टीम इंडिया के इस क्रिकेटर पर टूटा दुखों का पहाड़, पिता ने अचानक कहा दुनिया को अलविदा
भारत के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सुरेश रैना के पिता त्रिलोकचंद रैना का रविवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. रैना के ऊपर इस खबर से दुखों का पहाड़ टूट गया है.
नई दिल्ली: भारत के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सुरेश रैना के पिता त्रिलोकचंद रैना का रविवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘वह पिछले एक साल से कैंसर से जूझ रहे थे.’ रैना के ऊपर इस खबर से दुखों का पहाड़ टूट गया है. रैना के पिता ने उन्हें एक क्रिकेटर बनाने के लिए बहुत मेहनत की थी. इस बुरी खबर से क्रिकेत जगत को भी झटका लगा है.
रैना पर टूटा दुखों का पहाड़
सुरेश रैना गाजियाबाद के राजनगर स्थित अपने आवास पर पिता की सेवा में लगे हुए थे. वह लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे. उनकी तबीयत दिसंबर से काफी खराब चल रही थी. उनके निधन पर क्रिकेट जगत काफी शोकाकुल है. हरभजन सिंह सहित रैना के साथी खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया. हरभजन ने लिखा, ‘सुरेश रैना के पिता के बारे में दुख हुआ. आपकी आत्मा को शांति मिले अंकल जी.’ रैना ने भारत के लिए 18 टेस्ट, 226 वनडे और 78 टी20 खेले है.
पिता के साथ ही थे रैना
रैना पिता के साथ काफी लंबे समय से रह रहे थे. इसी आवास पर उनके पिता ने आखिरी सांस ली. आज ही के दिन स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन पर पुरी दुनिया के साथ खुद सुरेश रैना ने भी शोक जताया. लेकिन इसके बाद ही रैना के ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ा और उनके पिता भी उनका साथ छोड़कर चले गए. पिता के ऐसे दुनिया से चले जाने से रैना काफी दुखी हैं.
भारतीय सेना में थे रैना के पिता
सुरेश रैना के पिता त्रिलोकचंद रैना भारतीय सेना में कार्यरत रहे. उन्हें बम बनाने में महारत हासिल थी. वह आर्डिनेंस फैक्ट्री में बम बनाया करते थे. उनका पैतृक गांव केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के रैनावारी में है. वह कश्मीरी पंडित थे. 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों की हत्या के बाद उनके पिता ने गांव छोड़ दिया था.
धोनी के साथ रैना ने लिया संन्यास
सुरेश रैना ने 15 अगस्त 2020 को महेंद्र सिंह धोनी के साथ ही अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. रैना ने भारत के लिए 18 टेस्ट, 226 वनडे के अलावा कुल 78 टी-20 मैच खेले. सुरेश रैना का पैतृक गांव जम्मू और कश्मीर के रैनावारी में है. हालांकि, 90 के दशक में उनके पिता त्रिलोकचंद परिवार समेत यूपी के गाजियाबाद के मुरादनगर में बस गए थे.