सचिन तेंदुलकर ने कहा, ओलंपिक में शामिल हो क्रिकेट, यह होगा फायदा
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सचिन तेंदुलकर ने कहा, ओलंपिक में शामिल हो क्रिकेट, यह होगा फायदा

तेंदुलकर ने ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल करने की वकालत की है.

सचिन तेंदलुकर का मानना है कि ओलंपिक में क्रिकेट के शामिल होने से उसे दुनिया में और प्रसार मिलेगा.  (फोटो: PTI)

मुंबई: क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल किए जाने की मांग काफी समय से उठ रही है. वीरेंद्र सहवाग सहित कई दिग्गज खिलाड़ी इसकी वकालत काफी समय पहले से कर रहे हैं. अब भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने भी इसकी पैरवी की है. तेंदुलकर ने क्रिकेट को ओलंपिक खेलों में शामिल करने की वकालत करते हुए मंगलवार को कहा कि अब इस खेल के अलग अलग प्रारूप है और इसके खेल महाकुंभ में शामिल होने से इसका विश्व में अधिक प्रसार होगा. 

तेंदुलकर ने कहा कि अगर क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल करना है तो अन्य टीमों को तैयारियों के लिये पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘बाक के दिमाग में यह बात थी कि पांच दिनी क्रिकेट को कैसे ओलंपिक में शामिल किया जा सकता है. क्रिकेट उन कुछेक खेलों में शामिल हैं जिसके कई प्रारूप हैं जैसे वनडे, टी20, टी10 और जब तक (आईओसी) क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल किया जाता है तो हो सकता है कि तब तक पांच ओवरों का खेल भी शुरू हो जाए.’’ तेंदुलकर ने कहा, ‘‘लेकिन क्रिकेटर होने के नाते मुझे लगता है कि यह खेल ओलंपिक में होना चाहिए. मैं निसंदेह ऐसा देखना चाहता हूं.’’ 

दीपा करमार की किताब का विमोचन किया सचिन ने
तेंदुलकर ने ‘दीपा करमाकर-द स्माल वंडर’ किताब के मुंबई में विमोचन के अवसर पर कहा, ‘‘क्रिकेटर होने के नाते मैं कहूंगा कि खेल का वैश्वीकरण होना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ समय पहले मैं रियो ओलंपिक में था. मैंने थामस बाक (आईओसी अध्यक्ष) से बात की और उनसे कहा कि मुझे लगता है कि क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल किया जाना चाहिए.’’ 

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तेंदुलकर ने दीपा करमाकर की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने न केवल प्रभाव छोड़ा है बल्कि हजारों युवाओं को बाहर आकर देश के लिए कुछ खास करने के लिए प्रेरित भी किया है. यही मायने रखता है.” दीपा रियो ओलंपिक में वॉल्ट स्पर्धा में चौथे स्थान पर आकर रातोंरात स्टार बन गई थीं. इस समय वे 2020 में होने वाले ओलंपिक खेलों की तैयारियां कर रही हैं. दीपा ने कहा, मैं मार्च में ओलंपिक में चयन के लिए प्रतिस्पर्धा में भाग लूंगी. क्वालिफिकेशन के मानदंडों में अब काफी बदलाव आया है. ये मानदंड भारत जैसे देश के लिए काफी कड़े हैं, जो कि जिमनास्टिक में ज्यादा विकसित नहीं हैं, लेकिन मैं क्वालिफिकेशन के लिए अपना बेस्ट देने की कोशिश कर रही हूं.” 

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