दुतीचंद को ओडिशा ने दिए 3 करोड़, स्वप्ना को बंगाल से मिले केवल 10 लाख- कोच नाराज
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दुतीचंद को ओडिशा ने दिए 3 करोड़, स्वप्ना को बंगाल से मिले केवल 10 लाख- कोच नाराज

स्वप्ना बर्मन के कोच का मानना है कि पश्चिम बंगाल सरकार एथलेटिक्स खिलाड़ियों को ठीक से प्रोत्साहन नहीं दे रही है.

स्वप्ना बर्मन और दुती चंद दोनों ने ही एशियाई खेलों नें गोल्ड मेडल जीता था.  (फाइल फोटो)

कोलकाता: एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पहली हेप्टाथलीट स्वप्ना बर्मन के कोच सुभाष सरकार पश्चिम बंगाल सरकार की खेल नीति को लेकर खासे नाराज हैं. सुभाष का कहना है कि राज्य सरकार के पास स्पष्ट खेल नीति न होने के कारण राज्य से चैम्पियन खिलाड़ी नहीं निकल पा रहे हैं. सुभाष ने कहा कि पदक विजेताओं को पुरस्कृत करने के मामले में राज्य में खेल नीति की कमी एथलीटों के विकास में बड़ी बाधा है. 

  1. एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता हैं स्वप्ना
  2. पंश्चिम बंगाल सरकार ने स्वप्ना को दिए 10 लाख
  3. स्वप्ना के कोच इस राशि से संतुष्ट नहीं हैं

स्वप्ना को केवल 10 लाख रुपये!
दर्द और दरिद्रता के बीच इस वर्ष अगस्त में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली स्वप्ना को ममता बनर्जी की सरकार ने अब तक केवल 10 लाख रुपये दिए हैं.
सुभाष सरकार ने बंधन बैंक की ओर से स्वप्ना को दस इनाम देने के कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैं राजनीति नहीं करना चाहता हूं लेकिन सबको पता है कि स्वप्ना को कितनी रकम मिली.’’ वहीं ओडिशा की दुतीचंद को तीन करोड़ रुपये और असम की हिमा दास को 1.6 करोड़ रुपये की ईनामी राशि मिल चुकी हैं. 

हरियाणा का दिया उदाहरण
बंधन बैंक ने यहां एक सम्मान समारोह में स्वप्ना को 10 लाख रुपये के पुरस्कार से सम्मानित किया. सुभाष ने सम्मान समारोह से इतर कहा, "मैं राजनीतिक मामलों में नहीं पड़ना चाहता. लेकिन हर किसी को पता है कि स्वप्ना को अब तक कितनी पुरस्कार राशि मिली है." स्वप्ना के कोच ने हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि हरियाणा के खिलाड़ियों ने पांच स्वर्ण, पांच रजत और आठ कांस्य पदक सहित 18 पदक जीते हैं.

गौरतलब है कि स्वप्ना पहले ही बंगाल सरकार से मिली इस पुरस्कार राशि पर संतोष जता चुकी हैं. स्वपना को पश्चिम बंगाल सरकार ने 10 लाख के नकद पुरस्कार के  साथ ही नौकरी भी दी है. 

पश्चिम बंगाल में प्रतिभा की कमी नहीं
सुभाष ने कहा, "पश्चिम बंगाल में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन हमारी सरकार को एक खेल नीति लानी चाहिए जो अगली पीढ़ी के लिए एक उदाहरण बने. मैं अगली पीढ़ी के लिए यह कहना चाहता हूं कि आपको भूख लगी है, इसके लिए आपको वित्तीय मदद की आवश्यकता है." उन्होंने कहा, "पश्चिम बंगाल में भी स्वप्ना जैसे कई प्रतिभाशाली बच्चे हैं लेकिन वे उचित मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण रास्ते में खो रहे हैं." 

सुभाष ने कहा, "लेकिन यदि कोई वित्तीय प्रोत्साहन मिलता है तो बंगाल के कमजोर परिवारों में से कई परिवार खेलों को अपना जीवन देने के लिए तैयार होंगे. आप देख सकते हैं कि हरियाणा कैसे अपने सरकार के पूर्ण सहयोग के चलते खिलाड़ी तैयार कर रहा है." 

कई प्रतिभावान खिलाड़ी हैं बंगाल में लेकिन...
स्वप्ना सरस्वती साहा के बाद स्वर्ण जीतने बंगाल की दूसरी खिलाड़ी हैं. उनसे पहले साहा ने 2002 के एशियाई खेलों में पदक जीता था. जकार्ता मे हुए एशियाई खेलों में बंगाल के नाम तीन पदक रहे जिसमें स्वप्ना के स्वर्ण के अलावा दो कांस्य पदक शामिल है. सुभाष सरकार ने कहा, ‘‘बंगाल के अंदरुनी हिस्सों में स्वप्ना की तरह कई प्रतिभावान खिलाड़ी है लेकिन सही दिशा-निर्देशों की कमी के कारण वह सामने नहीं आ पा रहे हैं.’’

स्वप्ना को फिर से टॉप्स में जगह मिलने की उम्मीद
लक्ष्य ओलंपिक पोडियम कार्यक्रम (टॉप्स) से बाहर की गयी एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता एथलीट स्वप्ना बर्मन ने कहा कि उन्हें वित्तीय मदद के लिये फिर से इस कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद है. एशियाई खेलों में स्वप्ना ने 6026 अंक के साथ स्वर्ण पदक जीता लेकिन यह ओलंपिक स्तर से काफी कम है और इसलिए उन्हें टॉप्स से बाहर कर दिया गया जिसे 2020 ओलंपिक खेलों को ध्यान में रखकर नया स्वरूप दिया गया. 

यह खेल मंत्रालय का फैसला
स्वप्ना ने कहा, ‘‘मुझे इस बारे में (टॉप्स से बाहर किये जाने) कोई टिप्पणी नहीं करनी है. यह खेल मंत्रालय का फैसला है. मुझे अपना अच्छा प्रदर्शन जारी रखना है. मैं अपने अच्छे प्रदर्शन के कारण टॉप्स में थी. अगर मैं फिर से अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर देती हूं तो मुझे पूरा विश्वास है कि मुझे दोबारा इसमें जगह मिल जाएगी.’’ 
स्वप्ना ने कहा कि उन्हें मेरीकोम के छठे विश्व खिताब से प्रेरणा मिली है. 

मैरी कॉम से प्रेरित हैं स्वप्ना
उन्होंने कहा, ‘‘मैरीकॉम 36 साल की उम्र में जो उपलब्धियां हासिल कर रही है वह अद्भुत है. मैं अभी केवल 22 साल की हूं. मैं भी उनकी तरह बनना चाहूंगी. मैं नहीं जानती कि मैं उनकी तरह बन पाऊंगी या नहीं लेकिन कोशिश करने में कोई बुराई नहीं है.’’ स्वप्ना का लक्ष्य अगले साल दोहा एशियाई चैंपियनशिप के दौरान 6200 से अधिक अंक बनाना है. 
(इनपुट भाषा/आईएएनएस)

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