Sachin Tendulkar: सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. सचिन ने अपने इंटरनेशनल करियर में 100 शतक लगाए हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि कामयाबी से भरपूर अपने करियर के बीच में ही सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) क्रिकेट से संन्यास लेना चाहते थे. अगर ये अनर्थ हो जाता तो सचिन 2011 का वर्ल्ड कप नहीं जीत पाते. वर्ल्ड कप 2011 को हासिल करने में सचिन ने खूब मेहनत की थी. 


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टीम इंडिया का सबसे दुख वाला पल 


2007 साल के वर्ल्ड कप में भारतीय क्रिकेट टीम में सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, महेंद्र सिंह धोनी, युवराज सिंह और राहुल द्रविड़ जैसे धुरंधर बल्लेबाज शामिल थे, लेकिन टीम इंडिया बांग्लादेश और श्रीलंका से हारकर पहले ही राउंड में बाहर हो गई. टीम इंडिया जब भारत लौटी तो फैंस के खिलाड़ियों के पुतले फूंकना शुरू कर दिए. 


संन्यास लेने वाले थे सचिन तेंदुलकर


2007 साल के वर्ल्ड कप में भारतीय क्रिकेट टीम की हार से दुखी होकर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) क्रिकेट से संन्यास लेने वाले थे. सचिन ने खुद इस बात का खुलासा अपनी ऑटोबायग्राफी ‘प्लेइंग इट माय वे’ में किया है. सचिन ने खुलासा किया कि उनकी मनोदशा बहुत खराब थी और वह क्रिकेट से संन्यास लेने वाले थे, लेकिन एक इंसान ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. उस समय सचिन तेंदुलकर की उम्र 34 साल की थी. 


इस इंसान ने सचिन को संन्यास लेने से रोका


सचिन तेंदुलकर को वक्त से पहले संन्यास लेने से रोकने वाले वह इंसान और कोई नहीं, बल्कि वेस्टइंडीज के पूर्व धुरंधर बल्लेबाज सर विव रिचर्ड्स थे. सचिन ने बताया कि विव रिचर्ड्स ने वेस्टइंडीज से मुझे फोन किया और हमने करीब 45 मिनट तक बात की. उन्होंने कहा कि मुझमें बहुत क्रिकेट बाकी है. इसलिए मुझे खेल छोड़ने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए.


सचिन ने माना अपना आदर्श 


सचिन तेंदुलकर ने अपनी किताब में कहा, 'जब मैं बड़ा हो रहा था तो विव मेरे हीरो थे और हमेशा रहेंगे. वे मेरे साथ छोटे भाई जैसा बर्ताव करते हैं. इसलिए जब उन्होंने मुझे फोन करके खेलते रहने को कहा तो इसका मेरे लिए बड़ा महत्व था. मैंने खेलना जारी रखा और 2008 में सिडनी में सिडनी में शतक लगाकर फॉर्म में लौट आया.' बता दें कि सचिन ने अपने करियर के दौरान वनडे में 18,426 और टेस्ट में 15,921 रन बनाए हैं.