वीरेंद्र सहवाग के मुरीद हैं पाकिस्तान के पूर्व कप्तान, तारीफ में कही ये बात
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वीरेंद्र सहवाग के मुरीद हैं पाकिस्तान के पूर्व कप्तान, तारीफ में कही ये बात

वीरेंद्र सहवाग की बेखौफ बल्लेबाजी के सभी क्रिकेट फैंस कायल रहे हैं, लेकिन अब पाकिस्तान के पूर्व कप्तान राशिद लतीफ ने कहा है कि वो भी वीरू के फैन हैं.

वीरेंद्र सहवाग के मुरीद हैं पाकिस्तान के पूर्व कप्तान, तारीफ में कही ये बात

नई दिल्ली: वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) की निडर और विस्फोटक बल्लेबाजी भला किसे पसंद नहीं होगी. भारत के लिए टेस्ट में 8,586 और वनडे में 8,273 रन बनाने वाले सहवाग की जमकर तारीफ करते हुए पूर्व पाकिस्तानी कप्तान राशिद लतीफ (Rashid Latif) ने उन्हें एक गेम चेंजर बताया है. भारत के लिए पारी की शुरुआत करने वाले सहवाग किसी भी गेंदबाज के मन में डर पैदा करने में माहिर थे क्योंकि सहवाग पारी की शुरूआत से ही आक्रामक बल्लेबाजी करते थे और गेंदबाजों पर ज्यादा से ज्यादा दबाव बना देते थे. सहवाग के इसी खेल के राशिद लतीफ फैन हैं.

  1. वीरेंद्र सहवाग के खेल के राशिद लतीफ फैन हैं.
  2. सहवाग ने क्रिकेट में अपनी अलग ही छाप छोड़ी.
  3. सचिन, द्रविड़ नहीं होते तो सहवाग की तूती बोलती.

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पूर्व पाकिस्तानी कप्तान लतीफ ने सहवाग की तारीफ करते हुए कहा कि सहवाग गेंदबाजों पर दबदबा बना कर खेलना पसंद करते थे और अगर सहवाग ने सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के दौर में क्रिकेट नहीं खेला होता तो वे निश्चित ही भारत के लिए टेस्ट और वनडे में 10 हजार रन बना लेते. सच कहा जाए तो सहवाग अपने करियर के दौरान सचिन और द्रविड़ की छाया में रहे क्योंकि वो दोनों महान बल्लेबाज थे. अगर उस वक्त सचिन और द्रविड़ टीम इंडिया में नहीं होते तो चारों तरफ सहवाग का ही बोल-बाला होता. लतीफ ने आगे कहा कि अगर सहवाग किसी दूसरी टीम के लिए खेले होते तो उन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों में ही 10 हजार रन बना लिए होते.

सचिन और द्रविड़ की टीम में मौजूदगी के बावजूद सहवाग ने इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी अलग ही छाप छोड़ी. सहवाग के क्रीज पर संतुलन की तारीफ करते हुए लतीफ ने सहवाग के आलोचकों पर प्रहार करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि सहवाग के पैर नहीं हिलते थे, उनका फुटवर्क गजब का था और वो अपने हैंड-आई कॉर्डिनेशन की वजह से किसी भी गेंदबाज को डोमिनेट कर सकते थे.

 

लतीफ ने कहा, 'यह कहना गलत है कि उनके पांव नहीं हिलते थे. उनके पास काफी अनूठी तकनीक थी, जोकि उनका मजबूत आधार था. वो बैकफुट, पंच, कट और पुल भी आसानी से लगाते थे.' लतीफ ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, 'वह अपना दबदबा बनाकर खेलते थे. ज्यादातर टीमों की रणनीति होती थी कि उनके ओपनर क्रीज पर जाकर पिच से तालमेल बिठाएं और गेंदबाज को देखकर उनके मुताबिक खेलें. लेकिन वीरेंद्र सहवाग ऐसे खिलाड़ी थे, जो फ्रंटफुट पर आकर ताबड़तोड़ रन बनायै करते थे.'

राशिद ने कहा, 'उन्होंने कभी परवाह नहीं की कि सामने ग्लेन मैक्ग्राथ हैं या ब्रेट ली, वसीम अकरम हैं या फिर शोएब अख्तर. वीरेंद्र सहवाग का बैलंस इतना खूबसूरत था कि वह लाजवाब खेलते थे.' राशिद ने कहा, 'उनके रिकॉर्ड ही उनके खेल को खुद-ब-खुद बयां करते हैं. उनके नाम साढ़े 8 हजार से ज्यादा टेस्ट रन हैं. लेकिन उनका नाम उस रौब के साथ सामने नहीं आता है, जितना उन्होंने भारतीय टीम के लिए काम किया क्योंकि सहवाग सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के दौर में खेले और ये खिलाड़ी प्रभावशाली खिलाड़ियों में गिने जाते थे.

 

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