राहुल द्रविड़ के ये 4 मंत्र आजमाते ही अंडर-19 टीम ने जीत ली दुनिया
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राहुल द्रविड़ के ये 4 मंत्र आजमाते ही अंडर-19 टीम ने जीत ली दुनिया

इन युवा खिलाड़ियों के साथ एक सबसे बड़ी बात यह रही कि उनके साथ मेंटर और कोच के रूप में, 'द वॉल' कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ खड़े हैं.

राहुल द्रविड़ ने दिए युवा टीम को जीत के मंत्र (PIC: Cricketworldcup/Twitter)

नई दिल्ली: भारत की अंडर-19 टीम ने शनिवार को न्यूजीलैंड में नया इतिहास रच दिया. वह इंडिया चार बार यह टूर्नामेंट जीतने वाली पहली टीम बन गई. भारत ने चौथी बार अंडर-19 विश्व कप का खिताब अपने नाम किया है. इससे पहले वो, 2000 में मोहम्मद कैफ की कप्तानी में, 2008 में विराट कोहली की कप्तानी में और 2012 में उन्मुक्त चंद की कप्तानी में विश्व विजेता बन चुका है. वहीं भारत ने लगातार दूसरी बार फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को मात दी. 2012 में भी भारत ने ऑस्ट्रेलिया को मात देते हुए खिताबी जीत हासिल की थी.

  1. भारत ने चौथी बार U-19 वर्ल्ड कप का जीता
  2. भारत ने वर्ल्ड कप 2018 में कोई मैच नहीं हारा
  3. भारत ने हर मैच में विरोधी टीम को ऑल आउट किया

दिलचस्प बात है कि इस युवा टीम ने सारे मैच बड़े अंतर से जीते जो दिखाता है कि युवा स्तर पर उनका दबदबा कितना है. इन युवा खिलाड़ियों के साथ एक सबसे बड़ी बात यह रही कि उनके साथ मेंटर और कोच के रूप में, 'द वॉल' कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ खड़े हैं. टीम की इस जीत का काफी श्रेय राहुल को भी जाता है. लेकिन इसके बावजूद इन युवा लड़ाकों ने निजी रूप से शानदार प्रदर्शन करके यह संकेत दे दिया है कि आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत क्रिकेट की ताकत बनने जा रहा है. 

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क्रिकेट के प्रति द्रविड़ का जुनून, प्यार और समर्पण ऐसा है जिसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती. जिस तरह राहुल ने युवा टीम को प्रेरित किया वह भी शानदार है. आइए देखते हैं किस तरह पूरे टूर्नामेंट में राहुल द्रविड़ की छाप और सीख दिखाई पड़ती हैः

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फोकस: राहुल द्रविड़ ने युवाओं को पहला सबक दिया गेम पर फोकस करो. राहुल ने अपने पूरे करियर में खुद भी सिर्फ और सिर्फ गेम पर ही फोकस किया. फैन, मीडिया प्रेशर और पैसा इसने कभी राहुल द्रविड़ को बाधित नहीं किया. कभी इन चीजों ने देश के मैच जीतने के उनके फोकस को प्रभावित नहीं किया. अंडर 19 का वर्ल्ड कप जीतने के बाद राहुल इस टेस्ट में भी खरे उतरे. टूर्नामेंट के अहम मैचों से तीन दिन पहले 27-28 जनवरी को आईपीएल की नीलामी हो रही थी. भारत को पाकिस्तान के साथ सेमीफाइनल मैच खेलना था. अंडर 19 टीम के चार खिलाड़ियों को आईपीएल में खरीदा गया. खिलाड़ी रातोरात लखपति हो गए. तेज गेंदबाज कमलेश नागरकोटी और शिवम मावी, कप्तान पृथ्वी शाॅ, उप कप्तान शुभम गिल को आईपीएल का अनुबंध मिल चुका था. ऐसे में राहुल द्रविड़ ने ही टीम को पाकिस्तान की जीत पर फोकस रहने का गुर सिखाया. 

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अनुशासन: क्रिकेट में अनुशासन के दो मतलब है. पहला, आप जैसे खेलते है उसी अनुशासन से खेलो, यानी अपना विकेट कभी थ्रो मत करो. दूसरा, खिलाड़ी का मैदान पर व्यवहार यानी किस तरह वे टीम के दूसरे सदस्यों से, विपक्षी सदस्यों से, टीम ऑफिशियल से इंटरएक्ट करते हैं. राहुल द्रविड़ ने अपने करियर में कभी अनुशासन भंग नहीं किया. कभी अपनी विकेट खराब शाॅट खेलकर नहींं गंवाई. कभी उन्होंने किसी से बुरा व्यवहार नहीं किया. अंडर 19 टीम भी पूरे टूर्नामेंट के दौरान पूरी तरह अनुशासित नजर आई. कहीं किसी खिलाड़ी ने अनुशासन नहीं तोड़ा. यह राहुल का ही सबक था. 

निस्वार्थ बनो: वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में टीम को एकजुट होकर बड़े लक्ष्य को साधना होता है. तभी वह खिताब जीत सकती है. इस तरह के टूर्नामेंट से इन युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक्सपोजर मिलता है. अंतरराष्ट्रीय दर्शक, अलग अलग फ्रैंचाइजीज और देश के मुख्य चयनकर्ताओं का ध्यान इन युवा खिलाड़ियों पर ऐसे ही टूर्नामेंट में जाता है. राहुल द्रविड़ की निगरानी में अंडर 19 टीम ऐसे ही निस्वार्थी खिलाड़ियों का समूह है, जिनका एक ही लक्ष्य होता है गेम को जीतना. पूरे टूर्नामेंट में युवा टीम ने यही निस्वार्थ भाव दिखाया. राहुल द्रविड़ ने देश के लिए बढ़िया बल्लेबाज और उम्दा गेंदबाज तैयार किए हैं. 

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साझेदारी अहम हैं: कहते हैं क्रिकेट साझेदारियों का खेल है. बल्लेबाजी करते हुए अच्छा साझेदारियां और गेंदबाजी करते हुए दोनों छोर से विकेट लेने की क्षमता ही है जो टीम को मैच जिताती है. यही बात है जो किसी भी टीम को कठिन परिस्थितियों से निकाल सकती है. गेंदबाजी में भी यही नियम काम करता है. राहुल द्रविड़ ने सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली के साथ खेलते हुए ही साझेदारियों की महत्व समझा और सीखा है. द्रविड़ क्रिकेट इतिहास की कितनी ही अहम साझेदारियों का हिस्सा रहे हैं. अंडर 19 टीम  में पृथ्वी शॉ और मनजोत कालरा के बीच शीर्ष स्तर पर अच्छी साझेदारियां हुई. शुभम गिल ने  हार्विक देसाई के साथ साझेदारी की. अन्य खिलाड़ी भी लगातार साझेदारियों को बल देते दिखे. गेंदबाजी में कमलेश नागरकोटी और शिवम मावी ने विपक्षी बल्लेबाजों को लगातार आउट किया. राहुल द्रविड़ का यही फार्मूला काम आया और अंडर 19 टीम वर्ल्ड कप जीत सकी.

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