोनों पारियों में उन्होंने दो बार कैच छोड़ा. खासकर दूसरी पारी में डीन एल्गर का 29 रनों पर जब उन्होंने कैच छोड़ा तो उसकी जमकर आलोचना हुई.

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