INDvsENG: जानिए क्या हैं ओवल टेस्ट में टीम इंडिया के बदलाव के मायने
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INDvsENG: जानिए क्या हैं ओवल टेस्ट में टीम इंडिया के बदलाव के मायने

टीम इंडिया में ओवल टेस्ट के लिए बदलाव हनुमा विहारी के लिए मौका कम इम्तिहान ज्यादा है. 

विराट कोहली ने हनुमा विहारी को मौका देकर टीम इंडिया में नए बदलाव के संकेत दिए हैं. (फोटो PTI/Reuters)

ओवल (लंदन) : टीम इंडिया इस समय अपने इंग्लैंड दौरे का आखिरी टेस्ट मैच खेल रही है. विराट कोहली मैच से पहले ही सीरीज गंवा चुके हैं. उनके सामने इस मैच के लिए प्लेइंग इलेवन का चुनाव शायद उनके करियर के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहा होगा. सीरीज गंवाने के बाद अब वापसी संभव नहीं थी, ऐसे में ओवल टेस्ट एक औपचारिकता ही थी. फिर भी गौर से देखने पर समझ में आता है कि यह मैच विराट के लिए कई मौके लेकर आया. 

  1. ओवल में आखिरी टेस्ट चल रही है भारत और इंग्लैंड के बीच
  2. हनुमा विहारी को मिला है इस टेस्ट में डेब्यू का मौका
  3. 292वें टेस्ट खिलाड़ी हैं हनुमा विहारी भारत के

अगर विराट ओवल टेस्ट जीत लेते हैं तो यह उनके लिए एक उपलब्धि से कम नहीं होगा. हार के बाद भी सीरीज 2-3 करके लौटना विराट के लिए एक अलग सम्मान लेकर ही आएगा. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस सदी में अभी तक टीम इंडिया ने कभी इंग्लैंड में किसी सीरीज में दो टेस्ट मैच नहीं जीते हैं. पिछली सदी में साल 1986 में टीम इंडिया ने इंग्लैंड में तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 2-0 से जीत हासिल की थी. उसके बाद से इंग्लैंड में टीम इंडिया ने एक बार सीरीज भी जीत है तो वह भी केवल 1-0 से. साल 2007 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में इंग्लैंड में सीरीज जीती थी. 

आगे की तैयारी भी?
इसके अलावा अब मौका टीम इंडिया के अगले दौरों की तैयारी का भी था. अक्टूबर में वेस्ट इंडीज को भारत में चार टेस्ट खेलने है उसके बाद नवंबर में टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर भी जाना है. विराट पृथ्वी शॉ, करण नायर, हनुमा विहारी को खिलाकर उनकी संभावना भी टटोलने का मौका भुना सकते थे. 
 
टीम में आर अश्विन को पीठ में परेशानी जडेजा को मौका दे गई. जडेजा लंबे समय से टीम से बाहर हैं क्योंकि विदेशी दौरे पर विराट केवल एक ही स्पिनर को खिला पा रहे थे. अब जडेजा को गेंद और बल्ले से खुद को साबित करने का बड़ा मौका है. जडेजा अगर इस टेस्ट में कमाल कर जाते हैं तो उनका ऑस्ट्रेलिया दौरे में चुना जाना पक्का होने की पूरी संभावना है. 

हनुमा का चुना जाना एक विशुद्ध प्रयोग, लेकिन
टीम में हनुमा विहारी को चुना जाना एक विशुद्ध प्रयोग है. विहारी के पास एक लाइफ टाइम अवसर है. उन्हें यहां किस्मत का भी साथ चाहिए होगा. अगर वे बेहतरीन प्रदर्शन कर जाते हैं, जो कि आसान नहीं होगा, तो अगली बार वे टीम में एक ऑलराउंडर के तौर पर शामिल हो सकते हैं. ऐसे में वे हार्दिक और जडेजा दोनों के लिए खतरा बन जाएगें. हार्दिक कप्तान कोहली की खास पसंद हैं, और उन्हें अगर हनुमा और हार्दिक में से एक को चुनना होगा तब वे हार्दिक को लेना ही पसंद करेंगे. वहीं हनुमा के पास घरेलु सीरीज में टीम में रहने का मौका जरूर है लेकिन इसके लिए उन्हें गेंद और बल्ले दोनों से बढ़िया प्रदर्शन करना होगा. 

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पृथ्वी और करुण नायर को न चुनने का मतलब
विराट सभी को (पृथ्वी, करुण और विहारी) चुनकर जोखिम उठाने की स्थिति में भी नहीं थे. हां लेकिन वे तीनों को एक साथ छोड़ने की हालत में भी नहीं थे. पृथ्वी और करुण का न चुना जाने का एक ही मतलब है कि अभी उन्हें और मौके मिलेंगे. दोनों ने इंग्लैंड में खराब प्रदर्शन नहीं किया है, बल्कि चयनककर्ताओं सहित सभी का ध्यान ही खींचा है. इसका मतलब सीधा यह है कि अब शिखर धवन, मुरली विजय, और केएल राहुल भी दबाव में दिखाई देने वाले हैं. आने वाले दिनों में एक भी मैच में खराब प्रदर्शन टीम में सीधा बदलाव दिखा सकता है. इसके अलावा मयंक अग्रवाल भी लंबे समय से टीम इंडिया में दस्तक दे रहे हैं. 

देर सबेर ये होंगे टीम इंडिया में बदलाव
अभी टीम इंडिया में तेज गेंदबाजों का प्रदर्शन ही उन्हें अंदर बाहर कर रहा है. यही हाल कुछ समय बाद टीम इंडिया के बल्लेबाजों का होना तय है. ऐसा अगले साल की शुरूआत में दो दिखाई देना शुरू हो ही जाएगा. अगले साल इंग्लैंड में होने वाले वर्ल्डकप के लिए एक मजबूत बल्लेबाजी क्रम की तैयारी टीम इंडिया के लिए सबसे मुश्किल काम होगा. इंग्लैंड दौरे में टीम को कोई मजबूत सलामी बल्लेबाज नहीं मिला है. अगर शिखर धवन, रोहित शर्मा और केएल राहुल जैसे बल्लेबाज विश्वकप  तक टीम को मजबूत सलामी बल्लेबाजी नहीं दे सके, तो टीम इंडिया में वर्ल्डकप के बाद नए बल्लेबाज भी दिख सकते हैं, लेकिन इसमें अभी काफी समय है. 

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