भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया की धरती पर अब तक 11 टेस्ट सीरीज खेली हैं. वह इनमें से सिर्फ 3 सीरीज ड्रॉ करा सकी, जबकि 8 में उसे हार झेलनी पड़ी.
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नई दिल्ली: भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें टी20 सीरीज के बाद टेस्ट सीरीज की तैयारियों में जुट गई हैं. भारतीय क्रिकेट बुधवार (28 नवंबर) से अभ्यास मैच खेलेंगे. जबकि, ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर नेट प्रैक्टिस कर पसीना बहा रहे हैं. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने बैन चल रहे स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर को भी प्रैक्टिस के लिए बुलाया है, ताकि वह अपने पेस अटैक की गहराई नाप सके. दोनों टीमों ने अब तक 94 टेस्ट खेले हैं, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 41 और भारत ने 26 मैच जीते हैं. दोनों देशों ने ऑस्ट्रेलिया में 44 टेस्ट मैच खेले हैं. भारत ने इनमें से महज पांच टेस्ट मैच जीते हैं. ऑस्ट्रेलिया ने 28 मैच जीते हैं.
बयान नहीं, टीम के फैक्ट और फॉर्म देखें
पूर्व क्रिकेटरों से लेकर आम प्रशंसक तक सीरीज के बारे में अपने-अपने कयास लगा रहे हैं. अगर पूर्व क्रिकेटरों के बयानों के आधार पर सीरीज का अंदाजा लगाने की कोशिश करेंगे तो किसी नतीजे पर पहुंचना मुश्किल होगा. इसलिए हमने भारत और आस्ट्रेलिया के बीच ऑस्ट्रेलिया में खेले गए टेस्ट सीरीज का आकलन किया. इसके अलावा यह भी देखा कि दोनों टीमों का पिछले एक साल में कैसा प्रदर्शन रहा है, ताकि सीरीज के बारे में सही अंदाजा लगाया जा सके. भारत इस साल दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज 1-2 और इंग्लैंड में 1-4 से सीरीज हारा. लेकिन वह इन सभी मैचों में जीत के करीब पहुंचा. सिर्फ एक-दो सेशन के खराब खेल ने यह अंतर पैदा किया.
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भारतीय टीम ने 1947 में किया था पहला दौरा
भारत ने ऑस्ट्रेलिया का पहला दौरा 71 साल पहले 1947 में किया. तब डॉन ब्रैडमैन की टीम ने भारत को 5 मैचों की सीरीज में 4-0 से बुरी तरह रौंद दिया. बीस साल गुजरने पर टीम इंडिया फिर ऑस्ट्रेलिया पहुंची, लेकिन इस बार नतीजा और बुरा रहा. इस बार वह 0-4 से हारी. इसके 10 साल बाद बिशन सिंह बेदी की टीम ने ऑस्ट्रेलिया में पहला टेस्ट जीता. हालांकि, सीरीज में जीत तब भी दूर ही रही. यह सिलसिला आज तक जारी है. भारत को ऑस्ट्रेलिया में आज भी पहली टेस्ट सीरीज जीतने का इंतजार है.
विजेता | जीत का अंतर | वर्ष |
ऑस्ट्रेलिया | 4-0 (5) | 1947/48 |
ऑस्ट्रेलिया | 4-0 (4) | 1967/68 |
ऑस्ट्रेलिया | 3-2 (5) | 1977/78 |
सीरीज ड्रॉ | 1-1 (3) | 1980/81 |
सीरीज ड्रॉ | 0-0 (3) | 1985/86 |
ऑस्ट्रेलिया | 4-0 (5) | 1991/92 |
ऑस्ट्रेलिया | 3-0 (3) | 1999/00 |
सीरीज ड्रॉ | 1-1 (4) | 2003/04 |
ऑस्ट्रेलिया | 2-1 (4) | 2007/08 |
ऑस्ट्रेलिया | 4-0 (4) | 2011/12 |
ऑस्ट्रेलिया | 2-0 (4) | 2014/15 |
(नोट: 1996 में हुई सीरीज को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी नाम दे दिया गया. अब विजेता टीम को इसी नाम की ट्रॉफी दी जाती है.)
अपनी टीम से ज्यादा विरोधी की कमजोरी पर भरोसा
भारत इस बार सीरीज जीतने का दावेदार है. यह ऐसा वाक्य है, जिसे इस साल दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड दौरे से पहले दर्जनों बार लिखा जा चुका है. जाहिर है, इस वाक्य पर भरोसा करना आसान नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं है. अगर आप दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड दौरे से ऑस्ट्रेलिया दौरे की तुलना कर रहे हैं तो गलती कर रहे हैं. इन तीनों सीरीज में मूलभूत अंतर यह है कि जब दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में जीत की उम्मीदें जताई जा रही थीं, तब उसका आधार टीम इंडिया की मजबूती थी. लेकिन अब जबकि ऑस्ट्रेलिया में भारत को जीत का दावेदार बताया जा रहा है, तो इसका कारण भारतीय टीम की मजबूती से ज्यादा ऑस्ट्रेलिया के सितारे क्रिकेटर स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर की गैरमौजूदगी है.
स्मिथ और वार्नर की भरपाई कर पाना मुश्किल
ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ दुनिया के उन चुनिंदा क्रिकेटरों में शामिल हैं, जो भारत के खिलाफ सात टेस्ट शतक लगा चुके हैं. स्मिथ ने भारत के खिलाफ 10 टेस्ट मैच खेले हैं. उन्होंने इन मैचों में 84.05 की औसत से 1429 रन बनाए हैं. उन्होंने 2014-15 में भारत के खिलाफ पांच टेस्ट मैच में 769 रन बनाए थे. इसी तरह डेविड वार्नर भारत के खिलाफ 16 टेस्ट में 36.03 की औसत और चार शतक की मदद से 1081 रन बना चुके हैं. स्मिथ के मुकाबले वार्नर का औसत भले ही कम हो, लेकिन उनका 70.42 का स्ट्राइक रेट खतरनाक बनाता है. वे शुरुआत में ही वीरेंद्र सहवाग की स्टाइल में विस्फोटक बल्लेबाजी कर विरोधी गेंदबाजों की लाइन-लेंथ बिगाड़ देते हैं, जिसका फायदा बाकी बल्लेबाजों को मिलता है. जाहिर है ऑस्ट्रेलिया के लिए स्मिथ और वार्नर की भरपाई कर पाना मुश्किल है.
...लेकिन जीत के लिए बनाने होंगे 350 रन
भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमों की बात करें मेहमान टीम, मेजबान के मुकाबले ज्यादा संतुलित नजर आ रही है. भारतीय टीम में सिर्फ तेज गेंदबाजी करने वाले ऑलराउंडर (हार्दिक पांड्या) की कमी लग रही है. दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजी तो बेहद मजबूत है, लेकिन बल्लेबाजी में उसके पास बड़ा और भरोसेमंद नाम नहीं है. लेकिन भारत को अगर मैच या सीरीज जीतनी है, तो उसे लगभग हर पारी में कम से कम 350 रन बनाने होंगे, खासकर पहली पारी में. ऐसा होने पर ही भारतीय गेंदबाज मेजबान बल्लेबाजों पर दबाव बना सकेंगे. इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम की नाकामी की एक वजह यह भी कि वह बड़े स्कोर नहीं बना पाया था. ऐसे में विरोधी टीम एक-दो अच्छी साझेदारी करके ही भारत पर दबाव बनाने में कामयाब हो जाती थी. यानी, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज जीतने के लिए गेंदबाजों से ज्यादा दारोमदार बल्लेबाजों पर रहेगा.