INDvsENG: जानिए टीम इंडिया की हार का असल जिम्मेदार कौन है
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INDvsENG: जानिए टीम इंडिया की हार का असल जिम्मेदार कौन है

टीम इंडिया की सीरीज हार इतनी नजदीकी है कि केवल बल्लेबाजों को जिम्मेदार ठहरा भर देना काफी नहीं होगा. कारणों की गहराई में जाना जरूरी है.

विराट कोहली को अब मजबूत रणनीति से पांचवे टेस्ट में उतरना होगा. (फोटो : PTI)

नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंड के बीच पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में चौथे टेस्ट में ही सीरीज हार जाना टीम इंडिया के लिए एक बड़ा झटका है. इस हार को बेशक निराशाजनक नहीं कहना चाहिए. इस सीरीज में कई ऐसी बातें हुईं जो पहले कभी नहीं हुई थीं. मजेदार बात यह है कि इनमें से ज्यादातर टीम इंडिया के हक में रहीं, उसकी तारीफ में रहीं. इस सीरीज की बारीकी से कुछ पड़ताल करेंगे तो हम पाएंगे कि टीम इंडिया की हार की वजहें कुछ और ही हैं. 

  1. पहले और चौथे टेस्ट में मिली भारत को नजदीकी हार
  2. दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड तो तीसरे में टीम इंडिया को मिली बड़ी जीत
  3. भारत को मजबूती दिखाने की जरूरत है आखिरी टेस्ट में

इस सीरीज का पहला मैच टीम इंडिया केवल 31 रन से हारी जो अपने आप में इंग्लैंड के लिए किसी झटके से कम नहीं था. इस नजदीकी नतीजे ने सीरीज को खुला रखा हुआ था. दूसरे टेस्ट में, जो कि लॉर्ड्स में खेला गया था, जरूर परिणाम कुछ और ही निकला जब टीम इंडिया को एक पारी और 159 रनों से हार का सामना करना पड़ा.

लॉर्ड्स टेस्ट में इंग्लैंड से ही नहीं मौसम और हालातों से भी हारी थी टीम इंडिया
इस मैच में विराट की टीम की हार वैसी ही थी जिसका डर टीम इंडिया को दिखाया जाता है कि विदेशी पिच पर भारतीय बल्लेबाज बढ़िया नहीं खेल पाएंगे.  इस मैच में मौसम और हालात इंग्लैंड के पक्ष में ज्यादा थे जिसमें संयोग की भी भूमिका ज्यादा थी जैसे जब इंग्लैंड गेंदबाजी कर रहा था तब बारिश के हालात थे और उनकी बल्लेबाजी के दौरान पिच सूखी रही. मौसम हालात के साथ की बात विराट की टीम ने साबित की तीसरे टेस्ट में जब उन्हें  इनका साथ मिला और पहली पारी में 300 से ज्यादा रन बनाकर इंग्लैंड को पहली पारी में 161 रनों पर समेट दिया. जिसके दबाव के चलते ही टीम बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रही. 

 चौथे और पहले टेस्ट मैच रहे एक से,हार के बाद भारत के लिए थे खास
चौथे टेस्ट में एक बार फिर पहले टेस्ट की तरह टीम को हार का सामना करना पड़ा लेकिन शायद टीम इंडिया ने बेहतर प्रदर्शन किया जोकि नाकाफी साबित हुआ. यहां भी 245 रनों का पीछा करते हुए केवल 184 रनों पर सिमट कर 60 रन से हार गई. इस मैच में भारत को पहली पारी में बढ़त भी हासिल हुई थी. 

पुरानी आशंकाएं बेकार साबित हुईं
इस दौरे से पहले जो आशंकाएं जाहिर की जा रहीं थी वे सब अब बेमानी सी लगती हैं. जिसमें एक बड़ी बात यह थी कि टीम इंडिया के गेंदबाजों को जीत के लिए मैच में 20 विकेट लेने होंगे. यह सही जरूर है लेकिन इस सीरीज में यह नाकाफी साबित हुआ. इसके अलावा यहां के मौसम, जलवायु और वातावरण में ढलने का भी टीम इंडिया को फायदा मिला हो ऐसा भी कुछ दिखाई नहीं दिया. पहले टेस्ट में हार और दूसरे में पारी हार साल 2014 के पहले दो टेस्ट मैचों से तो कहीं बदतर प्रदर्शन था. 2014 में टीम इंडिया सीधे टेस्ट सीरीज खेलने इंग्लैंड पहुंची थी जहां पहला टेस्ट ड्रॉ तो दूसरे टेस्ट में उसे 95 रनों से जीत मिली थी. वहीं जिस पिच की आशंकाएं जताई जा रही थी वह पिच तो टीम इंडिया को केवल लॉर्ड्स में मिली लेकिन उससे पहले वनडे सीरीज जहां बल्लेबाजी के माकूल पिच थी उस सीरीज में हार के बारे में क्या कहा जाए. 2014 की इंग्लैंड सीरीज के कप्तान रहे एमएस धोनी भी कह चुके हैं कि जीत के लिए 20 विकेट तो लेना बहुत जरूरी है

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बल्लेबाज तो इंग्लैंड के भी नाकाम हुए थे
इस सीरीज में अगर हम केवल बल्लेबाजों को नाकाम ठहरा कर चुप बैठ जाएंगे तो काम नहीं चलेगा. दो टेस्ट में ऐसा हुआ की दोनों ही टीमें किसी भी पारी में 300 से ज्यादा रन नहीं बना सकीं. दोनों में टीम इंडिया की हार हुई और यही सीरीज में टीम इंडिया के पिछड़ने का अंतर भी है. तो फिर जिम्मेदार कौन या सही सवाल होगा कि जिम्मेदार क्या?

गेंदबाजों ने किया अभूतपूर्व प्रदर्शन लेकिन
गेंदबाजों ने अपना काम बखूबी किया बल्कि ऐतिहासिक किया. पहली बार सीरीज में हर पारी में (एक को छोड़कर) पूरे 10 विकेट लिए और मेजबान टीम को 300 रन तक बनाने नहीं दिए जिसमें टीम इंडिया मैचों में बनी रही. ऐसा पहली बार हो रहा है कि विदेशी पिचों पर भारतीय गेंदबाज खासकर तेज गेंदबाज कामयाबी के झंडे गाड़ रहे हैं. लेकिन अब गेंदबाजों को उससे आगे सोचने की जरूरत है. 

इस छोटे से अंतर ने पैदा किया है बड़ा फर्क
जी हां सीरीज का बारीकी से विश्लेषण. यही  बड़ा अंतर पैदा करने वाला तथ्य साबित हो रहा है. एक बार केवल दो टेस्ट फिर से देखिए. बर्मिंघम में हुए पहले टेस्ट में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी की और 287 रनों पर सिमटी, टीम इंडिया केवल 274 रना सकी और पहली पारी में सिर्फ 13 रनों से पिछड़ी. दूसरी पारी में इंग्लैंड केवल 180 बनाकर भारत को जीत के लिए 194 रनों का ही लक्ष्य दे सकी. यहां तक टीम इंडिया का बेहतरीन प्रदर्शन माना जा सकता है और मना भी गया. लेकिन टीम इंडिया की दूसरी पारी 162 रनों पर सिमटी और केवल 31 से हार की शर्मिंदगी बल्लेबाजों को ही उठानी पड़ी. इसकी वजह यह भी रही की पहली में भारत के 274 रनों में 149 अकेले विराट कोहली ने बनाए थे.

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अब चौथा टेस्ट भी समझ लें. यहां भी इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी की और पहली पारी में 246 रन ही बना सकी. टीम इंडिया ने इस बार पहले टेस्ट से बेहतर प्रदर्शन किया और उसने 273 रन बनाकर 27 रनों की बढ़त बना ली. दूसीर पारी में इंग्लैंड ने 271 रन बनाए और टीम इंडिया को जीत के लिए 245 रनों का लक्ष्य दिया. यहां एक बार फिर टीम इंडिया के बल्लेबाज विराट पर पूरी तरह से निर्भर नजर आए और टीम केवल 184 रन बनाकर आउट हो गई और इंग्लैंड को इस टेस्ट में जीत मिल गई.  

इंग्लैंड के निचले क्रम ने किया बेहतर
इस तरह से दो नजदीकी मुकाबले इंग्लैंड ने जीते और निर्णायक बढ़त लेते हुए सीरीज अपने नाम कर ली. अब और आगे सोचा जाए तो अंतर क्या रहा. पहले टेस्ट में 31 रन, दूसरे टेस्ट में एक पारी और 159 रन, चौथे टेस्ट में 60 रन. इन रनों के अंतर में इंग्लैंड के निचले क्रम के बल्लेबाज जिनमें सैम कुरैन, जोस बटलर, बेन स्टोक्स यहां तक कि आदिल राशिद, स्टुअर्ट ब्रॉड जैसे बल्लेबाज तक इतने रन बना गए जो हार जीत का अंतर पैदा कर गए. यही रन बनाने में भारत का निचला क्रम नाकामयाब रहा.
 
विकेट लेना ही काफी नहीं रन रोकना भी दवाब बनाने के लिए जरूरी
ऐसे में यह सवाल बहुत ही गंभीर हो जाता है कि आखिर टीम इंडिया में क्या कमी रह गई जो टीम को हार का मुंह देखना पड़ा. अब यहां केवल मुजरिम ढूंढकर उसे सजा दे डालने बात नहीं हैं. टीम को एकजुट होना होगा. एक एक रन के लिए जद्दोजहद करते दिखना होगा बिना किसी शर्मिंदगी के जोर ज्यादा लगाना होगा. गेंदबाजों को रनों को रोकने के बारे में भी सोचना होगा जोकि इंग्लैंड के गेंदबाजों और कप्तान ने भी सोचा. विराट कोहली ने भी दूसरी पारी में सोचा लेकिन देर से सोचा पहली पारी में और पिछले मैचों में सोचते तो फर्क दिखाई दे सकता था. ये बाते लो स्कोरिंग मैचों में काफी अहम हो जाती हैं.  गेंदबाजी कोच भरत अरूण इस बात को जरूर सोच रहे होंगे कि हार कि लिए बल्लेबाजों को जिम्मेदार ठहरा देने से उनका काम खत्म नहीं होगा बल्कि इस बल्लेबाजी से इतर उन्हें गेंदबाजी के सारे पहलुओं पर मनन करना होगा, तभी बात बनेगी.

अब सुधरने की जरूरत किसे है कोचों को, खिलाड़ियों को कप्तान को (बतौर रणनीतिकार), बल्लेबाजों को गेंदबाजों को यह सभी को अलग अलग भी और मिल कर भी दोनों तरह से तय करना होगा. अगर टीम इंडिया के खिलाड़ी खुद को केवल बतौर गेंदबाज या बल्लेबाज की ही भूमिका में सीमित कर लेंगे तो पांचवां टेस्ट महज एक आंकड़ा बनकर रह जाएगा. टीम इंग्लैंड को यह एहसास अभी भी दिला सकती है कि उसने सीरीज नजदीकी मुकाबले से जीती है और 3-2 से घरेलू सीरीज उसके लिए उपलब्धि नहीं बल्कि केवल आंकड़ों की जीत रह जाएगी.

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