बालकनी से कूदकर खुदकुशी करना चाहते थे रॉबिन उथप्पा, जानिए क्या थी वजह
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बालकनी से कूदकर खुदकुशी करना चाहते थे रॉबिन उथप्पा, जानिए क्या थी वजह

टीम इंडिया के लिए खेल चुके रॉबिन उथप्पा एक समय में डिप्रेशन का शिकार हो गए थे, इसी वजह से उनके मन में खुदकुशी का ख्याल आया था.

बालकनी से कूदकर खुदकुशी करना चाहते थे रॉबिन उथप्पा, जानिए क्या थी वजह

नई दिल्ली: टी-20 वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के हिस्सा रहे विकेटकीपर-बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा (Robin Uthappa) ने खुलासा किया है कि साल 2009 से 2011 के बीच वो तनाव से जूझ रहे थे और एक वक्त तो ऐसा भी आया था जब वो आत्महत्या तक करने की सोच चुके थे. उथप्पा ने 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ मैच से भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया था. उन्होंने अब तक भारत के लिए 46 वनडे और 13 टी-20 मैच खेले हैं.

  1. रॉबिन उथप्पा ने किया चौंकाने वाला खुलासा.
  2. खुदकुशी करना चाहते थे क्रिकेटर उथप्पा.
  3. डिप्रेशन के शिकार हो गए थे रॉबिन उथप्पा.

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उथप्पा ने राजस्थान रॉयल्स फाउंडेशन द्वारा एनएस वाहिया फाउंडेशन एंड मैक्लीन अस्पताल (हॉवर्ड मेडिकल स्कूल से संबद्ध) के सहयोग से मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आयोजित वेबीनार 'माइंड, बॉडी और सोल' के पहले सत्र में कहा, 'जब मैंने साल 2006 में अपना डेब्यू किया तो अपने बारे में इतना नहीं जानता था, तब काफी चीजों को सीख रहा था और सुधार करता जा रहा था. अब मैं अपने बारे में काफी ज्यादा जानकारी रखता हूं और अपने विचारों के साथ खुद को लेकर काफी पक्का हूं. अब खुदको संभालना मेरे लिए आसान है अगर कहीं फिसल जाता हूं.

उन्होंने कहा, 'मुझे ऐसा लगता है कि मैं आज इस जगह पहुंचा हूं क्योंकि काफी मुश्किलों के पलों का सामना किया है. मैं बहुत ही ज्यादा तनाव में था और खुदकुशी तक करने के विचार आते थे. मुझे याद है साल 2009 और 2011 यह नियमित तौर पर होता था और हर दिन मेरे अंदर ऐसे विचार आते थे.'

उथप्पा ने आगे कहा, 'एक वक्त ऐसा भी था जब मैं क्रिकेट के बारे में सोचता ही नहीं था. यह मेरे दिमाग से काफी दूर हो गया था. मैं यह सोचता रहता था कि आज के दिन मैं कैसे बचूंगा और अगले दिन तक किस तरह जिंदा रहूंगा. मेरे जीवन में हो क्या रहा है और मैं किस रास्ते पर जा रहा हूं.'

विकेटकपर बल्लेबाज ने कहा, 'क्रिकेट खेलते वक्त तो ऐसे ख्याल दिमाग से दूर रहते थे लेकिन जब मैच नहीं होता था ऑफ सीजन में तो बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जाता था. उन दिनों मैं बैठे बैठे सोचता था कि मैं 3 तक गिनती करूंगा और दौड़कर बालकॉनी से छलांग लगा दूंगा, लेकिन फिर कुछ था जो मुझे ऐसा करने से रोक लेता था.
(इनपुट-आईएएनएस)

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