Vinod Kambli International Career: जब टेस्ट क्रिकेट की बात आती है, तो सबसे ऊपर डॉन ब्रैडमैन का नाम. 52 टेस्ट मैचों का करियर और 99.94 की अविश्वसनीय औसत. इसकी बराबरी करना असंभव है. दूसरी ओर, अगर कोई ऐसा क्रिकेटर है जो इतिहास सर्वकालिक महान बल्लेबाज हो तो वह सचिन तेंदुलकर हैं. इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले, टेस्ट में सबसे ज्यादा शतक ठोकने वाले, वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज और भी कई रिकॉर्ड मास्टर ब्लास्टर के नाम दर्ज हैं. भारतीय क्रिकेट में एक ऐसा भी बल्लेबाज आया, जिसका औसत महान ब्रैडमैन से भी ज्यादा रहा. बदनसीबी देखिए सर्फ 28 की उम्र में ही अपना आखिरी मैच खेलना पड़ा.
कोई कह सकता है कि ब्रैडमैन और तेंदुलकर क्रिकेट की दो पहचान हैं. इन दोनों दिग्गजों से आगे निकलना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन मानो या न मानो, 1990 के दशक की शुरुआत में एक भारतीय बल्लेबाज ने अपने करियर की शुरुआत इतनी जबरदस्त की कि हर कोई दंग था. साल था 1991... तेंदुलकर, अपने इंटरनेशनल करियर के केवल दो साल के भीतर सबसे रोमांचक युवा बल्लेबाज थे. कपिल देव अपने करियर के आखिरी पड़ाव पर थे. तेंदुलकर और मोहम्मद अजहरुद्दीन को छोड़कर भारत को अपने बल्लेबाजी क्रम का नेतृत्व करने के लिए युवा बल्लेबाजों की जरूरत थी. इसलिए जब भारत ट्राई-सीरीज में पाकिस्तान और वेस्टइंडीज से खेलने के लिए शारजाह गया, तो बीसीसीआई ने 19 साल के एक खिलाड़ी को डेब्यू का मौका दिया. यह खिलाड़ी और कोई नहीं, बल्कि हाल ही में सचिन तेंदुलकर के बचपन के दोस्त और हाल ही में एक वायरल वीडियो से सुर्खियों में आए विनोद कांबली हैं.
इंटरनेशनल क्रिकेट में उनका पहला साल बहुत अच्छा नहीं रहा. मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने अपने करियर के पहले 15 महीनों में 9 वनडे मैच खेले. 7 पारियों में 122 रन बनाने के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया. उन्हें उस साल का इंतजार करना पड़ा, जहां से दुनिया ने उन्हें पहचाना. वो साल था 1992... कांबली ने साल की शुरुआत जयपुर में इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद शतक के साथ की, जिसके बाद उनका टेस्ट डेब्यू हुआ. कोलकाता के ईडन गार्डन्स ने पहला टेस्ट आयोजित किया, तो यह एक खास प्लेयर की शुरुआत थी. जिसे कई लोग एक खास करियर की शुरुआत मानते थे. एक स्पेशल विनोद कांबली का आगाज.
कांबली ने टेस्ट क्रिकेट में कदम रखते ही मानों भूचाल ला दिया ही. सिर्फ 7 टेस्ट मैच खेलकर कांबली ने इंग्लैंड और जिम्बाब्वे के खिलाफ दो शतक और लगातार दो दोहरे शतक (224 और 227) जमा दिए. 7 टेस्ट मैचों के बाद कांबली (जो उस समय 22 वर्ष के थे) ने 100.4 के बैटिंग औसत से 793 रन बनाए थे. यह औसत ब्रैडमैन से भी ज्यादा था. इस पर यकीन करना मुश्किल है कि इतनी जबरदस्त शुरुआत के बाद एक खिलाड़ी ने सब कुछ खो दिया.
शायद बहुत कम फैंस जानते होंगे कि विनोद कांबली भारतीय क्रिकेट के सबसे कम उम्र में दोहरा शतक (टेस्ट में) ठोकने वाले बल्लेबाज हैं. उन्होंने 21 साल और 32 दिन की उम्र में यह करिश्मा 1993 में किया था. करियर के अपने तीसरे ही टेस्ट मैच में कांबली ने यह कमाल किया. अब तक उनका यह रिकॉर्ड अजेय है. जानकारी हैरानी हो सकती है कि तेंदुलकर को अपने पहले दोहरे शतक के लिए 6 साल और इंतजार करना पड़ा. उन्होंने 1999 में न्यूजीलैंड के खिलाफ ऐसा किया.
इससे पहले कि कांबली का दुनियाभर में डंका बजता, उनका फॉर्म अचानक से डाउन हो गया. 1996 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भारत के श्रीलंका से हारने के बाद लंबे समय तक कांबली की आंसुओं की छवि हमेशा के लिए बनी रही. तब तक वे अपना आखिरी टेस्ट मैच खेल चुके थे. टेस्ट में सिर्फ 2 ही साल कांबली खेल पाए. 1993 में डेब्यू और 1995 में आखिरी टेस्ट. श्रीलंका के खिलाफ 120 रन बनाने के बाद, कांबली अपने अगले 10 टेस्ट मैचों में सिर्फ दो अर्धशतक ही लगा पाए. उस समय ऐसी वापसी इतनी भी खराब नहीं थी कि उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाए. हालांकि, सिर्फ मैदान में प्रदर्शन में कमी ही कांबली के टीम से बाहर होने का एकमात्र कारण नहीं था. मैदान के बाहर उनकी गतिविधियां का इसमें बड़ा रोल रहा.
1991 से 2000 के बीच कांबली ने भारतीय टीम में 9 बार वापसी की. इससे पहले कि 2000 में उनका करियर खत्म हो जाता. तब उनकी उम्र सिर्फ 28 साल थी. कांबली ने 9 सालों में भारत के लिए 101 वनडे मैच खेले, जिसमें उन्होंने 32.59 की औसत से 2477 रन बनाए, जिसमें दो शतक शामिल हैं. वहीं, उनका टेस्ट करियर 17 मैचों का रहा, जिसमें 1084 रन बनाए.
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