एक ही टेस्ट मैच में 2 हैट्रिक, जानिए किस गेंदबाज ने 103 साल पहले किया था ये कारनामा
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एक ही टेस्ट मैच में 2 हैट्रिक, जानिए किस गेंदबाज ने 103 साल पहले किया था ये कारनामा

किसी भी गेंदबाज का ख्वाब होता है कि वो अपने करियर में कम से कम एक बार हैट्रिक ले, लेकिन जिमी मैथ्यूज ने एक ही टेस्ट में 2 बार ये मुकाम हासिल किया था.

एक ही टेस्ट मैच में 2 हैट्रिक, जानिए किस गेंदबाज ने 103 साल पहले किया था ये कारनामा

नई दिल्ली: हर क्रिकेटर फील्ड पर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए जी तोड़ मेहनत करता है और चाहता है कि अपनी टीम के लिए अच्छा खेले जिससे उसका और उसकी टीम का दुनिया में नाम हो. कई खिलाड़ियों ने ऐसा कर दिखाया भी है. क्रिकेट के इतिहास में खिलाड़ियों ने ऐसे-ऐसे रिकॉर्ड अपने नाम किए है जिसके कारण उनका नाम क्रिकेट के इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो चुका है. वहीं मैदान में हैट्रिक (Hat Trick) लेना हर टीम के गेंदबाज़ का सपना होता है, पर क्या हो अगर एक खिलाड़ी एक ही मैच में दो बार हैट्रिक ले.

  1. जिमी मैथ्यूज ने एक ही मैच में दो बार हैट्रिक ली.
  2. साल 1943 में जिमी मैथ्यूज का निधन हो गया था.
  3. ये रिकॉर्ड सदा के लिए उनका नाम अमर कर गया.

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आपको बता दें कि क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा खिलाड़ी रहा है जिसने एक ही टेस्ट मैच में 2 बार हैट्रिक ली और आज तक उसका ये रिकॉर्ड कोई दूसरा खिलाड़ी तोड़ नहीं पाया है. उस महान खिलाड़ी का नाम है जिमी मैथ्यूज (Jimmy Matthews). जब से क्रिकेट का खेल खेला जा रहा है, तब से लेकर आज तक ये रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के स्पिनर जिमी मैथ्यूज के ही नाम है.

दरअरल, सन 1912 में  इंग्‍लैंड में खेली गई त्रिकोणीय सीरीज के एक टेस्‍ट में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2 हैट्रिक लेकर सबको चौंका दिया था. उस मैच में जिमी मैथ्यूज ने 12वें ओवर की आखिरी तीन गेंदों पर हैट्रिक ली, इसी मैच में मैथ्यूज ने 3 और विकेट लिए और बन गए डबल हैट्रिक बनाने वाले पहले गेंदबाज. अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में एक साथ 2 पारियों में हैट्रिक बनाने का कारनामा फिर कभी नहीं हुआ, हां घरेलू क्रिकेट में ऐसा कई बार हो चुका है.

जिमी मैथ्यूज को इंग्लैंड ने भी अपनी तरफ से खेलने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन जिमी ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, क्योंकि पहले विश्‍व युद्ध में उन्हें इंग्लैंड की तरफ से युद्ध में शामिल होना पड़ा था, वो वक्त पूरे विश्व के लिए बेहद कठिन था और जिमी मैथ्यूज के लिए भी, इसी युद्ध के दौरान जिमी को अल्‍सर हो गया जिसकी वजह से उन्हें फौज से रिटायर कर दिया गया. वापस लौटने के बाद उन्हें क्रिकेट खेलने का ज्यादा मौका नहीं मिल सका, जिसका दुख उन्हें जिंदगी भर रहा.

जिमी का संघर्ष इतने पर ही खत्म नहीं हुआ, उनकी जिंदगी के आखिरी दिन काफी तकलीफों में गुजरे. उस वक्त मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की नहीं की थी, जिसकी वजह से उनका परिवार जिसमें उनकी पत्नी और 5 बच्चे भी थे, अलग-अलग बीमारियों  की वजह से जल्द ही दुनिया को छोड़ कर चले गए. खबरों की मानें तो जिमी को टीबी की बीमारी हो गई थी, जिसके कारण साल 1943 में उनका निधन हो गया, मृत्यु के वक्त जिमी मैथ्यूज की उम्र 59 वर्ष थी. खैर आज उनके बारे में किसी को कुछ याद हो या न हो लेकिन क्रिकेट के इतिहास में उनके द्वारा बनाया गया ये रिकॉर्ड सदा के लिए उनका नाम अमर कर गया.

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