मोहम्मद शमी ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे में 7 वनडे मैच खेले और 14 विकेट लिए. न्यूजीलैंड के खिलाफ मैन ऑफ द सीरीज का खिताब भी जीता.
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नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे पर गजब का प्रदर्शन किया. उसने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट और वनडे सीरीज (India vs Australia) दोनों जीती. फिर न्यूजीलैंड में वनडे सीरीज (India vs New Zealand) में शानदार जीत दर्ज की. हालांकि, उसके न्यूजीलैंड दौरे का अंत हार से हुआ. अब जब टीम इंडिया (Team India) तीन महीने लंबे दौरे के बाद स्वदेश लौट रही है, तो क्रिकेटप्रेमियों के बीच सबसे बड़ी चर्चा आगामी वर्ल्ड कप को लेकर है. क्रिकेटप्रेमी से लेकर दिग्गज क्रिकेटर तक वर्ल्ड कप को लेकर अपनी टीम बना रहे हैं. इन सभी टीमों में एक नाम ऐसा है, जो सबमें है. दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ दो महीने पहले इस नाम पर कोई भी दांव लगाने को तैयार नहीं था.
हम बात कर रहे हैं तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी (Mohammed Shami) की. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में हुई वनडे सीरीज में अगर किसी एक खिलाड़ी ने अपने प्रदर्शन से सबसे अधिक चौंकाया तो वे शमी ही थे. मोहम्मद शमी ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ कुल सात वनडे मैच खेले और इनमें 14 विकेट लिए. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैच में पांच विकेट झटके. फिर न्यूजीलैंड में चार मैच में में नौ विकेट लेकर मैन ऑफ द सीरीज का खिताब भी झटक लिया.
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नई और पुरानी दोनों गेंदों से प्रभावी
अगर आप सिर्फ विकेटों की संख्या के आधार पर उनका आकलन कर रहे हैं, तो गलती कर जाएंगे. आंकड़ों से आगे की बात यह है कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे पर भारत को नंबर-1 पेसर जसप्रीत बुमराह की कमी नहीं खलने दी. शमी ने जहां नई गेंद से बेहतरीन प्रदर्शन किया, वहीं पुरानी गेंदों से भी विकेट निकाले. ज्यादातर मैचों में वे किफायती भी रहे. कई बार जब भुवनेश्वर कुमार दबाव में दिखे, तो शमी ने विकेट लेकर उनके लिए रास्ता आसान बनाया.
3 साल में खेले सिर्फ 5 वनडे मैच
अब सवाल यह उठता है कि छह साल से वनडे खेल रहे शमी के लिए ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड का दौरा वापसी के लिए क्यों याद किया जाएगा. इसका जवाब यह है कि मोहम्मद शमी ने 2013 में डेब्यू करने के बाद तीन साल तक बेहतरीन प्रदर्शन किया. साल 2015 के वर्ल्ड कप में तो उन्होंने 17 विकेट झटके. लेकिन विश्व कप के बाद से उनकी गाड़ी पटरी से उतर गई. खराब फॉर्म और फिटनेस की वजह से वे अगले तीन साल तक लगभग टीम से बाहर ही रहे. वे 2016-18 के बीच, यानी तीन साल में सिर्फ पांच वनडे मैच ही खेले.
3 साल में 7 विकेट, 2019 में 14 विकेट
2013 में डेब्यू करने वाले मोहम्मद शमी 2016 में टीम इंडिया से पूरी तरह बाहर रहे. वे इस साल एक भी वनडे मैच नहीं खेले. 2017 में उन्हें तीन वनडे मैचों में मौका मिला, जिसमें उन्होंने चार विकेट लिए. इसके बाद 2018 में उन्होंने दो मैच खेले और तीन विकेट लिए. लेकिन 2019 आते ही इस खिलाड़ी का करियर फिर पटरी पर लौट आया है. उन्होंने इस साल 23 दिन में सात वनडे मैच खेले और 14 विकेट लेकर वर्ल्ड कप की टीम के लिए अपनी जगह लगभग पक्की कर ली.
साल | मैच | विकेट |
2013 | 20 | 30 |
2014 | 16 | 38 |
2015 | 11 | 19 |
2016 | 0 | 0 |
2017 | 3 | 4 |
2018 | 2 | 3 |
2019 | 7 | 14 |
अब पेस अटैक की तिकड़ी में शामिल
ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड दौरे से पहले यह तय नहीं था कि आगामी वर्ल्ड कप में भुवनेश्वर और बुमराह के साथ तीसरा तेज गेंदबाज कौन होगा. लेकिन मोहम्मद शमी ने इस सवाल को खत्म कर दिया है. उन्होंने खलील अहमद और उमेश यादव से तीसरे पेसर की रेस जीत ली है. यह तय है कि अगर आज टीम चुनी जाए तो वे टीम इंडिया के तीसरे पेसर होंगे. एक तरह से मोहम्मद शमी ने भारतीय टीम प्रबंधन की पेस अटैक को लेकर चिंता दूर कर दी है.