बाल दिवस पर सहवाग ने दिलाई भारत के सबसे छोटे शहीद की याद
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बाल दिवस पर सहवाग ने दिलाई भारत के सबसे छोटे शहीद की याद

यह दुर्भाग्यपूर्ण दिन था 11 नवम्बर,1938 का जब इस छोटे से बालक ने अपने देश के लिए प्राण त्याग दिए थे.

बाजी राउत भारत के सबसे कम उम्र के शहीद थे

नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व धाकड़ बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग अक्सर अपने मजेदार ट्वीट्स को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं. गंभीर मुद्दों पर भी वह अपने ट्वीट्स के जरिये ऐसा कटाक्ष करते हैं कि उसमें ह्यूमर भी नजर आता है, लेकिन बाल दिवस के मौके पर सहवाग ने एक ऐसा ट्वीट किया, जिसके बारे में शायद ज्यादा संख्या में लोग नहीं जानते होंगे. आज यानि 14 नवंबर को पूरे देश में धूमधाम से बाल दिवस मनाया जा रहा है. ऐसे में सहवाग ने एक ऐसे बच्चे की याद दिलाई है, जो भारत का सबसे छोटा शहीद है. 

  1. 14 नवंबर को हर साल बाल दिवस भारत में मनाया जाता है
  2. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन 14 नवंबर को आता है
  3. चाचा नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है

हम बात कर रहे हैं शहीद बाजी राउत की. क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने अपने ऑफिशियल टि्वटर हैंडल से एक के बाद एक चार ट्वीट किए हैं. इन ट्वीट्स के सहवाग ने देश के सबसे छोटे शहीद की कहानी बयां की और साथ ही यह संदेश भी दिया है कि हमें इनकी कुर्बानी को कभी नहीं भूलना चाहिए. 

ओडिशा के ढंकेनाल जिले के नीलकंठपुर गांव के बाजी राउत जैसे वीर बालक के बारे में देश में बहुत कम लोग ही जानते होंगे. उन्होंने छोटी—सी उम्र में ही अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया था और 12 साल की उम्र में देश के लिए शहीद हो गए थे. 

क्या है बाजी राउत की शहादत की कहानी 
जिस वक्त देश अंग्रेजों की गुलामी में था. उस वक्त इस बालक ने छोटी सी उम्र में ही देशभक्ति का पाठ पढ़ लिया था. छोटी—सी उम्र में ही उनके मन में  अपनी मातृभूमि और देशप्रेम की ललक जाग चुकी थी. उनके मन में पहले से ही अंग्रेजों के प्रति गुस्सा भरा हुआ था।

बार-बार कहने पर भी जब बाजी उनकी बात नहीं माना तो अंग्रेज इस बात से गुस्सा हो गए. तमतमाये अंग्रेजों ने इस छोटे से वीर बालक पर अपनी बंदूक से गोली चला दी. गोली बाजी का सीना चीरते हुए निकल गई. उसके शरीर से खून की तेज धार निकली और वह नाव में ही गिर गया था.

यह दुर्भाग्यपूर्ण दिन था 11 नवम्बर,1938 का जब इस छोटे से बालक ने अपने देश के लिए प्राण त्याग दिए थे.

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