EXCLUSIVE: शतक तो बन ही जाता, नजर तो सिर्फ वर्ल्ड कप उठाने पर थी- 'सुपरहीरो' मनजोत कालरा
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EXCLUSIVE: शतक तो बन ही जाता, नजर तो सिर्फ वर्ल्ड कप उठाने पर थी- 'सुपरहीरो' मनजोत कालरा

ICC अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में नाबाद 102 रनों की पारी खेलकर दिल्ली के सलामी बल्लेबाज मनजोत कालरा ने देश को चौथी बार विश्वविजेता बनाया.

मनजोत कालरा ने फाइनल मैच में नाबाद 102 रनों की पारी खेली थी (PIC: ZEE NEWS)

नई दिल्ली: आईसीसी अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में नाबाद 102 रनों की पारी खेलकर दिल्ली के सलामी बल्लेबाज मनजोत कालरा ने देश को चौथी बार विश्वविजेता बनाया. वर्ल्ड कप फाइनल के प्रेशर के बीच खेली गई उनकी इस पारी की क्रिकेट जगत में काफी सराहना हुई. मनजोत ने न्यूजीलैंड की धरती पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस पारी के साथ खुद को वर्ल्ड कप के उस खास क्लब में शामिल कर लिया, जिसमें इससे पहले तक सिर्फ चार खिलाड़ी ही अपना नाम दर्ज करा पाए थे. मनजोत ने वर्ल्ड कप के पहले मैच से ही अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी थी, जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 86 रनों की पारी खेली थी. 

  1. मनजोत कालरा को फाइनल मैच में 'मैन ऑफ द मैच' चुना गया
  2. भारत ने फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हराया
  3. अंडर 19 टीम इंडिया ने चौथी बार अपने नाम किया वर्ल्डकप

ZEE News हिंदी ऑनलाइन ने वर्ल्ड कप के इस 'सुपरहीरो' का वेलकम किया और उनसे खास बातचीत की...

कैसा रहा आपका वर्ल्ड कप तक का सफर. कौन सी मुश्किलें आईं? 
मनजोत कालरा: अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने तक का सफर काफी रोमाचंक रहा. इसके साथ ही यह काफी मुश्किल भी रहा. वर्ल्ड कप में जाने से पहले स्टेट लेवल के मैच खेलने थे. उनमें परफॉर्म भी करके खुद को साबित करना था, जोकि आसान नहीं रहा. मैंने वर्ल्ड कप के लिए खास तैयारी की और पूरी हिम्मत के साथ खुद को पॉजिटिव बनाए रखते हुए मुश्किलों का सामना किया.  

EXCLUSIVE: मनजोत कालरा के साथ क्रिकेट से इतर कुछ चटपटी बातें

वर्ल्ड कप फाइनल में जब आप सेंचुरी की ओर बढ़ रहे थे, तो हार्विक देसाई फटाफट बाउंड्री लगा रहे थे. ऐसा लग रहा था कि कहीं आपकी सेंचुरी रह ना जाए?
मनजोत: उस दौरान काफी रन पड़ रहे थे. जब मैं 99 पर खेल रहा था उस दौरान 12 रन पड़े थे, लेकिन उस वक्त सेंचुरी को लेकर मन में कोई ख्याल नहीं था. सिर्फ यही था कि वर्ल्ड कप जीतना है. हम सबका बस एक ही लक्ष्य था कि बस वर्ल्ड कप जीतना है. हालांकि, मुझे पता था कि सेंचुरी तो आसानी से हो ही जाएगी क्योंकि सिर्फ एक ही रन चाहिए था. (बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल मैच में जब मनजोत कालरा की सेंचुरी होने के करीब थी. उस दौरान मनजोत के साथ स्ट्राइक पर हार्विक थे. भारत जीत के काफी करीब था. इस दौरान हार्विक देसाई तेजी से खेल रहे थे और चौके लगा रहे थे. इस दौरान सभी को लग रहा था कि कहीं मनजोत का शतक अधूरा ना रह जाए.)

वर्ल्ड कप विजेता इस टीम को 'टीम द्रविड़' कहा जा रहा है. कैसे कोच हैं द्रविड़ और कैसी है उनकी ट्रेनिंग?
मनजोत: राहुल सर टेक्निक के बारे में ज्यादा बात नहीं करते. वह खिलाड़ियों की टेक्निक में ज्यादा बदलाव नहीं करवाते. राहुल सर क्रिकेट को दिमाग का खेल कहते हैं. वह टेक्निक के बारे में ना बताकर मैदान पर कैसा बर्ताव करना है. कैसा एटीट्यूट होना चाहिए. कैसे गेंदबाज को पढ़ना और फिर किस तरह परफॉर्म करना है इस पर बात करते हैं. राहुल सर बीच-बीच में इसके बारे में बताते हैं कि आपके शॉट्स ज्यादा हवाई नहीं होने चाहिए, बल्कि ग्राउंड से लगते हुए होने चाहिए. लेकिन वह आपके खेल की टेक्निक में कभी चेंज करने के लिए नहीं कहते हैं. वह हर खिलाड़ी को उसके स्टाइल पर ही ज्यादा फोकस करने के लिए कहते हैं. 

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कितने कड़क कोच हैं राहुल द्रविड़? 
मनजोत: राहुल सर बिल्कुल भी कड़क नहीं है. वह हमारे साथ बिल्कुल हमारी तरह ही रहते हैं. कभी वह यह महसूस नहीं होने देते हैं कि हम उनसे अलग हैं. 

आपको वनडे-टी-20 में महारत हासिल है, टेस्ट क्रिकेट के बारे में आप क्या सोचते हैं? 
मनजोत: किसी भी क्रिकेटर के लिए टेस्ट क्रिकेट ही असली टेस्ट होता है. मैं भी भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट भी खेलना चाहता हूं. मेरा लक्ष्य इंडिया के लिए तीनों फॉर्मेट्स में खेलना है.

विराट कोहली की कौन-सी खूबी आप अपनाना चाहेंगे? 
मनजोत: विराट कोहली की गेम को फिनिश करने की स्टाइल बेहद पसंद है और वह मैं सीखना चाहता हूं. विराट के पास बड़े टारगेट को चेज करने की खास कला है. वह खेल को कभी भी अधूरा नहीं छोड़ते. अगर वह क्रीज पर जम गए हैं तो वह खेल को पूरा खत्म करके ही लौटते हैं. उनकी यही बात खास है और मैं भी यह सीखना चाहूंगा. 

आपके शॉट्स की तुलना युवराज सिंह से की जा रही है? 
मनजोत: मुझे उनके साथ कम्पेयर करना सही नहीं है, क्योंकि मेरी तो अभी शुरुआत है और वह इतने बड़े खिलाड़ी हैं. मेरे और उनके शॉट्स एक जैसे हैं तो इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता, लेकिन मेरी स्टाइल बिल्कुल अलग है. मैं खेलते हुए कभी किसी को कॉपी नहीं करता. 

क्रिकेट की ओर आपका रुझान कैसा हुआ?
मनजोत: पहले मेरे बड़े भाई क्रिकेट खेलते और मैं सिर्फ उनके साथ ग्राउंड पर जाता था. सिर्फ टाइम पास करने और एन्जॉय करने के लिए. फिर धीरे-धीरे मैंने भी क्रिकेट खेलना शुरू किया. अंडर-14 खेला. फिर धीरे-धीरे क्रिकेट में दिलचस्पी बढ़ती गई और फिर फैसला कर लिया कि सिर्फ क्रिकेट ही खेलना है.  

सीनियर खिलाड़ियों से किस तरह की टिप्स मिलती है?
मनजोत: अगर दिल्ली के सीनियर खिलाड़ियों की बात की जाए तो अभी तक रणजी ट्रॉफी में मैं उनके साथ नहीं खेला हूं. अब अगर उनके साथ चांस मिलेगा तो जरूर उनसे बहुत कुछ सीखूंगा. इसके साथ ही अब आईपीएल में आ गया हूं तो यहां भी देश-विदेश के कई सीनियर खिलाड़ियों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. 

वर्ल्ड कप के बाद जिंदगी में किस तरह का बदलाव आया?
मनजोत: हां लाइफ तो बदली है. आस-पास रहने वाले लोग काफी खुश हैं, लेकिन साथ ही उनकी उम्मीदें भी काफी बढ़ गई हैं. खुद को सेलिब्रिटी महसूस करके अच्छा लगता है लोग पहचानते हैं, लेकिन साथ ही यह भी लगता है कि अभी कुछ ज्यादा नहीं किया है. अभी और बहुत ज्यादा करना है. 

वर्ल्ड कप की विरोधी टीमों का स्तर क्या था?
मनजोत: बाकी टीमें भी काफी अच्छी थीं. जैसे पाकिस्तान का बॉलिंग अटैक काफी अच्छा था, लेकिन मुझे लगा हमारा बॉलिंग अटैक बेस्ट था. सभी एक्सपीरियेंस बॉलर थे. सभी को अपना रोल पता था कि उन्हें क्या करना है. हमारी टीम के गेंदबाजों ने शानदार परफॉर्म किया. 

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आईपीएल से कितना फायदा मिलेगा?
मनजोत: मुझे लगता है आईपीएल का यह एक्सपीरियंस आगे के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. अभी तक मैं सिर्फ अंडर-19 के गेंदबाजों को फेस कर रहा था, लेकिन अब जाकर ना केवल भारतीय बल्कि विदेशी और सीनियर्स गेंदबाजों को फेस करने का मौका मिलेगा. उनका एक्सपीरियंस मिलेगा और साथ ही उनसे बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा. आईपीएल के लिए मैं बहुत एक्साइटेड हूं. सबसे ज्यादा एक्साइटमेंट इसी बात का है कि भारतीय और विदेशी सीनियर खिलाड़ियों से मिलने का मौका मिलेगा और साथ ही उनसे बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा. 

आईपीएल ऑक्शन के दिन आप क्या कर रहे थे?
मनजोत: राहुल सर ने ऑक्शन देखने के लिए तो बिल्कुल ही मना कर दिया था और जिस वक्त ऑक्शन चल रहा था हमारी मीटिंग थी तो हम लोगों ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया. राहुल सर ने कहा था कि, हम यहां वर्ल्ड कप के लिए आए हैं. आईपीएल में इस साल नहीं आए तो अगले साल आ जाओगे. 

घरेलू टूर्नामेंट को आप कितना महत्वपूर्ण मानते हैं?
मनजोत: घरेलू टूर्नामेंट बहुत जरूरी है. अगर कोई खिलाड़ी इनमें परफॉर्म करता है तो उसके लिए आगे के रास्ते खुल जाते हैं. आजकल तो अंडर-19 की क्रिकेट भी बहुत ज्यादा हो गई है. इनमें खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए भविष्य का रास्ता जरूर बनता है.

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