पीडीपी के सांसदों- नजीर अहमद लवाय और मीर मोहम्मद फैयाज ने संविधान की प्रतियां फाड़ दीं.
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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के सोमवार को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को हटाने का संकल्प पेश करते ही पीडीपी के सांसदों- नजीर अहमद लवाय और मीर मोहम्मद फैयाज ने संविधान की प्रतियां फाड़कर अपना विरोध जाहिर किया. पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद विजय गोयल ने जब उनको ऐसा करने से रोका तो एक कांग्रेस सांसद ने उन पर हमला किया. यह आरोप खुद विजय गोयल ने लगाया है.
गोयल ने ट्वीट में लिखा, ''आज जब राज्यसभा में पीडीपी के सांसद को मैंने संविधान की किताब फाड़ने से रोका तो कांग्रेस के सांसद हरि प्रसाद ने सदन में उस समय मेरे पर हमला किया. बहुत शर्म की बात है संविधान फाड़ने वालों को कांग्रेस स्पोर्ट करती है.''
आज जब राज्यसभा में पी डी पी के सांसद को मैंने संविधान की किताब फाड़ने से रोका तो कांग्रेस के सांसद हरि प्रसाद ने सदन में उस समय मेरे पर हमला किया। बहुत शर्म की बात है संविधान फाड़ने वालों को कांग्रेस स्पोर्ट करती है।
— Vijay Goel (@VijayGoelBJP) August 5, 2019
आपको बता दें कि संविधान की प्रतियां फाड़ने के बाद पीडीपी सांसद मीर फ़ैयाज़ ने राज्यसभा में अपना कुर्ता फाड़ दिया, जिसके बाद सभापति वेंकैया नायडू ने दोनों सांसदों को मार्शल की मदद से सदन से बाहर करवा दिया.
हालांकि, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने पीडीपी सांसदों के कृत्य की निंदा की. उन्होंने कहा, "कश्मीर के एवं हर दुःख दर्द में भारत के साथ खड़े रहे. हम संविधान की रक्षा के लिए अपने जान की बाज़ी लगा देंगे लेकिन हम उस कृत्य की निंदा करते है जो हिंदुस्तान के संविधान को जलाते हैं या उसको फाड़ते हैं."
जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख बनेंगे केंद्र शासित प्रदेश
केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू एवं कश्मीर के पुनर्गठन का संकल्प पेश किया. गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को सदन में इसे पेश किया. इस विधेयक के अनुसार, जम्मू एवं कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा. इसमें जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, वहीं लद्दाख दूसरा केंद्र शासित प्रदेश होगा.
लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी
शाह ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा होगी लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. उन्होंने कहा कि यह कदम सीमा पार आतंकवाद के लगातार खतरे को देखते हुए उठाया गया है. उन्होंने कहा कि लद्दाख के लोग लंबे समय से उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग कर रहे थे और यह निर्णय स्थानीय जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लिया गया है.