गांगुली के साथ विवाद पर रवि शास्त्री ने तोड़ी चुप्पी, इस बात को लेकर था मनमुटाव
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गांगुली के साथ विवाद पर रवि शास्त्री ने तोड़ी चुप्पी, इस बात को लेकर था मनमुटाव

रवि शास्त्री के साथ सौरव गांगुली के रिश्ते उतने बेहतर नहीं रहे हैं. गांगुली के साथ अपने रिश्ते के बारे में रवि शास्त्री ने खुलासा करते हुए बड़ा बयान दिया है. खबरें थीं कि इसके बाद से ही गांगुली और शास्त्री के रिश्तों में खटास पड़ गई.

Sourav Ganguly and Ravi Shastri

नई दिल्ली: टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री ने पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के साथ विवाद को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी है. बता दें कि रवि शास्त्री के साथ सौरव गांगुली के रिश्ते उतने बेहतर नहीं रहे हैं. गांगुली के साथ अपने रिश्ते के बारे में बात करते हुए शास्त्री ने टाइम्स नाउ से कहा, 'मीडिया को ऐसी खबरें पसंद हैं. वे भेल पूरी और चाट को मिला कर एक मजेदार मसाला तैयार करते हैं. मैं भी ऐसी कहानियों को काफी पसंद करता हूं.'

  1. गांगुली के साथ विवाद पर रवि शास्त्री ने तोड़ी चुप्पी
  2. शास्त्री ने गांगुली के साथ विवाद को लेकर चुप्पी तोड़ी

इस बात को लेकर था मनमुटाव

बता दें कि इससे पहले खुद रवि शास्त्री ने 'ब्रेकफास्ट विद चैंपियंस' शो में साल 2007 की घटना सुनाई थी, जब वह सौरव गांगुली के बिना ही टीम बस लेकर रवाना हो गए थे, क्योंकि दादा (सौरव गांगुली) को देर हो चुकी थी. पहली बार जब शास्त्री 2007 में भारतीय टीम मैनेजर बने थे, तो उन्होंने टीम बस ड्राइवर को गांगुली के बिना ही चलने के लिए कहा था. खबरें थीं कि इसके बाद से ही गांगुली और शास्त्री के रिश्तों में खटास पड़ गई.

गांगुली जब बीसीसीआई की सीएसी में थे तब उन्होंने कोच पद के लिए इंटरव्यू देने आए रवि शास्त्री को ना कह दिया था और अनिल कुंबले को चुना था. हालांकि कुंबले के हटने के बाद उन्हें शास्त्री को चुना था. गांगुली जब बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे तब भी यह खबरें थी कि शायद इससे शास्त्री को नुकसान हो सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और दोनों ने अपनी-अपने जिम्मेदारियों पर ध्यान दिया. 

गांगुली के साथ विवाद पर रवि शास्त्री ने तोड़ी चुप्पी

शास्त्री से जब पूछा गया कि क्या गांगुली को ये बात याद है और वह अभी भी इस बात को लेकर कड़वाहट लिए बैठे हैं तो शास्त्री ने कहा कि ऐसा नहीं है और दोनों के बीच अच्छी दोस्ती है. वह एक ही टीम के लिए खेले हैं और मीडिया ने ये बातें बनाई हैं जिसका मजा वो भी लेते हैं. रवि शास्त्री ने कहा, 'बिल्कुल नहीं. जब वह इंग्लैंड में थे तब मैंने उनसे बात की थी. मैंने उनकी काफी क्रिकेट देखी है. वो भी उसी टीम से खेले हैं जिससे मैं खेला हूं (टाटा स्टील). मैं टाटा स्टील के लिए बतौर कप्तान खेला हूं और वह मेरी कप्तानी में खेले हैं. हम लंबे समय तक साथ खेले हैं. मीडिया इस तरह की कहानियों को पसंद करता है. उन्हें ये भेलपुरी और चाट पसंद है और वह इससे अच्छा मसाला बनाते हैं. मुझे भी इस तरह की कहानियों में मजा आता है.'

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