जसपाल राणा का मानना है कि मनु जैसे निशानेबाज ओलंपिक पदक के प्रबल दावेदार हैं.
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नई दिल्ली: भारत के निशानेबाज आज दुनियाभर में देश का नाम रोशन कर रह हैं. इनमें युवा निशानेबाज सबसे आगे हैं. पिछले एक साल में आईएसएसएफ वर्ल्ड चैंपियंनशिप हो, कॉमनवेल्थ गेम्स हों या फिर एशियाई खेल, भारतीय निशानेबाजों ने तमाम खेलों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. देश को एक बार फिर उम्मीद है कि टोक्यो ओलंपिक में इस बार फिर भारत को निशानेबाजी में गोल्ड मिलेगा. ऐसा मानना है निशानेबाज से कोच बने जसपाल राणा का. उन्हें लगता है कि मनु भाकर ओलंपिक में गोल्ड जीत सकती हैं.
जसपाल राणा को लगता है एशियाई खेलों की नाकामी मनु भाकर के लिए परेशान करने वाली रही हो लेकिन इससे उसे गिरकर संभलने का मौका मिला और इसके बाद वह मंगलवार को युवा ओलंपिक में देश को निशानेबाजी में पहला स्वर्ण पदक दिलाने में सफल रही. राणा का सोचना है कि यही काबिलियत उसे कुछ अन्य निशानेबाजों के साथ ओलंपिक पदक का प्रबल दावेदार बनाती है. उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया में मिली असफलता के बाद मनु ने सीखा कि विफलता पर रोने के बजाय इसे भुलाकर कड़ी मेहनत से अच्छा प्रदर्शन करना ज्यादा महत्वपूर्ण है.
मनु ने यूथ ओलंपिक में जीता गोल्ड
हाल ही में हरियाणा की मनु भाकर ने यूथ ओलंपिक 2018 में 236.5 अंक बनाकर गोल्ड मेडल हासिल किया. भाकर 576 अंक बनाकर क्वालीफाइंग राउंड में टॉप पर रही थीं. 16 साल की मनु इन खेलों में भारत की फ्लैगबियरर थीं. वे वर्ल्ड कप और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं.
ओलंपिक के लिए तैयार करना चाहिए मनु को
राणा ने कहा, ‘‘ये निशानेबाज स्पष्ट रूप से ओलंपिक पदक के दावेदार हैं और हमें दुनिया के सबसे बड़े मंच पर इन्हें सफलता दिलाने के लिए सतर्कता से तैयार करना चाहिए. मैं सचमुच अपने निशानेबाजों के यहां ब्यूनसआयर्स में प्रदर्शन से काफी खुश हूं. हमने तीन पदक जीत लिए हैं और जिसमें दो स्वर्ण पदक हैं. ’’ राइफल निशानेबाज मेहुली घोष के पदक का रंग रजत के बजाय स्वर्ण हो सकता था, अगर वह 24वें और अंतिम शाट में 9.1 से बेहतर अंक जुटाती.
राणा काफी खुश हैं भाकर के प्रदर्शन से
एशियाई खेलों में मनु के प्रदर्शन के बारे में राणा ने कहा, ‘‘हालांकि हम सभी जीतना चाहते हैं लेकिन आप हर दिन नहीं जीत सकते. एक दिन आप ऊपर उठोगे और अगले दिन गिर जाओगे. यह ऐसा ही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उसने शानदार प्रदर्शन किया है और मैं उसके लिए काफी खुश हूं. दबाव था और इतनी उम्मीदें भी थीं लेकिन वह अभी सिर्फ 16 साल की ही है. वह हर दिन नहीं जीत सकती लेकिन अनुभव उसे बेहतर निशानेबाज बनने में मदद करेगा.’’