'ऑलराउंड' बैट्समैन हैं विराट कोहली, इन मामलों में हैं सचिन से भी बड़े
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'ऑलराउंड' बैट्समैन हैं विराट कोहली, इन मामलों में हैं सचिन से भी बड़े

दक्षिण अफ्रीका में कप्तान विराट कोहली ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह उनसे पहले कोई भारतीय क्रिकेटर नहीं कर पाया. 

टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली की तुलना कई महान क्रिकेटरों से की जाती है (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: 'रन मशीन' विराट कोहली की तुलना शुरू से ही दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों से की जा रही है. विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर की तुलना भी अक्सर होती है. कई क्रिकेट दिग्गजों का ऐसा मानना है कि अगर कोई खिलाड़ी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड्स को तोड़ सकता है तो वह सिर्फ विराट कोहली हैं. लेकिन सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली की तुलना से पहले हमें आंकड़ों पर नजर डालनी होगी और यह देखना होगा कि क्या कोहली सचमुच परफेक्ट बल्लेबाज हैं या उन्होंने यह परफेक्शन कुछ खास मौकों के लिए ही हासिल की है. 

  1. टेस्ट सीरीज में भारत को 1-2 से हार का सामना करना पड़ा
  2. भारत ने वनडे सीरीज 5-1 से जीती और इतिहास रचा
  3. दक्षिण अफ्रीका में विराट कोहली ने अपने नाम कई रिकॉर्ड दर्ज किए

क्रिकेट में जब हम परफेक्शन की बात करते हैं तो हम व्यक्तिपरक हो जाते हैं, क्योंकि कहा यही जाता है कि दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं है. इस कड़ी में डॉन ब्रेडमैन को छोड़ा जा सकता है, जिनका औसत 100 के करीब है. पिछले दो कैलेंडर ईयर में कोहली को लगातार पर्पल पैच हासिल हुआ है. उनके लिए 2018 की शुरुआत यह बताती है कि आधुनिक क्रिकेट के वह बादशाह साबित हो रहे हैं. 

दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह उनसे पहले कोई भारतीय क्रिकेटर नहीं कर पाया. हालांकि, कुछ कमियां भी रहीं. दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज न जीत पाने के मामले में कोहली भी दूसरे कप्तानों की तरह ही साबित हुए. वह भी एशियाई पिचों पर ही जीतते दिखाई दिए, लेकिन इसके बावजूद कोहली की बल्लेबाजी ऐसी है जो किसी भी समकालीन से उन्हें बेहतर बनाती है. 

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विराट कोहली की बल्लेबाजी में भी कुछ खामियां दिखाई पड़ती हैं. जैसे वह ऑफ स्टंप के बाहर जाती गेंदों पर छेड़छाड़ करते हुए अक्सर आउट हो जाते हैं. यहां उनकी तकनीक सचिन तेंदुलकर से कमजोर दिखाई पड़ती है. अभी उन्हें इंग्लैंड में बल्लेबाजी का इम्तिहान देना है, जहां गेंद घूमती हुई बाहर निकलती है. 

फिर भी वह सचिन से बेहतर क्यों हैं?
सचिन तेंदुलकर के मुकाबले वह टीम को अधिक जीत दिलाते हैं और वह भी लगातार. वह आगे बढ़कर खुद रन बनाते हैं और शतक के पास पहुंच कर भी रन गति को धीमा नहीं पड़ने देते. सचिन तेंदुलकर की यह एक खामी थी. कोहली ने अपने खेल का विस्तार किया है. वह सीमाओं में बंधकर नहीं खेलते. वह टीम को साथ लेकर चलते हैं जबकि 2000 में पूरी टीम सचिन के इर्दगिर्द घूमती थी. उनके आउट होते ही टीम ढेर हो जाती थी. 

'100 शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं विराट कोहली, सचिन भी खुश होंगे'

विराट कोहली का स्ट्राइक रेट बड़ी पारियों में भी कम नहीं होता. लेकिन सचिन बड़ी पारियों में स्ट्राइक रेट को बरकरार नहीं रख पाते थे. ऐसा लगता था कि किसी रिकॉर्ड तक पहुंचकर वह रुक गए हैं. इस मामले में कपिल देव ठीक कहते हैं, ''विराट कोहली ज्यादा बड़े मैच विनर हैं, क्योंकि लैंडमार्क उनके लिए महत्व नहीं रखते. कहा जाता था कि सचिन के 100 शतकों के रिकॉर्ड तक शायद ही कोई पहुंच पाए. लेकिन अब इस पर संदेह होने लगा है. अब साफ दिखाई दे रहा है कि यदि विराट कोहली इसी अंदाज में खेलते रहे तो वह वनडे में ही 100 शतक तक पहुंच सकते हैं. उनकी रनों की भूख काबिले तारीफ है. वह एक शतक बनाने के बाद रुकते नहीं. बल्कि अगला मैच वहीं से शुरू करते हैं जहां उन्होंने पहला मैच खत्म किया था. दक्षिण अफ्रीका में वन डे में ही उन्होंने तीन शतक बनाए.''
 
भारतीय क्रिकेट के लिए यह अच्छा ही है कि विराट कोहली सबसे बड़े रिकॉर्ड ब्रेकर साबित हो रहे हैं. यदि वह सचिन तेंदुलकर के शतकों के शतक का रिकॉर्ड तोड़ते हैं तो भारतीयों से ज्यादा और कौन खुश होगा. भारतीय क्रिकेट को विराट कोहली के आसपास भी ऐसे बल्लेबाज चाहिए जो रिकॉर्ड ब्रेकर हों.

अंतिम निष्कर्ष में यही कहा जा सकता है कि वर्तमान में ऐसा लग रहा है कि कोहली सचिन से आगे हैं, लेकिन अभी विराट करियर का करियर अभी बहुत बचा है, देखना होगा कि वह अपनी फॉर्म और निरंतरता को कहां तक बनाए रख सकते हैं.

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