भारतीय क्रिकेट टीम के इतिहास में ऐसे 2 स्टार खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने टी-20 और वनडे वर्ल्ड कप खिताब पर कब्जा जमाया है, लेकिन वो भारत का डोमेस्टिक फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) नहीं जीत पाए हैं.
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नई दिल्ली: वनडे हो या टी-20, दोनों फॉर्मेट में वर्ल्ड कप (World Cup) जीतना किसी सुनहरे ख्वाब के सच होने जैसा है. टीम इंडिया (Team India) में कई ऐसे खुशनसीब खिलाड़ी हैं जिन्होंने एक नहीं दो-दो बार आईसीसी ट्रॉफी पर कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल की है. इनमें से कुछ ऐसे भी प्लेयर हैं जिन्हें होम सर्किट का सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) में चैंपियन बनने का मौका नहीं मिला है.
रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) भारत का डोमेस्टिक फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट है जिसकी शुरुआत देश की आजादी से पहले हुई थी. साल 1934 में पहला एडिशन खेला गया था. आज इस चैंपियनशिप में 38 टीमें खेलती है. मुंबई (Mumbai) ने सबसे ज्यादा बार (41) इस खिताब पर कब्जा जमाया है.
21वीं सदी में टीम इंडिया (Team India) एमएस धोनी (MS Dhoni) की कप्तानी में टी-20 वर्ल्ड कप 2007 (T20 World Cup 2007) और वनडे वर्ल्ड कप 2011 (World Cup 2011) की चैंपियन बनी थी. इनमें से 2 ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने कभी भी रणजी ट्रॉफी पर कब्जा नहीं जमाया, आइए नजर डालते हैं उन स्टार प्लेयर्स पर.
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एमएस धोनी (MS Dhoni) को टीम इंडिया (Team India) के सबसे कामयाब कप्तानों में शुमार किया जाता है. वो दुनिया के इकलौते कैप्टन हैं जिन्होंने सभी आईसीसी ट्रॉफी (ICC Trophy) जीती है, लेकिन भारत के इतने महान खिलाड़ी अपने पूरे क्रिकेट करियर में कभी रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) नहीं जीत सके. माही ने साल 200 में बिहार (Bihar) की तरफ रणजी में डेब्यू किया था. जब बिहार और झारखंड (Jharkhand) का बंटवारा हुआ तब वो झारखंड की तरफ से ये टूर्नामेंट खेलने लगे. दिलचस्प बात ये है कि धोनी ही नहीं, बिहार और झारखंड की टीम अब तक रणजी खिताब से महरूम है.
2. युवराज सिंह
युवराज सिंह को भारतीय इतिहास के सबसे बेहतरीन ऑलराउंडर्स में शुमार किया जाता है. उनके बिना टी-20 वर्ल्ड कप 2007 (T20 World Cup 2007) और वनडे वर्ल्ड कप 2011 (World Cup 2011) जीतना मुश्किल था, इन दोनों ग्लोबल इवेंट में युवी को 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' (Player of the Tournament) अवॉर्ड दिया गया था. युवराज ने 1997 से ही डोमेस्टिक क्रिकेट खेल रहे थे, लेकिन अपनी पंजाब टीम को एक बार भी रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) नहीं दिला पाए.