EXCLUSIVE:टोक्यो ओलंपिक को टालने का फैसला सही, शूटर अंजुम मुदगिल से खास बातचीत
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EXCLUSIVE:टोक्यो ओलंपिक को टालने का फैसला सही, शूटर अंजुम मुदगिल से खास बातचीत

भारतीय शूटर अंजुम मुदगिल ने WION के स्पोर्ट्स एडिटर, दिग्विजय सिंह देव के साथ खास बातचीत की और हर मसले पर अपने विचार व्यक्त किए. 

अंजुम मुदगिल शूटिंग रेंज से दूर अपने परिवार के साथ वक्त बिताकर काफी खुश हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की वजह से टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) एक साल के लिए टल गया है, उन खिलाड़ियों के लिए इंतजार और बढ़ गया है जो इस मेगा इवेंट के लिए पहले की क्वालिफाई कर चुके हैं. अब इस खेल महाकुंभ की शुरुआत 23 जुलाई 2021 को होगी. समापन समारोह 8 अगस्त 2021 को आयोजित किया जाएगा. काफी माथापच्ची के बाद ओलंपिक को टालने का फैसला किया गया, लेकिन कोरोना वायरस के कहर को देखते हुए ये बिलकुल सही कदम कहा जाएगा.

  1. भारतीय शूटिंग स्टार अंजुम मुदगिल का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू.
  2. WION के स्पोर्ट्स एडिटर, दिग्विजय सिंह देव ने की बातचीत.
  3. टोक्यो ओलंपिक को टालने का फैसला सही-अंजुम मुदगिल.

इस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई हो चुके खिलाड़ियों में भारतीय शूटर अंजुम मुदगिल का नाम भी शामिल है. उन्होंने WION के स्पोर्ट्स एडिटर, दिग्विजय सिंह देव के साथ खास बातचीत की और  IOC के फैसले, लॉकडाउन के दौरान ट्रेनिंग, घर में शूटिंग की प्रैक्टिस समेत हर मसले पर अपने विचार व्यक्त किए. 

दिग्विजय सिंह देव: अंजुम हमारे साथ जुड़ने के लिए शुक्रिया. 3 साल लगे ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने के लिए, जब से ओलंपिक में कोटे की शुरुआत हुई है तब से ये किसी खिलाड़ी के लिए सबसे लंबा इंतजार है, ये आपके लिए और आपके साथ अपूर्वी चंदेला. 

अंजुम मुदगिल: मुझे लगता है कि ओलंपिक को टालने का फैसला सही था, लेकिन हमने काफी पहले क्वालिफआई कर लिया है, इसलिए ये काफी अजीब लग रहा है. हमारे पास ओलंपिक गेम्स के लिए 15 महीने का वक्त है, अच्छी बात ये है कि हमें तैयारियों के लिए समय मिल जाएगा. मैं अभी बाहर जाकर ट्रेनिंग नहीं ले सकती हूं, चूंकि मैं अभी अपने घर पर ही हूं, तो मैं अपने फिजिकल ट्रेनिंग पर ज्यादा ध्यान दे रही हू्ं. मैं अपने वक्त को अपने शारीरिक और मानसिक सेहत को बेहतर करने में इस्तेमाल कर रही हूं. इसके अलावा में अपने फुर्सत के पल अपने परिवार के साथ बिता रही हूं, कुल मिलकर मैं खुद को इस माहौल के अनुकूल बना रही हूं.

DSD: जब आपने ओलंपिक गेम्स के टलने की खबर सुनी तो आपकी प्रतिक्रिया क्या थी? क्या आपके लिए ये राहत की खबर थी, या फिर आपने सोचा हे भगवान और 12 महीने?

AM: मैं खुश हूं कि खेल टल गया, हर कोई ओलंपिक खेलों की अनिश्चितता को लेकर तनाव में था. असलियत ये है कि हर खेल को बाहर में ट्रेनिंग और तैयारी की जरूरत होती है, जाहिर सी बात है कि लॉकडाउन के दौरान ऐसा मुमकिन नहीं था. ओलंपिक को टालने का फैसला सही था, अब सभी अंतरराष्ट्रीय संघों और हर देशों की ओलंपिक समीतियों को ओलंपिक के कैलेंडर को लेकर फिर से काम करना होगा. मुझे लगता है कि खिलाड़ियों के बजाय अथॉरिटीज का काम बढ़ गया है. हम खिलाड़ी अपनी प्रैक्टिस को जारी रखेंगे और अपनी सेहत पर ध्यान देंगे, जो हमारा काम है. मैं अपने कोच के साथ मिलकर योजना बनाउंगी और इंतजार करूंकि कि कब ISSF टूर्नामेंट के कार्यक्रम को तय करता है ताकि हम अपनी योजनाओं में विस्तार कर सकें.

DSD: लेकिन अनिश्चितता बरकरार है, है न? आपको पता नहीं है कि शूटिंग कैलेंडर की फिर से शुरुआत कब होगी. अगर शुरुआत हो भी जाती है तब भी इसमें सभी को फिट करना मुश्किल होगा, क्योंकि साल 2020 के पहले हाफ में कोई खेल आयोजन ही नहीं हो पाया है, और कंपिटीशन के दौरान स्कोर भी अगल हो सकते हैं?

AM: भले ही ओलंपिक खेल टल गए हैं, लेकिन हमें ये पता नहीं है कि हम अगला टूर्नामेंट कब खेलेंगे? हो सकता है जून, जुलाई, सितंबर या फिर बाद में. ये सब इस बात में निर्भर करता है कि महामारी का असर कितना है. इसलिए निश्चित कुछ भी नहीं है, हमलोग यही उम्मीद कर सकते हैं कि सबकुछ अच्छा लेकिन कुछ अनुमान लगाना मुश्किल है. सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं हर कोई इस वक्त एक ही नाव पर सवार है. असलियत ये है कि हमें काफी लंबा इंतजार करना होगा अगले टूर्नामेंट के लिए जिससे हमारा सिर्फ तजुर्बा और बढ़ेगा. मुझे लगता है कि हर कोई महफूज रहे तब तक के लिए जब तक हम लोग अगले मुकाबले के लिए तैयार न हो जाएं. अनिश्चित समय खिलाड़ियों की मानसिक हालात को भी चुनौती दे रहा है, लेकिन इसका कोई और विकल्प नहीं है क्योंकि लॉकडाउन सभी के लिए जरूरी है. 

DSD: मैं सिर्फ ये जानना चाहता हूं कि एक ओलंपिक खिलाड़ी को तैयारी के लिए कितना वक्त चाहिए, ये बताइए कि जब से आपने भारत के लिए ओलंपिक कोटा जीता है तब से आपके अंदर कितना बदलाव आया है. क्या आप ज्यादा अनुशासित हुई हैं, या आप ट्रेनिंग ज्यादा कर रही हैं?

AM: बिलकुल जब से मैनें एयर रायफल के लिए कोटा जीता है, तब से मेरे पास थ्री पोजीशन इवेंट के लिए कोटा जीतने का अतिरिक्त दबाव नहीं है. मैंने दोनों इवेंट के लिए एक तरह से मेहनत की है, थ्री पोजीशन मेरा मेन इवेंट. मुझे लगता है कि मैं उसी के लिए बनी हूं, और मेरे अंदर काफी विश्वास है 

एयर रायफल में, मैंने पिछले 2 साल से कहीं ज्यादा ट्रेनिंग कर रही हूं, ताकि मैं अपनी कमजोरियों का पता लगा सकूं. मुझे थ्री पोजीशन इवेंट में कंपीट करने का ज्यादा मौका नहीं मिला क्योंकि मैं एयर रायफल इवेंट में ज्यादा ध्यान दे रही थी. लेकिन इससे मुझे मदद मिली और एक नया तजुर्बा हुआ. मेरा नजरिया दोनों इवेंट के लिए बदल गया, खासकर स्कोर की बात करें तो मेरे लिए नतीजों में बदलाव आया लेकिन मैंने मेहनत को जारी रखा.

DSD: मैं एक बात कहना चाहूंगा कि कोटा देश के लिए होता है शूटर के लिए नहीं, तो ऐसे में कई ट्रायल से गुजरना पड़ा होगा ताकि आप ये सुनिश्चित कर सकें कि आप कंपीटीशन में आगे रहें. क्या ज्यादा कंपीटीशन ज्यादा तनाव देता है? क्या पिछले 2 सालों में आपने सोचा था कि आप अपनी जगह खो देंगे जब आपका कंपीटीशन खराब हुआ था. शूटिंग एक मेंटल स्पोर्ट है और इस तरह के ख्यालात कहीं नहीं कहीं जरूर पैदा होते हैं?

AM: हां थोड़ा दबाव लगा था जब सभी अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे. इसकी गारंटी नहीं थी कि जो कोटा पक्का करेगा उसे टीम में शामिल होना का मौका मिल ही जाएगा. जहां तक मानसिक चुनौती की बात है, वहां हम खिलाड़ियों को अपने प्रदर्शन पर फोकस करना होता है, न कि टीम सेलेक्शन पर. हमारा काम होता है अच्छा प्रदर्शन करना, ये चीजें हम पर निर्भर करती हैं. कुछ खास स्कोर करने के लिए थोड़ा दबाव हो सकता है, लेकिन मैं इसे नजरअंदाज करने की कोशिश करती हूं. मैं कभी किसी को हराने या रैंकिंग देखने के लिए खुद को तैयार नहीं करती हूं, मैं सिर्फ बाहर जाती हूं और अपना बेहतरीन प्रदर्शन करती हूं, फिर जैसा भी होता वो मुझे मंजूर होता है. 

DSD: हम खिलाड़ियों की सोशल मीडिया पोस्ट देखते हैं जिसमें ये लोग फिट रहने की कोशिश करते है. आप लॉकडाउन में क्या कर रही हैं? 

AM: मैं अपने घर में बहुत खुश हूं, मैं अपना वक्त परिवार के साथ बिता रही हूं, मैं एक संयुक्त परिवार का हिस्सा हूं, जहां 10 सदस्य है, जो एक अच्छी हाच है. जाहिर सी बात है कि कोई बाहर नहीं जा रहा है, हमलोग जरूरी एहतियात बरत रहे हैं. मुझे पेंटिंग का ज्यादा मौका मिल गया, जो मैं हमेशा से करना चाहती थी. मैं अपने भतीजे से डांस करना सीख रही हूं और अपने भाई के साथ बाजीगरी करने की ट्रेनिंग ले रही हूं. मैं शरीर में कई मांसपेशियों के बारे में जानकारी ले रही हूं, ये मुझे तब मदद करेगा जब मैं फीजियो के पास होंगे अपनी परेशानी को बताने के लिए.

जैसा कि मैंने पहले कहा कि मैं वर्कआउट कर रही हूं और सोशल मीडिया पर भी शेयर कर रही हूं. मैं जितना हो सके पॉजिटिव रहने की कोशिश कर रही हूं. मैं कई दूसरे खिलाड़ियों को देख रही हूं जो लॉकडाउन की वजह से थोड़े निराश हैं. लेकिन ये ऐसे हालात हैं जिस पर हमारा नियंत्रण नहीं है, मुझे लगता है कि हमलोग इस वक्त का सबसे बेहतरीन इस्तेमाल कर सकते हैं, हम वीडियो पोस्ट कर सकते हैं और जमाने के साथ चल सकते हैं.

DSD: आपने पेंटिंग का जिक्र किया तो मैं उसी की बात करना चाहता हूं, आप पेंटिंग से प्यार करती हैं और जब भी आप सफर पर होती हैं तो आपका पेंट, ब्रश और कैनवस पीछे छूट जाता हगै. चूंकि आप अभी कर में हैं तो आपके टीम के सदस्यों की बीच ये डिमांड बढ़ गई होगी? 

AM: चूंकि मैं अभी घर पर हूं तो मुझे टीम के सदस्यों से पेटिंग के ज्यादा ऑर्डर्स मिल रहे हैं, वो कुछ वक्त पहले मुझे ऐसा करने को कह रहे थे. मैं घर पर हूं, कहीं सफर नहीं कर रही तो मैं इस काम को पूरा कर सकती हूं. मैं हमेशा से चाहती था कि मेरे घर पर अच्छी पेंटिंग्स की भरमार हो, जिससे मैं एक प्रदर्शनी आयोजित कर सकूं अगर मैं चाहूं. मैं हमेशा से अपनी कला की प्रदर्शनी लगाना चाहती थी जो अब मुमकिन है. मैं अपनी पेंटिंग को ऑनलाइन बेचने का भी विचार कर रही हूं ताकि मैं पैसा कमा सकूं और जरूरतमंदों की वक्त पर मदद कर सकूं. मैंने कुछ फंड अपने दोस्त को दिए हैं जो पंजाब पुलिस में भर्ती हैं और वंचित लोगों को भोजन बांटने में मदद कर रहे हैं, और मुझे उम्मीद है कि मैं निकट भविष्य में और भई ज्यादा मदद कर सकूंगी. 

DSD: कुछ आपके शूटिंग बिरादरी के सदस्य ने घर पर ही छोटा शूटिंग रेंज बना रखा है और वो अभी भी ट्रेनिंग कर सकते हैं, क्या आप भी घर में ट्रेनिंग ले सकती हैं?

AM: मैंने दिल्ली वर्ल्ड कप (जो कि मार्च में होने जा रहा था लेकिन टल गया) के बाद बाद में टल गया क्योंकि जनवरी, फरवरी और मार्च में मेरा सीजन काफी बिजी था. तो वो 10 दिन का ब्रेक पूरा हो चुका है और मैंने ट्रेनिंग शुरु कर दी है, मैंने दोनों इवेंट की ड्राई शूटिंग शुरू की है. चंडीगढ़ वाले मेरे घर में ट्रेनिंग फैसलिटी नहीं थी, क्योंकि मैं ज्यादातर मौके पर मैं घर पर नहीं रहती थी और मेरे घर के काफी पास में शूटिंग रेज था. लेकिन मैं अभी घर पर रहूंगी और मेरे पिता ने मेरे लिए एक अस्थायी टार्गेट तैयार कर दिया है. मुझे और उनको काफी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन अब मेरे घर में ही ट्रेनिंग के लिए रेंज तैयार हो गया है. 

DSD: हमारे दर्शकों के लिए आप ये विस्तार से बता दीजिए की 'ड्राई ट्रेनिंग' क्या होती है?

AM: आप जो शूटिंग रेज में देखते हैं ड्राई ट्रेनिग असल में उसकी एक नकल होती है, बस असली शॉट नहीं निकलता है, हर एक्शन वैसा ही होता है, ट्रिगर पीछे खींचना भी वैसा ही होता है लेकिन शॉट नहीं किया जाता. मसल मेमरी हम शूटर्स के लिए काफी अहम है क्योंकि ये एक अच्छा अभ्यास है. और घर पर शूटिंग करना खतरनाक होता है, क्योंकि हमें ये सुनिश्चित करना होता है कि कोई इसका शिकार न हो जाए. 

DSD: क्या इस लॉकडाउन के वक्त आप अपने शूटिंग के साथियों के संपर्क में हैं, साल 2019 में भारतीय टीम का कार्यक्रम काफी व्यस्त था, जो पहले ही ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुके थे उनके लिए कोई ऑफ सीजन नहीं था क्योंकि आप लगातार ट्रेनिंग कर रही थी. क्या ये ब्रेक खुद को रिचार्ज करने के एतबार से काफी अच्छा है? 

AM: मैं उन शूटर्स के संपर्क में हूं जिसने अपना कोटा पक्का कर लिया, लेकिन जिससे मैंने बात की है वो सभी इस ब्रेक को लेकर खुश हैं. जाहिर सी बात है कि मैं घर पर खुश हूं. मुझे खुद को रिचार्ज करने का मौका मिला है क्योंकि मैं अकसर चंडीगढ़ में अपने घर पर नहीं होती हूं, मैं ज्यादातर दिल्ली में ही रहती हूं. ये अच्छा है कि मुझे घर में बना भोजन मिल रहा है, मैंने कल खुद अपना खाना बनाया. तो मैं वो कर पा रही हूं जो मैं चाहती हूं, तो एक अच्छा एहसास है.  मैंने सभी शूटर्सल के साथ एक वीडियो बनाया है ताकि हम अपनी एकता और जोश को इस मुश्किल वक्त में जाहिर कर सकें, मैंने वीडियो को इंस्टाग्राम पर शेयर किया है जो अच्छा लग रहा है. 
(अनुवादक-शारिक़ुल होदा)

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