क्रिकेट से न सिर्फ नाम बनता है, बल्कि ग्लैमर, दौलत, शौहरत के साथ-साथ खिलाड़ी अमीर भी बनते हैं. एक अच्छी पारी या एक मुकाबले में अच्छी बॉलिंग रातों-रात किसी को भी स्टार बना देती है. आपने कई ऐसे क्रिकेटर्स की कहानी सुनी होगी, जो यह खेल खेलकर एक झटके में मालामाल हो गए. लेकिन आज हम एक ऐसे क्रिकेटर की स्टोरी लेकर आए हैं, जिसका घातक ऑलराउंडर्स में नाम शुमार है. इंटरनेशनल क्रिकेट में इस ऑलराउंडर की तूती बोलती थी, लेकिन समय का खेल देखिए कि संन्यास के बाद यह दिग्गज सड़कों पर आ गया. पेट पालने के लिए उसे ट्रक चलाने से लेकर बस शेल्टर तक साफ करना पड़ा. यहां यह बताना जरूरी हो जाता है कि ये वो बड़ा नाम है, जिसने चैंपियंस ट्रॉफी 2000 फाइनल में भारत का ICC ट्रॉफी जीतने का सपना तोड़ा था.
हम यहां बात कर रहे हैं न्यूजीलैंड के पूर्व ऑलराउंडर क्रिस केर्न्स की, जो अपने खेल के दिनों में न्यूजीलैंड क्रिकेट के 'पोस्टर बॉय' थे. इस ताकतवर तेज गेंदबाज और बिग हिटर ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट्स में सबसे खतरनाक क्रिकेटरों में अपना नाम दर्ज कराया. 17 साल के अपने लंबे इंटरनेशनल करियर में केर्न्स ने कुल मिलाकर 62 टेस्ट, 215 वनडे और 2 टी20 मैच खेले. केर्न्स ने 8273 रन बनाए और अपनी आग उगलती गेंदबाजी से 420 विकेट भी लिए. उन्होंने 81 कैच भी लपके. केर्न्स को 2000 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द इयर्स के 5 खिलाड़ियों में से एक चुना गया था. केर्न्स ने बल्ले से बहुत बड़ा प्रदर्शन किया और टेस्ट और वनडे में 240 छक्के भी लगाए.
क्रिस केर्न्स ही वो नाम था, जिसने 2000 में तमाम भारतीय फैंस के दिलों को तोड़ दिया था, जब चैंपियंस ट्रॉफी (ICC नॉकऑउट इवेंट) फाइनल में उन्होंने भारत के खिलाफ मैच विनिंग सेंचुरी जड़कर अपनी टीम को खिताब दिलाया. टीम इंडिया की जीत की उम्मीदों पर क्रिस ने पानी फेर दिया था. इस मैच में एक समय भारत की पकड़ मजबूर थी, जब टारगेट का पीछा करते हुए न्यूजीलैंड ने 5 विकेट 150 रन के अंदर ही गंवा दिए. लेकिन क्रिस केर्न्स तो अलग ही मूड से बैटिंग करने उतरे. उन्होंने 113 गेंदों पर 102 रन की नाबाद पारी खेलकर अपनी टीम को असंभव दिख रही खिताबी जीत दिला दी. उनकी पारी में 8 चौके और 2 छक्के शामिल रहे. भारत से मिला 265 रन का लक्ष्य न्यूजीलैंड ने केर्न्स के दम पर ही दो गेंद रहते 4 विकेट से हासिल कर लिया था.
न्यूजीलैंड के इस दिग्गज ने 2004 में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा. इसके दो साल बाद उन्होंने 2006 में वनडे फॉर्मेट से भी संन्यास ले लिया. संन्यास के बाद उनका समय ऐसा बदला कि वह अर्श से फर्श पर आ गए. संन्यास के बाद उन्होंने कुछ साल हीरो का बिजनेस किया. लेकिन कामयाब नहीं हो सके और घाटा झेलना पड़ा. वो इंडियन क्रिकेट लीग का भी हिस्सा बने. लेकिन मैच फिक्सिंग के चलते उनके कोर्ट के चक्कर काटने पड़े.
न्यूजीलैंड के एक अन्य ऑलराउंडर लांस केर्न्स के बेटे क्रिस केर्न्स पर इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी द्वारा लगाए गए मैच फिक्सिंग के आरोपों के लिए ब्रिटिश अधिकारियों ने जांच बैठाई. मार्च 2012 में केर्न्स ने ललित मोदी पर मानहानि का मुकदमा दर्ज किया, जब मोदी ने ट्विटर पर आरोप लगाया कि न्यूजीलैंड के इस खिलाड़ी ने 2008 में मैच फिक्सिंग में भाग लिया था. हालांकि, केर्न्स लागत और हर्जाना जीत गए. बाद में मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने केर्न्स के खिलाफ झूठी गवाही देने और न्याय के मार्ग को विकृत करने के आरोपों की घोषणा की. नतीजा यह निकला कि ललित मोदी के केर्न्स पर लगाए गए मैच फिक्सिंग के आरोपों के परिणामस्वरूप उन्हें क्रिकेट से संबंधित सभी काम से हाथ धोना पड़ा.
केर्न्स ने जीवन में वो मुश्किल पल जिए जो इतना फेम पाने वाला दिग्गज क्रिकेटर कभी सोच भी नहीं सकता. उन्होंने अपने और परिवार का पेट पालने के लिए ट्रक चलाया. यहां तक कि बस शेल्टर तक साफ किए. मिड-डे की रिपोर्ट के अनुसार इस पूर्व क्रिकेटर ने ऑकलैंड काउंसिल में नौकरी की, जहां वह न्यूजीलैंड की राजधानी में ट्रक चलाया. न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर और केर्न्स के सबसे अच्छे दोस्तों में से एक डायन नैश ने खुलासा किया था, 'वह (केर्न्स) वास्तव में कड़ी मेहनत कर रहा है और अपने परिवार का यथासंभव भरण-पोषण कर रहा है. वह उदास नहीं है, वह हिम्मत दिखा रहा है और बस शेल्टरों की सफाई करके कड़ी मेहनत कर रहा है.'
क्रिस केर्न्स को अगस्त 2021 में दिल का दौरा पड़ा था, जिसके कारण उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था. चार ओपन-हार्ट सर्जरी में से एक के दौरान स्ट्रोक आने के बाद वे कमर से नीचे लकवाग्रस्त हो गए. इसके अगले साल ही वह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार हो गए. फरवरी 2022 में उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें आंतों में कैंसर का पता चला है.
13 जून 1970 को पिक्टन (मार्लबोरो) में जन्मा यह 54 साल का क्रिकेटर अब ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में अपना जीवन व्यतीत का रहा है. उन्होंने पिछले साल एक पॉडकास्ट में बताया था कि स्वास्थ्य संबंधी लड़ाइयों में उनके लिए एक उम्मीद की किरण भी थी. उन्होंने कहा था, 'मेरे अंदर बहुत गुस्सा और हताशा थी, लेकिन मैंने इसे चुपचाप सहा. मैंने ऑस्ट्रेलिया में आकर बसा और जीवन जीने लगा.'
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