जब सचिन तेंदुलकर ने BCCI से कहा था, 'धोनी को अगला कप्तान बनाया जाना चाहिए'
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जब सचिन तेंदुलकर ने BCCI से कहा था, 'धोनी को अगला कप्तान बनाया जाना चाहिए'

2007 में सचिन तेंदुलकर खुद कप्तान नहीं बनना चाहते थे, लेकिन वो धोनी के क्रिकेट कौशल से काफी प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने माही के नाम का सुझाव दिया.

सचिन तेंदुलकर और एमएस धोनी. (फोटो-Twitter/@Sachin_rt)

नई दिल्ली: सचिन तेंदुलकर को स्लिप में खड़े रहकर महेंद्र सिंह धोनी के क्रिकेट कौशल को अच्छी तरह से परखने का मौका मिला जिससे उन्हें लगा कि वह भारतीय कप्तानी के लिए तैयार हैं और 2007 में जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने उनसे सलाह मांगी तो इस स्टार बल्लेबाज ने इस विकेटकीपर का नाम सुझाया था.

  1. धोनी के क्रिकेट कौशल से प्रभावित थे सचिन.
  2. 2007 में सचिन खुद कप्तान नहीं बनना चाहते थे.
  3. बीसीसीआई ने तेंदुलकर की सलाह मान ली थी.

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तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने उस साल पहले आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप में जूनियर खिलाड़ियों को मौका देने का फैसला किया और बीसीसीआई ने तब मास्टर ब्लास्टर से कप्तानी के लिए अपनी पसंद बताने के लिये कहा था.

तेंदुलकर ने हाल में संन्यास लेने वाले पूर्व भारतीय कप्तान के बारे में पीटीआई-भाषा को दिये गए इंटरव्यू में कहा, ‘मैं इसके विस्तार में नहीं जाऊंगा कि ये कैसे हुआ हां लेकिन जब मुझसे (बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों ने) पूछा गया तो मैंने बताया कि मैं क्या सोचता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने कहा था कि मैं दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर नहीं जाऊंगा क्योंकि मैं तब कुछ चोटों से परेशान था. लेकिन तब मैं स्लिप कॉर्डन में क्षेत्ररक्षण करता था और धोनी से बात करता रहता था और मैंने तब समझा कि वो क्या सोच रहा है, फील्डिंग कैसी होनी चाहिए और तमाम पहलुओं पर मैं बात करता था.’

 

तेंदुलकर ने कहा, ‘मैंने उसकी मैच की परिस्थितियों के आकलन करने की क्षमता देखी और इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके पास बहुत अच्छा क्रिकेट का दिमाग है इसलिए मैंने बोर्ड को बताया कि मुझे क्या लगता है. धोनी को अगला कप्तान बनाया जाना चाहिए.’ तेंदुलकर ने कहा कि वो धोनी की हर किसी को अपने फैसले के लिए मना देने की क्षमता से वह प्रभावित थे.

उन्होंने कहा, ‘मैं जो कुछ सोच रहा था और उसकी जो सोच थी, वह काफी हद तक मिलती जुलती थी. अगर मैं आपको किसी बात के लिए मना लेता हूं तो हमारी राय एक जैसी हो जाएगी और धोनी के साथ ये बात थी. हम दोनों एक तरह से सोचते थे और इसलिए मैंने उनके नाम का सुझाव दिया.’ धोनी को 2008 में तब टेस्ट कप्तानी सौंपी गई जब भारतीय टीम में तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और जहीर खान जैसे सीनियर क्रिकेटर शामिल थे.

तेंदुलकर से पूछा गया कि धोनी सीनियर खिलाड़ियों को कैसे साथ लेकर चलते थे, उन्होंने कहा, ‘मैं केवल अपनी बात कर सकता हूं कि मेरी कप्तान बनने की कोई इच्छा नहीं थी. मैं आपसे ये कह सकता हूं कि मैं कप्तानी नहीं चाहता था और मैं टीम के लिए हर मैच जीतना चाहता था. कप्तान कोई भी हो मैं हमेशा अपना सौ फीसदी देना चाहता था. मुझे जो भी अच्छा लगता था मैं कप्तान के सामने उसे रखता था. फैसला कप्तान का होता था लेकिन उसके कार्यभार को कम करना हमारा फर्ज होता है.’

तेंदुलकर ने कहा, ‘अगर हर खिलाड़ी अपनी भिन्न क्षमताओं से योगदान देता है तो कप्तान का भार कम हो जाता है. मुख्य विचार एक दूसरे की मदद करना था. जब 2008 में धोनी कप्तान बना तब मैं लगभग 19 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बिता चुका था. इतने लंबे समय तक खेलने के बाद मैं अपनी जिम्मेदारी को समझता था.’
(इनपुट-भाषा)

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