BCCI की SGM में अनुराग ठाकुर का हलफनामा होगा चर्चा का मुद्दा
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BCCI की SGM में अनुराग ठाकुर का हलफनामा होगा चर्चा का मुद्दा

अध्यक्ष अनुराग ठाकुर का उच्चतम न्यायालय में दिया जाने वाला हलफनामा कल यहां बीसीसीआई की मान्यता प्राप्त इकाइयों की विशेष आम बैठक (एसजीएम) में चर्चा का केंद्र होगा जिसमें लोढा समिति के सुधारवादी कदमों को लागू किए जाने पर चर्चा होगी। एसजीएम में जिन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जा सकती है उसमें ‘एक राज्य एक मत’ की सिफारिश और तीन साल के ब्रेक के साथ तीन साल के कार्यकाल का मुद्दा शामिल है।

BCCI की SGM में अनुराग ठाकुर का हलफनामा होगा चर्चा का मुद्दा

नई दिल्ली : अध्यक्ष अनुराग ठाकुर का उच्चतम न्यायालय में दिया जाने वाला हलफनामा कल यहां बीसीसीआई की मान्यता प्राप्त इकाइयों की विशेष आम बैठक (एसजीएम) में चर्चा का केंद्र होगा जिसमें लोढा समिति के सुधारवादी कदमों को लागू किए जाने पर चर्चा होगी। एसजीएम में जिन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जा सकती है उसमें ‘एक राज्य एक मत’ की सिफारिश और तीन साल के ब्रेक के साथ तीन साल के कार्यकाल का मुद्दा शामिल है।

उच्चतम न्यायालय ने ठाकुर को हलफनामा दायर करने को कहा है और स्पष्ट करने को कहा है कि उन्होंने आईसीसी से यह लिखने को कहा था या नहीं कि लोढा समिति की सिफारिशें सरकारी हस्तक्षेप हैं। हाल में मीडिया से बात करते हुए आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेव रिचर्डसन ने कथित तौर पर यह दावा किया था। बीसीसीआई की कानूनी टीम हलफनामा तैयार कर रही है।

बीसीसीआई अध्यक्ष के करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने सिर्फ ‘पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर की पूर्व की याचिका को आगे बढ़ाया था जिसमें उन्होंने (मनोहर ने) कहा था कि शीर्ष परिषद में कैग प्रतिनिधि की नियुक्ति हस्तक्षेप है।’एक विश्वसनीय सूत्र ने बताया, ‘यह मुद्दा शशांक ने उठाया था इसलिए अनुराग इस पर आगे बढ़ रहे थे।’ उच्चतम न्यायालय में सोमवार को इस मामले की सुनवाई होगी और ऐसे में दुनिया के सबसे धनवान बोर्ड के पास संभवत: यह अंतिम मौका है कि वह इस मुद्दे पर चर्चा करे जिसके बारे में उसका मानना है कि इससे बोर्ड का संचालन प्रभावित होगा।

पूर्व क्षेत्र की एक इकाई के पदाधिकारी ने कहा, ‘हम एक राज्य एक वोट के नियम के खिलाफ नहीं हैं। हम सिर्फ इतना कह रहे हैं कि वोटरों का आधार क्यों नहीं बढ़ाया गया। मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और अरूणाचल को वोटिंग अधिकार दे दीजिए। लेकिन साथ ही मुंबई और सौराष्ट्र के अधिकार नहीं छिने।’ इस बात की संभावना नहीं है कि सदस्य तीन साल के ब्रेक के साथ तीन साल के कार्यकाल के लिए राजी हों।

बोर्ड में कई लोगों का मानना है कि सर्वश्रेष्ठ विचार यह होगा कि छह साल के दो कार्यकाल हों और दो कार्यकाल के बीच में तीन साल का ब्रेक हो। गौरतलब है कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व टीम निदेशक रवि शास्त्री ने यह प्रस्ताव रखा था।  त्रिपुरा और विदर्भ ने लोढा समिति की सिफारिशों को पूर्ण रूप से स्वीकार करने का फैसला किया है लेकिन अब भी अधिकांश राज्य इकाइयों का मानना है कि सिफारिशें अस्वीकार्य हैं।

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