Jeff Thomson On Jasprit Bumrah: जसप्रीत बुमराह की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बॉलर्स में होती है. उन्होंने अपने दम पर भारतीय टीम को ढेरों मैच जिताए हैं. लेकिन चोटिल होने की वजह से वह टी20 वर्ल्ड कप 2022 में हिस्सा नहीं ले पाए हैं. दुनिया के महानतम तेज गेंदबाजों में से एक जेफ थॉमसन ने कहा है कि जसप्रीत बुमराह लंबे समय तक तीनों ही फॉर्मेट में नहीं खेल सकते हैं. इसकी उन्होंने बड़ी वजह बताई है. 


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इस दिग्गज ने दिया ये बयान 


अपने समय के तूफानी तेज गेंदबाज जेफ थॉमसन का मानना है कि यह जसप्रीत बुमराह को तय करना है कि उन्हें तीनों प्रारूपों में से किस प्रारूप में खेलना है? थॉमसन ने पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘बुमराह अपने शरीर पर बहुत अधिक बोझ डालते हैं क्योंकि वह सभी प्रारूपों में खेलते हैं और ऐसे में वे चोटिल हो जाते हैं. अब फैसला उन पर है कि वह क्या करना चाहते हैं.’


सीमित ओवर्स में करनी होती हैं कम गेंदें


जेफ थॉमसन ने आगे बोलते हुए कहा, ‘दर्शक चाहते हैं कि वह सीमित ओवरों की क्रिकेट में खेले. वह सीमित ओवरों की क्रिकेट में उसे गेंदबाजी करते हुए देखने के लिए स्टेडियम में आते हैं. वनडे में केवल 60 और टी20 में 24 गेंद करनी होती हैं जो इस पर निर्भर करता है कि वह किस प्रारूप में खेलता है.’


करियर लंबा करने के लिए करना होगा ऐसा 


जेफ थॉमसन ने कहा, ‘टेस्ट क्रिकेट में उसे एक दिन में 15 ओवर करने की जरूरत पड़ेगी. आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि अपना करियर लंबा खींचने के लिए आपको किस प्रारूप में खेलना चाहिए. जिस तरह से प्रत्येक साल विश्व कप हो रहे हैं सीमित ओवरों की क्रिकेट भी कम महत्वपूर्ण नहीं रह गई है.’


10 साल ही रह सकते हैं टॉप पर 


जेफ थॉमसन ने कहा कि यह बुमराह को तय करना है कि उनके लिए कौन सा प्रारूप सही है क्योंकि कोई भी तेज गेंदबाज केवल 10 वर्षों तक अपने चरम पर रहता है. उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ी के करियर में आप केवल एक दशक तक अपने चरम पर रहकर गेंदबाजी कर सकते हैं. इसलिए भावनाओं से परे यह जानना जरूरी है कि आपके लिए सही क्या है. ऐसा क्या है जिससे कि आपका करियर बेहतर तरीके से आगे बढ़े और ऐसा क्या है जिससे कि आप लंबे समय तक अपने देश की सेवा कर सकें.’


जेफ थॉमसन ने कहा, ‘यह इस पर निर्भर करता है कि दर्शक क्या चाहते हैं और वह क्या चाहता है. यदि लोग चाहते हैं कि वह भारत के लिए सीमित ओवरों की क्रिकेट में गेंदबाजी करे और अगर वह भारत को विश्वकप दिलाने में मदद कर सकता है तो फिर उसे अन्य प्रारूपों के लिए सीमित ओवरों का प्रारूप क्यों छोड़ना चाहिए.’


(इनपुट: भाषा)


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